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देश में लागू करना चाहिए प्राचीन भारत की राजनीतिक व्यवस्था

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विचार। भारत की राजनीतिक व्यवस्था अनंतकाल से है, भारत में सुदृढ़ व्यवस्था विद्यमान थी। इसके साक्ष्य हमें प्राचीन साहित्य, सिक्कों और अभिलेखों में देखने को मिल ही जाते हैं। विदेशी यात्रियों और विद्वानों के वर्णन में भी इन बातों के प्रमाण हैं। प्राचीन गणतांत्रिक व्यवस्था में आजकल की तरह ही शासक एवं शासन के अन्य पदाधिकारियों के लिए निर्वाचन प्रणाली थी। योग्यता एवं गुणों के आधार पर इनके चुनाव की प्रक्रिया आज के दौर से थोड़ी भिन्न जरूर थी। सभी नागरिकों को वोट देने का अधिकार नहीं था। ऋग्वेद तथा कौटिल्य साहित्य ने चुनाव पद्धति की पुष्टि की है परंतु उन्होंने वोट देने के अधिकार पर रोशनी नहीं डाली है। वर्तमान संसद की तरह ही प्राचीन समय में परिषदों का निर्माण किया गया था जो वर्तमान संसदीय प्रणाली से मिलता-जुलता था। गणराज्य या संघ की नीतियों का संचालन इन्हीं परिषदों द्वारा होता था। इसके सदस्यों की संख्या विशाल थी। उस समय के सबसे प्रसिद्ध गणराज्य लिच्छवि की केंद्रीय परिषद में 7707 सदस्य थे। वहीं यौधेय की केन्द्रीय परिषद के 5000 सदस्य थे। वर्तमान संसदीय सत्र की तरह ही परिषदों के अधिवेशन नियमित रूप से...

बड़ी ही मार्मिक है नर्मदा नदी की प्रेम कथा, आखिर क्यों विपरीत दिशा में बहती हैं!

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कथा। अपने देश में नदियों को जीवनदायिनी कहा गया है, नदी पूजनीय है। वैसे तो मौजूदा दौर में गंगा को अधिक महत्व दिया गया है, लेकिन नर्मदा नदी की महिमा अभी कम ही लोग जान पाये हैं, नर्मदा की पवित्रता और शोणभद्र के विरह में कैसे विपरीत दिशा में चली जाती हैं, यह निहायत ही हृदय विदारक है। इसीलिये नमामि देवी नर्मदे! नर्मदा घाटी की सभ्यता एशिया महाद्वीप की प्राचीनतम सभ्यताओ में से एक और भारतीय उपमहाद्वीप की सर्वाधिक प्राचीन सभ्यता का केंद्र रही हैं। यह नदी समुद्र में मिलने से पूर्व 1312 किलोमीटर लम्बे रास्ते में मध्यप्रदेश, गुजरात व महाराष्ट्र के क्षेत्र से 95 हजार 726 वर्ग किलोमीटर का पानी बहा ले जाती हैं। नर्मदा की सहायक नदी की संख्या 41 है। 22 बायें किनारे पर और 19 दायें किनारे पर मिलती हैं। नर्मदा, मध्य भारत के मध्य प्रदेश और गुजरात राज्य में बहने वाली एक प्रमुख नदी है। मैकल पर्वत के अमरकण्टक शिखर से नर्मदा नदी की उत्पत्ति हुई है। नर्मदा की लम्बाई प्रायः 1312 किलोमीटर है। यह नदी पश्चिम की तरफ जाकर खम्बात की खाड़ी में समा जाती हैं। माना जाता है कि नर्मदा ने अपने प्रेमी शोणभद्र से धोखा खाने के...

