प्रतिभा का न हो दुरुपयोग



विचार : मुस्लिम सल्तनत के समय सुलतान महमूद का दरबार कवियों और कलाकारों के लिए अच्छा शरण स्थल बना हुआ था। उन दिनों प्राय: प्रत्येक राजा—महाराजा अपने दरबार में कवि रखा करते थे, जो उनके शौर्य, पराक्रम और उदारता की मनगढ़ंत कहानियां गढ़कर गीत बनाकर गाया करते। राज—महाराजा अपने प्रशस्ति गीत सुनकर बड़े प्रसन्न होते और कवियों को पुरस्कार भी देते। एक प्रकार से यह व्यवसाय ही बन गया था। सुलतान महमूद के प्रसिद्ध राजदरबार में भी एक शायर थे, जिनका नाम था, सनाई। सनाई उच्च कोटि के शेर और गजलें लिखते, परंतु वे होतीं सब सुलतान की प्रशंसा में। प्राय: वे सुलतान की प्रशंसा में नए—नए शेर गाते, गजलें लिखते और राजदरबार में गाकर सुनाते। इसके बदले में उन्हें पुरस्कार भी खूब मिलता और सम्मान भी। प्रतिष्ठा और पुरस्कार ने उन्हें गर्वोन्नत भी कर दिया था।
एक बार की घटना है। उन्होंने सुलतान की प्रशंसा में कुछ शेर लिखे। उन्हें सुनाने के लिए वे राजदरबार की ओर चले। मार्ग में एक मदिरालय था, उसमें कोई शराबी मद्य पी रहा था। प्राय: ही लोग वहां शराब पीते, उनका ध्यान कदाचित ही उस ओर जाता। उस दिन उनके पैर अनायास ही ठिठक गए। कारण था अंदर से कुछ आवाज आ रही थी। कोई पियक्कड़ साथी से कह रहा था—सुलतान महमूद के अंधेपन की गमजोई में ला एक पैगाम दे।
बेवकूफ—साकी कह रहा था, कोई सुन लेगा तो तेरा सिर सीधा कलम हो जाएगा। क्यों अपनी मौत को दावत दे रहा है।
मौत को दावत नहीं सच बात कह रहा हूं। इसमें बेजा क्या है। सुलतान अंधा नहीं तो क्या है।
अंधेपन की क्या निशानी देखी तूने सुलतान में।
बहुत कुछ देखा है, पीने वाले ने कहा—सुलतान के पास सुख से रहने के लिए किसी बात की कमी नहीं। उसके पास धन है, दौलत है, फिर उसे कुछ दिखाई नहीं देता। जो चीजें उसके पास हैं, उन्हें ही और बटोरने के लिए वह पड़ोसी राज्यों पर हमले करता है। वहां लूटमार मचाता है। हजारों बेगुनाहों को मौत के घाट उतारता है। यह अंधापन नहीं तो क्या है। सनाई वहीं खड़े रहे, कुछ विचारने लगे। अंदर से फिर वही आवाज आई, ला एक और जाम दे। सनाई की बेवकूफी पर।


अब तो साकी को चिढ़ सी आ गई। सनाई के कान भी खड़े हो गए, ध्यान से सुनने के लिए। साकी कह रहा था—तुमने यह क्या बकवास लगा रखी है। सनाई जैसे उम्दा शायद के लिए तुम्हें यह बोलते शर्म नहीं आती। मानता हूं दोस्त, सनाई बहुत उम्दा शायर है, पीने वाला कह रहा था—परंतु उस सा बेवकूफ भी दुनिया में खोजे नहीं मिलेगा। वह कागज को रंगता भर है, जबकि मालिक ने उसे बहुत बड़ा हुनर दिया। वह नहीं जानता कि खुदा ने उसे क्यों पैदा किया और वह उसकी दी हुई काबिलियत को अंधे सुलतान की तारीफ करने में ही खर्च कर रहा है।
 शराबी की इन बातों को सुनकर, जिसे साकी निरी बकवास ही समझ रहा था, सनाई की आंखें खुल गईं। उनके हृदय में जैसे तीर से चुभने लगे हों और वे उलटे पांव लौट आए, वापस अपने घर। सुलतान की प्रशंसा में उन्होने जो नए शेर तैयार किए थे, उनको रास्ते में ही फाड़कर फेंक दिए। बहुत देर तक ही नहीं दो चार दिनों तक जब सनाई दरबार में नहीं आए तो सुलतान ने खबर भेजी। संदेशवाहकों ने वापस आकर जो कुछ कहा, उसने सभी को सकते में ला दिया कि सनाई घर पर नहीं है। बाद में पता चला कि सनाई अमुक स्थान पर फकीर के वेश में रुहानी यानि आध्यात्मिक गीत गाते देखे गए हैं।
                                                                                                                                                        
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