16 नवम्बर 2018 को करें गाय की पूजा, नहीं होगी धन की कमी
लखनऊ। सनातम धर्म में गोपाष्टमी का विशेष महत्व है। इस बार 16 नवम्बर 2018 को गोापाष्टमी का पर्व पड़ रहा है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। दरअसल, गोपाष्टमी के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ग्वाला बने थे और गाय चराना शुरू किया था, इसीलिए गोपाष्टमी मनायी जाती है। गोपाष्टमी के दिन गाय की पूजा की जाती है। मान्यता है कि गाय माता जहां भी विचरण करती हैं वहां सांप बिच्छू जैसे विषैले जीव नहीं आते, जो गौ माता की सेवा करता है और उनकी पूजा करता है, उन पर आने वाली सभी विपदाएं गौ माता दूर कर देती हैं। गौ माता में 33 देवी देवताओं का वास होता है। ऐसे में यदि कोई गाय माता की सेवा करता है तो उसे उन सभी देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
कैसे करें गोपाष्टमी की पूजा : सबसे पहले इस दिन सुबह स्नान कर गौ माता को भी स्नान कराएं।
गौ माता को खूब अच्छी तरह सजाया जाता है, उन्हें मेहंदी, हल्दी, रंग के छापे लगाये जाते हैं। इस दिन बछड़े के साथ गौ पूजन करने विधान है, इसलिए बछड़े के साथ गौ माता की पूजा करें, इनके पांव में घुंघरू बांधे जाते हैं। सुबह-सुबह धूप.दीप, अक्षत, रोली, गुड़, वस्त्र और जल से गौ माता की पूजा करें, उनकी आरती उतारें। गौ माता को चारा खिलाएं और उनकी परिक्रमा करें, परिक्रमा के बाद कुछ दूर तक गायों के साथ चलें या उन्हें चराने ले जाएं। गायों को इस दिन गुड़ और मटर खिलाया जाता है, भगवान कृष्ण की भी पूजा की जाती है।
गोपाष्टमी के दिन कुछ लोग गायों के नीचे से निकलते हैं। तीर्थ के बाद जो पुण्य मिलता है, वही पुण्य गौ माता के नीचे से निकलने पर प्राप्त होता है। वैसे तो वर्ष भर में गाय पूजन के कई पर्व हैं, लेकिन वैदिक युग में गाय का समाज में अहम स्थान था, आज गायों की पूजा अपेक्षाकृत नहीं की जाती, इसीलिये भारत में दूध की कमी है और मिलावटी दूध पीने पर लोग मजबूर हैं। देश में दूध की शीर्ष कम्पनियां भी मानक पर खरा नहीं उतर पा रही हैं। इसलिए हर भारतीय को अपने घर में एक गाय पालन जरूर करना चाहिए। इसके कई वैज्ञानिक गुण हैं, जिससे समाज काफी लाभान्वित हो सकता है।
अभिषेक त्रिपाठी
दूरभाष - 8765587382
लखनऊ, उत्तर प्रदेश।
कैसे करें गोपाष्टमी की पूजा : सबसे पहले इस दिन सुबह स्नान कर गौ माता को भी स्नान कराएं।
गौ माता को खूब अच्छी तरह सजाया जाता है, उन्हें मेहंदी, हल्दी, रंग के छापे लगाये जाते हैं। इस दिन बछड़े के साथ गौ पूजन करने विधान है, इसलिए बछड़े के साथ गौ माता की पूजा करें, इनके पांव में घुंघरू बांधे जाते हैं। सुबह-सुबह धूप.दीप, अक्षत, रोली, गुड़, वस्त्र और जल से गौ माता की पूजा करें, उनकी आरती उतारें। गौ माता को चारा खिलाएं और उनकी परिक्रमा करें, परिक्रमा के बाद कुछ दूर तक गायों के साथ चलें या उन्हें चराने ले जाएं। गायों को इस दिन गुड़ और मटर खिलाया जाता है, भगवान कृष्ण की भी पूजा की जाती है।
गोपाष्टमी के दिन कुछ लोग गायों के नीचे से निकलते हैं। तीर्थ के बाद जो पुण्य मिलता है, वही पुण्य गौ माता के नीचे से निकलने पर प्राप्त होता है। वैसे तो वर्ष भर में गाय पूजन के कई पर्व हैं, लेकिन वैदिक युग में गाय का समाज में अहम स्थान था, आज गायों की पूजा अपेक्षाकृत नहीं की जाती, इसीलिये भारत में दूध की कमी है और मिलावटी दूध पीने पर लोग मजबूर हैं। देश में दूध की शीर्ष कम्पनियां भी मानक पर खरा नहीं उतर पा रही हैं। इसलिए हर भारतीय को अपने घर में एक गाय पालन जरूर करना चाहिए। इसके कई वैज्ञानिक गुण हैं, जिससे समाज काफी लाभान्वित हो सकता है।
अभिषेक त्रिपाठी
दूरभाष - 8765587382
लखनऊ, उत्तर प्रदेश।
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