समय एक मूल्यवान सम्पदा



विचार : संसार में ऐसी कोई भी वस्तु नहीं जिसकी प्राप्ति मनुष्य के लिए असंभव हो। प्रयत्न और पुरुषार्थ से सभी कुछ पाया जा सकता है, लेकिन एक ऐसी भी चीज है, जिसे एक बार खोने के बाद कहीं नहीं पाया जा सकता है और वह है—समय। एक बार हाथ से निकला हुआ समय कभी हाथ नहीं आता। कहावत है—बीता हुआ समय और कहे शब्द कभी वापस नहीं बुलाये जा सकते। समय परामात्मा से भी महान है। भक्ति—साधना द्वारा परमात्मा का साक्षात्कार कई बार किया जा सकता है, लेकिन गुजरा हुआ समय पुन: नहीं मिलता। समय ही जीवन की परिभाषा है, क्योंकि समय से ही जीवन बनता है। समय का सदुपयोग करना जीवन का उपयोग करना है, समय का दुरुपयोग करना जीवन को नष्ट करना है। समय किसी की भी प्रतीक्षा नहीं करता, वह प्रतिक्षण, घंटे, दिन, महीनों, वर्षों के रूप में निरंतर अज्ञात दिशा में जाकर विलीन होता रहता है। फ्रेंकलिन ने कहा— समय बरबाद मत करो, क्योंकि समय से ही जीवन बना है। नि:संदेह वक्त और सागर की लहरें किसी की प्रतीक्षा नहीं करतीं। हमारा कर्तव्य है कि हम समय का पूरा—पूरा सदुपयोग करें।



जो व्यक्ति अपना तनिक सा भी समय व्यर्थ नष्ट करते हैं, उन्हें समय अनेक सफलताओं से वंचित कर देता है। नेपोलियन ने आस्ट्रिया को इसलिए हरा दिया कि वहां के सैनिकों ने उसका सामना करने में पांच मिनट का विलंब कर दिया। लेकिन वही नेपोलियन कुछ ही मिनटों में बंदी बना लिया गया, क्योंकि उसका एक सेनापति कुछ ही मिनट विलंब से आया। वाटरलू के युद्ध में नेपोलियन की पराजय इसी कारण से हुई। समय की उपेक्षा करने पर देख्तो—देखते विजय का पासा पराजय में पलट जाता है, लाभ, हानि में बदल जाता है। सांसार में जितने भी महापुरुष हुए हैं, उनकी महानता का एक ही आधार स्तम्भ है कि उन्होंने अपने समय का पूरा—पूरा उपयोग किया। एक क्षण भी व्यर्थ नहीं जाने दिया। समय जितना कीमती और फिर न मिलने वाला तत्व है, उतना उसका महत्व प्राय: हम लोग नहीं समझते। हममें से बहुत से लोग अपने समय का बहुत ही कम सदुपयोग करते हैं, उसको व्यर्थ की बातों में नष्ट करते रहते हैं। आश्चर्य है कि समय ही ऐसा पदार्थ है, जो एक निश्चित मात्रा में मनुष्य को मिलता है लेकिन उसका उतना ही अधिक अपव्यय भरा होता है। 


 

हममें से कितने लोग ऐसा सोचते हैं कि हमारा कितना समय आवश्यक और उपयोगी कार्यों में लगता है और कितना व्यर्थ के कामों में सैर—सपाटे, मित्रों से गप—शप, खेल—तमाशे, मनोरंजन, आलस्य—प्रमाद आदि में हम कितना समय नष्ट करते हैं! काश एक—एक मिनट, घंटे, दिन का हम उपयोग करें तो कोई कारण नहीं कि हम जीवन में महान सफलताएं प्राप्त न करें। समय की बरबादी का सबसे पहला शत्रु है, किसी काम को आगे कि लिए टाल देना। आज नहीं कल करेंगे। इस कल के बहाने हमारा बहुत—सा वक्त नष्ट हो जाता है। इस कल से बचने के लिए महात्मा कबीर ने चेतावनी देते हुए कहा है—
काल करै से आज कर, आज करै सो अब।
पल में परलै होएगी, बहुरि करेगा कब।।

कल पर अपने काम को न टालें। जिन्हें आज करना है उन्हें आज ही पूरा कर लें। स्मरण रखिए प्रत्येक काम का अपना अवसर होता है और अवसर वपही है, जब वह काम आपके सामने पड़ा है। अवसर निकल जाने पर काम का महत्व ही समाप्त हो जाता है तथा बोझ भी बढ़ता जाता है। स्वेटमार्डेन ने लिखा कि बहुत से लोगों ने अपना काम कल पर छोड़ा है और वे संसार में पछे रह गए, अन्य लोगों द्वारा प्रतिद्वंद्विता में हरा दिए गए। समय का ठीक—ठाक लाभ उठाने के लिए आवश्यक है कि एक समय में एक ही काम किया जाये।

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