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन शुरू, अब आसानी से होगा गरीबों का इलाज

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   विचार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आज नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन का शुभारम्भ किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इस सुविधा से स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। पीएम डिजिटल हेल्थ मिशन का उद्देश्य आम लोगों को बेहतर व त्वरित स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना है, जिसके तहत हरेक व्यक्ति की एक हेल्थ आईडी बनेगी। डिजिटल प्लेटफॉर्म पर हेल्थ-आईडी बनाने का विकल्प चुनने पर आपसे लाभार्थी का नाम, उसका जन्म-वर्ष, लिंग, मोबाइल नंबर और पूर्ण पता कलेक्ट किया जाता है। इसके बाद आपकी हेल्थ आईडी बनाई जाती है। जिसकी मदद से किसी भी व्यक्ति का व्यक्तिगत स्वास्थ्य (पर्सनल हेल्थ) रिकॉर्ड रखा जा सकेगा।  इस सुविधा से सभी नागरिकों का हेल्थ रिकार्ड सुरक्षित रहेगा। आयुष्मान भारत-डिजिटल मिशन, अब पूरे देश के अस्पतालों के डिजिटल हेल्थ सल्यूशंस को एक दूसरे से कनेक्ट करेगा। इसके तहत देशवासियों को अब एक डिजिटल हेल्थ आईडी मिलेगी। हर नागरिक का हेल्थ रिकार्ड डिजिटली सुरक्षित रहेगा। कोरोना काल में टेलिमेडिसिन का भी अभूतपूर्व विस्तार हुआ है। ई संजीव...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पंडित दीनदयाल उपाध्याय को दी श्रद्धांजलि

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विचार। बीते 25 सितम्बर 2021 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 105वीं जयंती मनाई गयी। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर तमाम दिग्गजों ने पं. दीनदयाल को नमन किया। 25 सितम्बर 1916 को दीनदयाल का उत्तर प्रदेश के मथुरा में जन्म हुआ था। प्रधानमंत्री ने ट्वीट करते हुए लिखा कि एकात्म मानव दर्शन के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय को उनकी जयंती पर शत-शत नमन। उन्होंने राष्ट्र निर्माण में अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनके विचार देशवासियों को सदैव प्रेरित करते रहेंगे। आज के मौजूदा दौर में भारत से नेतृत्व की उम्मीद कर रहा है विश्व, इसके पीछे एकात्म मानववाद पर आधारित नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियां और कार्यशैली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 25 सितम्बर को  संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र को संबोधित किया। कोरोना, आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन समेत कई अहम मुद्दों पर उन्होंने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। इसके साथ ही उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में चाणक्य और महान कवि रवींद्र नाथ टैगोर को भी याद किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने चाय बेचने वाले दिनों का भी जिक्र किया। कोरोना काल में...

5 राशियों पर 17 अक्टूबर तक बनी रहेगी सूर्य की कृपा

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ज्योतिष। ग्रहों के राजस सूर्य इस समय कन्या राशि में विराजमान हैं, जो 17 अक्टूबर तक कन्या राशि में गोचर करेंगे। सूर्य के शुभ होने पर व्यक्ति का भाग्योदय हो जाता है। 21 दिनों तक सूर्य पांच राशियों पर कृपादृष्टि बनाये रहेंगे, यानि 17 अक्टूबर 2021 तक पांच राशियों को उत्तर परिणाम मिलने के आसार हैं— मेष : इस राशि के लोगों को कार्यस्थल पर मान-सम्मान प्राप्त होगा। आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर होगी। स्वास्थ्य में सुधार होगा। वैवाहिक जीवन सुखद रहेगा। इस दौरान आप शत्रुओं पर विजय प्राप्त करेंगे। मिथुन : इस राशि के जातकों का समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा। नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को शुभ परिणाम मिल सकता है। आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होगी। दांपत्य जीवन सुखद रहेगा। धन लाभ होगा, पारिवारिक रिश्तों में मधुरता बढ़ेगी। पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। सिंह : इस राशि के लोगों को पद, प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। निवेश करने का प्लान बना रहे हैं तो यह आपके लिए लाभकारी साबित होगा। लेन-देन के लिए समय शुभ है। धन से जुड़े मामलों में सफलता हासिल होगी। वृश्चिक : इस राशि के जातकों को 17 अक्टूबर तक कार्यक्षेत्र ...

