शुभ फल देने वाला पर्व है बसंत पंचमी
ज्योतिष : विद्या की देवी सरस्वती का जन्म बसंत पंचमी को हुआ था। इस दिन मां सरस्वती का पूजन किया जाता है, विशेषत: विद्यालयों में। इस वर्ष 16 फरवरी 2021 को बंसत पंचमी का पर्व मनाया जायेगा। इस बार बसंत पंचमी के दिन माघ मास का चौथा प्रमुख स्नान पर्व भी है। 15 फरवरी, सोमवार रात 2:45 बजे से पंचमी शुरू हो जाएगी, जो मंगलवार रात 4:34 बजे तक रहेगी। रेवती नक्षत्र सूर्योदय से रात में 8:07 बजे तक रहेगा। बसंत पंचमी पर बुध, गुरु, शुक्र व शनि चार ग्रह शनि की राशि मकर में चतुष्ग्रही योग का निर्माण कर रहे हैं। सरस्वती पूजन का शुभ मुहूर्त दोपहर 11:30 से 12:30 तक रहेगा। विद्यार्थियों को मां सरस्वती की आराधना अधिक फलदाई रहेगी। इसके अलावा मान्यता है कि बसंत ऋतु और कामदेव के बीच विशेष सम्बन्ध होता है। बसंत पंचमी के दिन कामदेव और उनकी पत्नी रति की भी पूजा करने का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि यदि पति और पत्नी मिलकर इस दिन कामदेव और रति की उपासना करते हैं तो उनके संबंधों में मधुरता और भी अधिक बढ़ जाती है। कामदेव को लेकर ऐसी पौराणिक मान्यता चली आ रही है कि अगर कामदेव न हों तो प्राणियों के बीच से प्रेम का भाव समाप्त हो जाएगा और सृष्टि आगे नहीं बढ़ पाएगी। यही कारण है कि बसंत ऋतु के देवता कामदेव माने गए हैं। यदि दाम्पत्य जीवन में अनबन चल रही हो तो ऐसे लोगों को बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र धारण करके मां दुर्गा की पीले फूल से पूजा करनी चाहिए। इसके साथ ही किसी सुहागिन स्त्री को सुहाग की सामग्री भेंट करें तो वैवाहिक जीवन में आ रहीं समस्त परेशानियां दूर होने की पूरी सम्भावना है। पति और पत्नी को इस दिन पान का सेवन जरूर करना चाहिए।
पूजन विधि
सबसे पहले सरस्वती माता की प्रतिमा या मूर्ति को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें। इसके बाद रोली, चंदन, हल्दी, केसर, चंदन, पीले या सफेद रंग के पुष्प, पीली मिठाई और अक्षत अर्पित करना चाहिए। पूजन के स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबों को अर्पित करें। सरस्वती माता की वंदना का पाठ व आरती करें। कई छात्र इस दिन व्रत भी रखते हैं।
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