शुभ कार्यों में मंत्र के साथ जलायें दीप

लखनऊ। किसी भी शुभ कार्य या पूजन सबसे पहले दीपक जलाई जाती है और दीपक जलाते समय यह मंत्र जरूर पढ़ें।
दीपज्योर्तिः परब्रह्मः दीपज्योर्तिः जनार्दनः।
दीपोहरतिमे पापं संध्यादीपं नामोस्तुते।।
शुभं करोतु कल्याणमारोग्यं सुखं सम्पदां।
शत्रुवृद्धि विनाशं च दीपज्योर्तिः नमोस्तुति।।

दीपक किसी भी पूजा का महत्त्वपूर्ण अंग है । दीपक कैसा हो, उसमें कितनी बत्तियां हों, तेल व घी किस-किस प्रकार का हो, इसका भी विशेष महत्त्व है। उस देवता की कृपा प्राप्त करने और अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए ये सभी बातें महत्वपूर्ण हैं। लेकिन हिन्दू शास्त्रों के अनुसार आज भी पूर्ण विधि.विधान के साथ पूजा करने को महत्व दिया जाता है। पूजा में ध्यान देने योग्य बातों में से ही एक है दीपक जलाते समय नियमों का पालन करना। पूजा में सबसे अहम है दीपक जलाना। इसके बिना पूजा का आगे बढ़ना कठिन है। पूजा के दौरान और उसके बाद भी कई घंटों तक दीपक जलते रहना शुभ माना जाता है।
दीपक जलाते समय ध्यान रखें कि -
  •     दीपक की लौ पूर्व दिशा की ओर रखने से आयु में वृद्धि होती है।
  •     ध्यान रहे कि दीपक की लौ पश्चिम दिशा की ओर रखने से दुख बढ़ता है।
  •     दीपक की लौ उत्तर दिशा की ओर रखने से धन लाभ होता है।
  •     दीपक की लौ कभी भी दक्षिण दिशा की ओर न रखें, ऐसा करने से जन या धनहानि होती है।
यह दीपक रोशनी प्रदान करता है। शास्त्रों में एक पंक्ति उल्लेखनीय है- असतो मा सदगमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मामृतं गमय॥ ॐ शांतिः शांतिः शांतिः
उपरोक्त पंक्ति में दिए गए तमसो मां ज्योतिर्गमय का अर्थ है अंधकार से उजाले की ओर प्रस्थान करना। आध्यात्मिक पहलू से दीपक ही मनुष्य को अंधकार के जंजाल से उजाले की किरण की ओर ले जाता है। इस दीपक को जलाने के लिए तिल का तेल या फिर घी का इस्तेमाल किया जाता है।

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