उत्तराखंड के केदारनाथ में वर्षों बाद खिला दुर्लभ नीलकमल

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जानकारी। उत्तराखंड के वासुकीताल कुंड से लेकर करीब 3 किमी क्षेत्र में कई सालों बाद नीलकमल के फूल खिले हैं। इस फूल का खिलना एक चमत्कार ही है क्योंकि यह अति दुर्लभ फूल है और यह सालों में एक बार ही खिलता है। यह भी माना जा रहा है कि लाकडॉउन के चलते जब हिमालय क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर कम हुआ तो वहां की प्रकृति ने भी सांस लेना शुरू कर दिया है। हिमालय क्षेत्र में 4 प्रकार के कमल के फूल मिलते हैं-नीलकमल, ब्रह्मकमल, फेन कमल और कस्तूरा कमल। सनातन धर्म के अनुसार कमल के फूल की उत्पत्ति भगवान विष्णुजी की नाभि से हुई है और कमल के फूल से ब्रह्माजी की उत्पत्ति मानी जाती है। कमल के पुष्प को ब्रह्मा, लक्ष्मी तथा सरस्वती जी ने अपना आसन बनाया है। कमल का फूल नीला, गुलाबी और सफेद रंग का होता है। कुमुदनी और उत्पल (नीलकमल) यह कमल के ही प्रकार हैं। इसके पत्तों और रंगों में भिन्नता रहती है। नीलकमल को भगवान विष्णु का प्रिय पुष्प माना जाता है। इस फूल का वानस्पतिक नाम नेयम्फयस नॉचलि या जेनशियाना फाइटोकेलिक्स है। यह नीले रंग का होता है।यह एशिया के दक्षिणी और पूर्वी भाग का देशज पादप है तथा श्रीलंका ए...

चाणक्य के सामने चीनी दर्शनिक हुआ नतमस्तक, जानें पांच गूढ़ बातें

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बोधकथा : एक बार की बात है, एक चीनी दार्शनिक आचार्य चाणक्य से मिलने आया, जब वह चाणक्य के घर पहुंचा तब तक काफी अंधेरा हो चुका था। घर में प्रवेश करते समय उसने देखा कि तेल के माध्यम से प्रज्ज्वलित दीपक के प्रकाश में चाणक्य कोई ग्रन्थ लिखने में व्यस्त हैं। जैसे ही चाणक्य की नज़र चीनी दार्शनिक पर पड़ी, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए उनका स्वागत किया, फिर जल्दी से अपना लेखन कार्य समाप्त कर उस दीपक को बुझा दिया, जिसके प्रकाश में वे आगंतुक के आगमन तक कार्य कर रहे थे। इसके बाद चाणक्य एक दूसरा दीपक जलाकर, चीनी दार्शनिक से बातचीत करने लगे, यह देखकर उस चीनी दार्शनिक को काफी आश्चर्य हुआ, उसने सोचा कि अवश्य ही भारत में इस तरह का कोई रिवाज़ होगा, लेकिन फिर भी उसने जिज्ञासावश चाणक्य से पूछा कि मित्र, मेरे आगमन पर आपने एक दीपक बुझा कर ठीक वैसा ही दूसरा दीपक जला दिया, दोनों में मुझे कोई अंतर नहीं दिखता, क्या भारत में आगंतुक के आने पर नया दीपक जलाने का रिवाज़ है? इस बात पर चाणक्य ने मुस्कुराकर कहा कि नहीं मित्र, ऐसी कोई बात नहीं है। जब आपने मेरे घर में प्रवेश किया, उस समय मैं राज्य का कार्य कर रहा था, इसलिए वह द...

