रहस्यमयी व जिंदादिल होते हैं अश्विनी नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग


ज्योतिष : वेदों में वर्णित ज्योतिष शास्त्र का कलयुग में विशेष महत्व है। ज्योतिष शास्त्र में बारह राशियों व 27 नक्षत्रों का वर्णन किया गया है। 27 नक्षत्रों में से अश्विनी नक्षत्र आकाश मंडल में पहले स्थान पर आता है। अश्विनी नक्षत्र के स्वामी केतु हैं। देवताओं के चिकित्सक माने जाते हैं अश्विनी कुमार। इस नक्षत्र की राशि मेष और राशि स्वामी मंगल है, इस नक्षत्र में जन्म लेने वालों लोगों पर केतु व मंगल दोनों का प्रभाव पड़ता है। अश्विनी नक्षत्र में जन्मे लोग ऊर्जावान के साथ जीवन में सक्रिय भी रहते हैं। ऐसे लोग बड़े और महत्वपूर्ण कार्यों को करने में ही ज्यादा आनंद प्राप्त करते हैं। 

अश्विनी नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग जिद्दी स्वभाव, शांत प्रवृति व रहस्यमय प्रकृति, जिंदादिल व खुशमिजाज स्वभाव होने के चलते समाज में इन लोगों को विशेष स्थान मिलता है, नेतृत्व करने की क्षमता अधिक होती है। चाल बहुत तेज होती है, स्वतंत्र विचार के होते हैं और इसी तरह इनको अकेले में सोचना-समझना ज्यादा अच्छा लगता है। ऐसे लोगों को मित्र बनाना बहुत मुश्किल होता है। दाम्पत्य जीवन बहुत सुखमय रहता है, शास्त्रों में काफी रुचि रहती है, 30 की उम्र के बाद अच्छे दिन इनके शुरू होते हैं। मान्यता के अनुसार अश्विनी कुमार के पिता सूर्य एवं माता शंग द्वारा दो भाइयों की जोड़ी अश्विनी कुमार को जन्म दिया था। अश्विनी कुमार स्वर्ग से तीन पहिये वाले घोड़ों से सुते रथ द्वारा स्वर्गारोहण कर रहे हैं। इस नक्षत्र में जन्मे जातक वौद्धिक रूप से सुदृढ़, विकासशील निरन्तर प्रगति करने वाले शक्तिशाली व भ्रमणशील होने की सम्भावना रहती है। गौरतलब है कि अश्विनी नक्षत्र तीन तारों से मिलकर बना है। इसकी आकृति अश्वमुख की तरह है। अश्विनी नक्षत्र का प्रमुख योग तारा मध्य का बीटा है। पुरातन समय में बीटा व गामा तारों को अश्वयुज नाम दिया गया था। इन तारों को पूर्व दिशा में सुबह के समय अप्रैल माह के मध्य में उदय होते देखा जा सकता है और दिसम्बर माह में रात के नौ बजे से ग्यारह बजे के मध्य ये तारे शिरों बिन्दु पर दिखाई देते हैं। सम्पूर्ण अश्विनी नक्षत्र के चरण मेष राशि में होते हैं। अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को चन्द्रमा अश्विनी नक्षत्र में रहता है। इस नक्षत्र में चन्द्रमा के होने से जातक आभूषण से प्रेम करता है।

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