2018 का कार्तिक पूर्णिमा 23 नवम्बर को, गंगा स्नान से धुल जाते हैं महापाप
लखनऊ। सनातन धर्म में कार्तिक महीने की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा, त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान की पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन को त्रिपुरी पूर्णिमा इसलिए कहते हैं क्योंकि आज के दिन ही भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक असुर का अंत किया था और इसी के बाद से भगवान शिव को त्रिपुरारी के रूप में पूजा जाने लगा था। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से भी पूरे वर्ष स्नान करने का फल मिलता है। हर साल 12 पूर्णिमा होती हैं जो हर महीनें आती हैं। वहीं कार्तिक पूर्णिमा को सिख सम्प्रदाय में प्रकाशोत्सव के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि इस दिन उनके संस्थापक गुरू नानक देव का जन्म हुआ था। इस दिन को गुरु पर्व भी कहा जाता है। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा को बैकुण्ठ धाम में देवी तुलसी का प्रकट हुई थीं और कार्तिक पूर्णिमा को ही देवी तुलसी ने पृथ्वी पर जन्म ग्रहण किया था। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु ने प्रलय काल में वेदों की रक्षा के लिए तथा सृष्टि को बचाने के लिए मत्स्य अवतार धारण किया था। इसी प्रकार शिव-पार्वती के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय के संबंध में भी एक कथा है जो इस दिन उनकी पूजा के महत्व का वर्णन करती है। कहते हैं कि जब प्रथम पूज्य होने की प्रतियोगिता में उनके छोटे भाई श्री गणेश को विजयी घोषित कर दिया गया तो कार्तिकेय काफी नाराज हो गए और साधना करने वन चले गए। जब शिव और पार्वती उन्हें मनाने गए तो उन्होंने क्रोध में शाप दिया कि यदि कोई स्त्री उनके दर्शन करने आयेगी तो वो सात जन्म तक वैध्व्य भोगेगी और यदि किसी पुरुष ने ऐसा करने का प्रयास किया तो वो मृत्यु के बाद नरक जायेगा। बाद में किसी तरह महादेव और देवी ने उनका क्रोध शांत किया और कहा कि कोई एक दिन तो उनके दर्शन के लिए होना चाहिए, तब कार्तिकेय ने कहा कार्तिक पूर्णिमा पर उनका दर्शन महा फलदायी होगा। इसीलिए साल में एक ही बार वो अब दर्शन देते हैं। इसी वजह से उनका एक ही मंदिर है जो ग्वालियर में है। 400 साल पुराने कहे जाने वाले इस मंदिर के पट वर्ष में एक बार कार्तिक पूर्णिमा की रात को खोला जाता है और प्रातःकाल स्नान, पूजा के बाद एक साल के लिए बंद कर दिए जाते हैं। हिंदू धर्म के अऩुसार कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान, दान व पूजा-पाठ का अधिक महत्व है। हालांकि स्नान 22 नवंबर से ही प्रारंभ हो जाएंगे।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन विशेष पुण्यफल प्राप्ति के लिए क्या करें
कार्तिक पूर्णिमा के दिन विशेष पुण्यफल प्राप्ति के लिए क्या करें
- कार्तिक पूर्णिमा पर अपने आंगन में रंगोली बनाएं व घर को फूलों से सजाएं। इससे घर में सदा ही सुख, समृद्धि बनी रहती है और नवग्रह भी प्रसन्न होते हैं।
- पूर्णिमा पर चन्द्रमा के उदय होने के पश्चात खीर में मिश्री व गंगा जल मिलाकर मां लक्ष्मी को भोग लगाएं।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन गो दान का विशेष महत्व माना जाता हैए गौ दान का अनंत पुण्यदायी फल प्राप्त होता है।
- कार्तिक पूर्णिमा पर गरीबों को चावल दान करना बहुत शुभ होता है, चावल को चंद्रमा का कारक माना जाता है, इस दिन चावल दान करने से चंद्र ग्रह से शुभ फल प्राप्त होते हैं।
- पूर्णिमा के दिन पत्नी, बच्ची, माता को उपहार भेंट करें, इससे चंद्रमा की स्थिति ठीक होती है।
- इसी तरह शिवलिंग पर कच्चा दूध, शहद व गंगाजल मिला कर चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन अपने घर के मुख्य द्वार पर आम के पत्तों का तोरण जरुर बांधें, इससे नकारात्मकता घर से खत्म हो जाती है।
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