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मेष राशि के लिये उत्तम रहेगा '2022'

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ज्योतिष। इस वर्ष यानि 2022 मेष राशि वालों के लिये नौकरी में पदोन्नति के योग की प्रबल संभावनाएं इस वर्ष बनने और कार्य में सक्रियता और महत्वपूर्ण निर्णय लेने का सबसे शुभ समय मध्य मई से अक्टूबर तक का होगा। वहीं नवम्बर और दिसम्बर का महीना आपकी ऊर्जा को धीमा कर सकता है। इस दौरान जातक को परेशानी उठानी पड़ सकती है। वर्ष 2022 आपके लिए मिले जुले फल लेकर आएगा। इस वर्ष 2022 में शनि आपके दशम भाव में मौजूद रहेंगे। इस वर्ष मेष राशि को सफलता पाने के लिए अतिरिक्त मेहनत करना होगी। आलस को छोड़ना हित में होगा। वर्ष 2022 में मंगल जीवन में मंगल करेंगे। कई महत्वपूर्ण बदलाव होंगे। 16 जनवरी को मंगल का धनु राशि में प्रवेश होगा, यह योग मालामाल कर देगा। कई शुभ फल मिलने के योग बनेंगे और मेष राशि के जातकों के जीवन में सकारात्मकता देखी जाएगी। रोमांस के सितारे गड़बड़ दिखाई दे रहे हैं। 13 अप्रैल को जब गुरु बृहस्पति का मीन में गोचर होगा, तो वो आपकी राशि से 12वें भाव यानी हानि भाव में प्रवेश करेंगे। बृहस्पति इस राशि के विद्यार्थियों को सबसे अधिक प्रभावित कर सकते हैं। परीक्षा में सफलता अर्जित करते हुए, अच्छे अंक हासिल क...

कोरोना के नये वैरिएंट से फिर मचा हाहाकार

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विचार। कोरोना के नये वैरिएंट को लेकर विश्व समुदाय में फिर बेचैनी है। इस नए वैरिएंट और इसके खतरे को देखते हुए कई देशों ने यात्राओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। कोरोना वायरस के नए वेरिएंट बी-1-1-529 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन के डर से ओमीक्रोन नाम दिया है। वहीं भारत की बात करें तो भारत के कई राज्यों में कोरोना के मामले बहुत ही तेजी से बढ़े हैं, कोरोना के बढ़े मामलों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चिंता जताई और सतर्क रहने की हिदायत दी। नया कोरोना वैरिएंट दक्षिण अफ्रीका, यूरोप, इजराइल समेत कई देशों में पहुंच गया है। इस वायरस को रोकने के लिए यूरोपीय देश की सरकारें फिर से सख्त नियम लागू करने की पक्रियाएं शुरू कर दी है, इस सख्ती के विरोध में प्रदर्शन भी हो रहे हैं। जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री जेम्स स्पैन ने चेतावनी देते हुए कहा कि इस साल के अंत तक जर्मनी के लोग या तो पूरी तरह वैक्सीनेटिड हो जाएंगे या ठीक हो जाएंगे या मर जाएंगे। केस बढऩे के कारण बेल्जियम ने मास्क अनिवार्य कर दिया है। लोगों को घर से ही काम करने के निर्देश दिए गए हैं। सख्त नियमों और वैक्सीन के लिए प्रोरित करने वाले सरकारी उपाय...

4 दिसम्बर को है शनिचरी अमावस्या, अशुभ प्रभाव दूर करेंगे शनि देव

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ज्योतिष। शास्त्र के अनुसार शनिचरी अमावस्या के दिन शनि से पीड़ित व्यक्तियों के लिए दान का महत्व बहुत बढ़ जाता है। शनि से प्रभावित व्यक्तियों का जीवन कई प्रकार के परेशानियों से घिरा हुआ रहता हैं। बनते कार्य में बाधा आना, कार्य आसानी से न बनना, अचानक चोट लगना या निरंतर नुकसान होना आदि कई समस्याओं का सामना उन्हें करना पड़ता है। अत: इन्हीं समस्याओं से निजात पाने या इन्हें कम करने के लिए शनि अमावस्या के दिन शनि से सम्बन्धित वस्तुओं का दान करना उत्तम रहता है। शनि के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए एक कटोरी में तिल का तेल लेकर उसमें अपना चेहरा देखकर शनि मंदिर में कटोरी और तेल दोनों ही रख आएं। माना जाता हैं कि तिल के तेल से शनि विशेष प्रसन्न रहते हैं। साबुत काले उड़द सवापाव की मात्रा में लेकर काले कपड़े में बांध लें और शुक्रवार को उसे अपने पास ही रखकर सोएं। फिर शनिवार को उस पोटली को शनि मंदिर में रख आएं। एक शीशी काला सुरमा खरीद लें और शनिवार के दिन 9 बार अपने ऊपर से सिर से पैर तक किसी से उतरवा कर सूनसान जमीन में गाड़ दें। शनि मंत्र- ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः का जप करके भी काफी हद तक शनि के कुप...

भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर राजनीति

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विचार। भारत में पेट्रोल व डीजल महंगा होने से ही महंगाई है। जीवन मेें उपयोग होने वाली अधिकतर चीजों को वाहनों से ही एक से दूसरे जगह पहुंचाया जाता है। इन वाहनों को आनेजाने में ईंधन खर्च होता है और ईंधन महंगा है, तो जाहिर सी बात है महंगाई रहेगी, चाहे जिस किसी भी दल की सरकार हो। महंगाई पर काबू करने के लिये पेट्रोल व डीजल की कीमतों पर लगाम लगानी होगी। बीते दीपावली की पूर्व संध्या पर भारत सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कमी की घोषणा की थी। पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क क्रमशः 5 रुपए और 10 रुपए कम किया गया। पेट्रोल पर अभी तक एक्साइड ड्यूटी 32.90 पैसे थी, जो घटकर 27.90 पैसे हो गई। वहीं डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 31.80 पैसे थी, जो घटकर 21.80 पैसे हो गई। वहीं वित्त मंत्रालय ने कहा था कि भारत सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में क्रमशः 5 रुपए और 10 रुपए की कमी करने का एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। राज्यों से उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए पेट्रोल और डीजल पर वैट कम करने का भी आग्रह किया गया है। एक्साइज ड्यूटी में कमी होने से भारत को 60 हजार करोड़ रुपये के राजस्व का नु...

वेश्या को स्वर्ग, संन्यासी को नरक

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प्रेरक कथा। एक संन्यासी की जिस दिन मौत हुई, उसी दिन एक वेश्या की भी मौत हो गयी, दोनों ही आमने-सामने रहते थे। देवदूत लेने आए, तो संन्यासी को नरक की तरफ ले जाने लगे और वेश्या को स्वर्ग की तरफ। संन्यासी ने देवदूतों से कहा, रुकिये, लगता है कुछ भूल हो गई मालूम होती है, मुझ संन्यासी को नरक की तरफ, वेश्या को स्वर्ग की तरफ, क्यों ? जरूर आपके संदेश में कहीं कोई भूल हो गई है। शक तो उन देवदूतों को भी हुआ। उन्होंने कहा, भूल कभी हुई तो नहीं, लेकिन मामला तो साफ दिखता है कि यह वेश्या है और तुम संन्यासी हो। वे गए लेकिन फिर ऊपर से खबर आई कि कोई भूल-चूक नहीं है, जो होना था, वही हुआ है। वेश्या को स्वर्ग में ले आओ, संन्यासी को नरक में डाल दो और अगर ज्यादा ही जिद करे, तो उसे कारण समझा देना। संन्यासी ने जिद की, तो देवदूतों यह कारण बताना पड़ा—संन्यासी रहता तो मंदिर में था, लेकिन सोचता सदा वेश्या की था, भगवान की पूजा तो करता था, आरती भी उतारता था, लेकिन मन में प्रतिमा वेश्या की होती थी और जब वेश्या के घर में रात राग-रंग होता, बाजे बजते, नाच होता, कहकहे उठते, नशे में डूब कर लोग उन्मत्त होते, तो संन्यासी को ऐस...

चरित्र से होती है व्यक्ति की पहचान

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बोधकथा। एक बार की बात है स्वामी विवेकानंद के विदेशी मित्र ने उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस से मिलने के लिये निवेदन करते हुये कहा कि वह उस महान व्यक्ति से मिलना चाहता है। जिसने आप जैसे महान व्यक्तित्व का निर्माण किया। जब स्वामी विवेकानंद ने उस मित्र को अपने गुरु से मिलवाया तो वह मित्र, स्वामी रामकृष्ण परमहंस के पहनावे को देखकर आश्चर्यचकित हो गया। उसने कहा “यह व्यक्ति आपका गुरु कैसे हो सकता है, इनको तो कपड़े पहनने का भी ढंग नहीं है”। तो स्वामी विवेकानंद ने बड़ी विनम्रता से कहा– “मित्र आपके देश में चरित्र का निर्माण एक दर्जी करता है लेकिन हमारे देश में चरित्र का निर्माण आचार-विचार करते है|” व्यक्ति की पहचान कपड़ों से नहीं, बल्कि उसके बुद्धि, विचार और चरित्र से होती है।

उत्पन्ना एकादशी के पूजन से मिलता है अपार पुण्य

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  आस्था। बहुत कम ही लोगों को पता है कि एकादशी एक देवी थी, जिनका जन्म भगवान विष्णु से हुआ था। एकादशी अगहन मास की कृष्ण एकादशी को प्रकट हुई थीं, जिसके कारण इस एकादशी का नाम उत्पन्ना एकादशी पड़ा इसी दिन से एकादशी व्रत शुरू हुआ था। ऐसा माना जाता है कि स्वयं श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को एकादशी माता के जन्म की कथा सुनाई। वैतरणी एकादशी को व्रत-उपवास रखने से शीघ्र ही समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। हेमंत ऋतु में आने वाली इस एकादशी को उत्पत्तिका, उत्पन्ना और वैतरणी एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी के दिन त्रिस्पृशा यानी कि जिसमें एकादशी, द्वादशी और त्रयोदशी तिथि भी हो, वह बड़ी शुभ मानी जाती है। इस दिन एकादशी का व्रत रखने से एक सौ एकादशी व्रत करने का फल मिलता है। ग्रंथों के अनुसार अगहन मास भगवान कृष्‍ण और विष्णु की भक्ति का महीना माना गया है। इस दिन विष्णु के शरीर से माता एकादशी उत्पन्न हुई थीं। कथा के अनुसार सतयुग में एक मुर नामक दैत्य था जिसने इंद्र सहित सभी देवताओं को जीत लिया। भयभीत देवता भगवान शिव से मिले तो शिव जी ने देवताओं को श्री हरि विष्‍णु के पास जाने को कहा। क्षीरसागर के जल में शयन क...