दीपावली से अधिक शुभदायक है गजलक्ष्मी का व्रत, 8 गुना बढ़ता है सोना

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ज्योतिष। इस समय पितृपक्ष चल रहा है, इस दौरान नयी वस्तुएं खरीदना, नये परिधान पहनना भी निषेध होता है। लेकिन पितृपक्ष के इन 16 दिनों में अष्टमी का दिन विशेष रूप से शुभ माना गया है। श्राद्ध पक्ष में आने वाली अष्टमी इस बार 29 सितम्बर को पड़ रही है। पितृपक्ष अष्टमी के दिन सोना खरीदने का विशेष महत्व है, कहा जाता है कि इस दिन खरीदा सोना आठ गुना बढ़ता है। इस दिन हाथी पर सवार मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। इस व्रत को दीपावली से अधिक मान्यता दी जाती है। शाम के समय स्नान कर घर के देवालय में एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर केसर मिले चन्दन से अष्टदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रखें। कलश के पास हल्दी से कमल बनाकर उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति प्रतिष्ठित करें। मिट्टी का हाथी बाजार से लाकर या घर में बना कर उसे स्वर्णाभूषणों से सजाएं। नया खरीदा सोना हाथी पर रखने से पूजा का विशेष लाभ मिलता है। श्रद्धानुसार चांदी या सोने का हाथी भी ला सकते हैं। चांदी के हाथी का कई गुना अधिक महत्व है, स्वर्ण हाथी से भी अधिक, इसलिये इस दिन सम्भव हो तो चांदी का हाथी अवश्य खरीदें। माता लक्ष्मी की मूर्ति के सामने श्री...

19 सितम्बर को है अनंत चतुर्दशी, विष्णु पूजन से दूर होगी दरिद्रता

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ज्योतिष। शास्त्र के अनुसार इस वर्ष यानि 2021 में 19 सितम्बर को अनंत चतुर्दशी है। पुराणों में अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान अनंत यनि श्री विष्णु की पूजा का विधान है। अग्नि पुराण में अनंत चतुर्दशी व्रत के महत्व का वर्णन मिलता है। इस दिन अनंत सूत्र बांधने का विशेष महत्व होता है। इस व्रत में भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा के बाद बाजू पर अनंत सूत्र बांधा जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों द्वारा जुए में अपना राजपाट हार जाने के बाद श्रीकृष्ण से पूछा था कि दोबारा राजपाट प्राप्त हो और इस कष्ट से छुटकारा मिले इसका उपाय बताएं तो श्रीकृष्‍ण ने उन्हें सपरिवार सहित अनंत चतुर्दशी का व्रत बताया था। चतुर्मास में भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर अनंत शयन में रहते हैं। अनंत भगवान ने ही वामन अवतार में दो पग में ही तीनों लोकों को नाप लिया था। इनके न तो आदि का पता है न अंत का, इसलिए भी यह अनंत कहलाते हैं अत: इनके पूजन से आपके सभी कष्ट समाप्त हो जाएंगे। भगवान विष्णु के सेवक भगवान शेषनाग का नाम अनंत है। पूजा की विधि : सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेकर पूजा स्थल पर कलश स्थापित ...

ग्रह, नक्षत्रों के आधार पर रखे गये हैं बारहों महीनों के नाम

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ज्योतिष। शास्त्र के अनुसार पूर्र वर्ष को बारह महीनों में बांटा गया है। प्रत्येक महीने में तीस दिन होते हैं। महीने को चंद्रमा की कलाओं के घटने और बढ़ने के आधार पर दो पक्षों यानि शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में विभाजित किया गया है। एक पक्ष में लगभग पंद्रह दिन या दो सप्ताह होते हैं। एक सप्ताह में सात दिन होते हैं। ज्योतिषीय गणना के अनुसार बारहों महीनों के नाम और उन महीनों में कौन सा मुख्य पर्व पड़ता है और मौसम का क्या मिजाज रहता है, निम्न है— चैत्र : यह महीना चित्रा नक्षत्र पर रखा गया है, चैत्र पूर्णिमा के दिन हमेशा चित्रा या स्वाति नक्षत्र ही आता है। इस माह में मेष राशि का गोचर रहता है। इसमें बसंत ऋतु रहती है।  महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा, तमिलनाडु में चैत्री विशु और कर्नाटक व आंध्रप्रदेश में उगादी जैसे त्‍योहार मनाए जाते हैं। बैसाख : यह माह विशाखा नक्षत्र पर रखा गया है क्योंकि इसकी पूर्णिमा को हमेशा विशाखा या अनुराधा ही आता है। इस माह में वृषभ राशि का गोचर रहता है। इसमें बसंत ऋतु के बाद ग्रीष्म ऋतु शुरू हो जाती है। बैसाख पूर्णिमा को भगवान बुद्ध के जन्मोत्सव बुद्ध पूर्णिमा क...