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अक्टूबर, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

महान गुण है कृतज्ञता

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 विचार : हमें दूसरों से क्या नहीं मिला, इस पक्ष पर यदि विचार करें तो प्रतीत होगा कि कंजूसी कर ली गई और जितना वे दे सकते थे, उतना नहीं दिया। ऐसी दृ​ष्टि से हमें दूसरों की उदारता पर उंगली उठाने और उन्हें कृपण कहने के पर्याप्त प्रमाण मिल जाएंगे। ऐसी दशा में अपना क्षोभ, रोष और असंतोष ही बढ़ेगा। विचार करने का एक दूसरा पहलू भी है और वह यह कि जो मिला, वह कितना अधिक है। यदि इतना भी न मिलता तो हम क्या कर सकते थे। जबरदस्ती तो किसी को भी कुछ देने के लिए विवश नहीं किया जा सकता। हमारा कुछ ऋण या दबाव तो था नहीं, जो दिया गया वह प्रेम, उदारता और सौजन्य से ही दिया गया है। ऐसी दशा में यदि स्वल्प मिला तो भी उससे असंतुष्ट क्यों होना चाहिए। जिन्होंने दिया, उन्हें दोष क्यों देना चाहिए। इस धरती पर असंख्य ऐसे हैं, जिनसे हमारा कोई परिचय—संबंध नहीं, उनसे किसी प्रकार का कोई सहयोग नहीं मिलता। जब हम कुछ भी न देने वालों पर रोष नहीं करते तो थोड़ी सहायता करने वालों से ही रूष्ट क्यों हों! स्वजन, सम्बन्धियों, मित्र, हितैषियों के और स्त्री, पुत्रों, अभिभावकों के द्वारा प्रदत्त अनुदानों का लेखा जोखा संग्रह करें, उनकी...

शांत, सौम्य और दयालु होते हैं नवम्बर माह में जन्म लेने वाले लोग

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  ज्योतिष : नवम्बर माह में जन्म लेने वाले लोगों में प्यार का अथाह सागर होता है। नवम्बर में पैदा हुए लोग दूसरों से बहुत अलग होते हैं और सभी को प्रभावित करता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवम्बर महीने में जन्मे लोग बड़े किस्मत वाले होते हैं। नवम्बर महीने में पैदा हुए लोग वफादार होते हैं, चाहे दोस्त हों, परिवार या फिर जीवनसाथी वे कभी भी आपके साथ धोखा नहीं करते हैं, आप उन पर आंख मूंदकर भरोसा कर सकते हैं। लोग इनके व्यक्तित्व की तरफ बहुत आकर्षित होते हैं, वे जहां कहीं भी जाते हैं, आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं। लोग उनकी मौजूदगी को पसंद करते हैं। कई बार दूसरे लोगों को इससे ईर्ष्या भी होने लगती है।  नवम्बर में पैदा हुए लोग समय पर काम करते हैं, जो कुछ भी वह ठान लेते हैं, वह करके दिखाते हैं, वह अपने हर काम में 200 प्रतिशत देते हैं। नवम्बर में पैदा हुए लोग बहुत ही मेहनती और बुद्धिमान होते हैं। इस माह में पैदा हुए लोगों को यह पसंद नहीं कि उनके राज किसी और को पता चलें, उन्हें अपनी निजी जिंदगी के लिए स्पेस चाहिए। इस महीने में पैदा हुए लोग शांत स्वभाव वाले होते हैं और अपनी भावनाओं पर ज्यादात...

प्रतिभा का न हो दुरुपयोग

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विचार : मुस्लिम सल्तनत के समय सुलतान महमूद का दरबार कवियों और कलाकारों के लिए अच्छा शरण स्थल बना हुआ था। उन दिनों प्राय: प्रत्येक राजा—महाराजा अपने दरबार में कवि रखा करते थे, जो उनके शौर्य, पराक्रम और उदारता की मनगढ़ंत कहानियां गढ़कर गीत बनाकर गाया करते। राज—महाराजा अपने प्रशस्ति गीत सुनकर बड़े प्रसन्न होते और कवियों को पुरस्कार भी देते। एक प्रकार से यह व्यवसाय ही बन गया था। सुलतान महमूद के प्रसिद्ध राजदरबार में भी एक शायर थे, जिनका नाम था, सनाई। सनाई उच्च कोटि के शेर और गजलें लिखते, परंतु वे होतीं सब सुलतान की प्रशंसा में। प्राय: वे सुलतान की प्रशंसा में नए—नए शेर गाते, गजलें लिखते और राजदरबार में गाकर सुनाते। इसके बदले में उन्हें पुरस्कार भी खूब मिलता और सम्मान भी। प्रतिष्ठा और पुरस्कार ने उन्हें गर्वोन्नत भी कर दिया था। एक बार की घटना है। उन्होंने सुलतान की प्रशंसा में कुछ शेर लिखे। उन्हें सुनाने के लिए वे राजदरबार की ओर चले। मार्ग में एक मदिरालय था, उसमें कोई शराबी मद्य पी रहा था। प्राय: ही लोग वहां शराब पीते, उनका ध्यान कदाचित ही उस ओर जाता। उस दिन उनके पैर अनायास ही ठिठक गए। कारण...

नवम्बर माह में लगेगा 2020 का अंतिम चंद्रग्रहण

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ज्योतिष : 17 अक्टूबर 2020 से शारदीय नवरात्रि शुरू हो रहा है। दुर्गा माता के भक्त नवरात्रि के रंग में रंग चुके हैं। बाजारों में दुर्गा पूजन के पंडाल भी सज गये हैं। उधर, दशहरा व दीपावली की तैयारियां भी जारी हैं। इसके अलावा बड़ी खबर यह है कि अगले महीने यानि नवम्बर में 2020 का अंतिम चंद्रग्रहण लगेगा। यह चंद्रग्रहण 30 नवंबर को पड़ेगा, जो देश के कई शहरों में देखा जा सकेगा। चूंकि यह उपच्छाया ग्रहण होने के कारण इसे सामान्य रूप से नहीं देखा जा सकेगा। उपच्छाया चंद्रग्रहण होने के कारण इसका कोई सूतक काल नहीं होगा। चंद्रग्रहण की शुरुआत 30 नवम्बर 2020 की दोपहर 1 बजकर 4 मिनट होगी और मध्यकाल दोपहर 3:13 बजे तक रहेगा। सायं 5:22 बजे चंद्रग्रहण समाप्त हो जाएगा। चंद्रग्रहण के दौरान लोगों को अपने आराध्य देव का जाप करना चाहिए, इससे उनके मन पर चंद्र ग्रहण का नकारात्मक असर नहीं होगा। उपच्छाया चंद्रग्रहण चंद्रमा जब भी धरती की परछाई में प्रवेश करता है तो उपच्छाया ग्रहण होता है। इस समय चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी आंशिक तौर पर कटी प्रतीत होती है और ग्रहण को चंद्रमा पर पड़ने वाली धुंधली परछाई के रूप में द...

समय एक मूल्यवान सम्पदा

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विचार : संसार में ऐसी कोई भी वस्तु नहीं जिसकी प्राप्ति मनुष्य के लिए असंभव हो। प्रयत्न और पुरुषार्थ से सभी कुछ पाया जा सकता है, लेकिन एक ऐसी भी चीज है, जिसे एक बार खोने के बाद कहीं नहीं पाया जा सकता है और वह है—समय। एक बार हाथ से निकला हुआ समय कभी हाथ नहीं आता। कहावत है—बीता हुआ समय और कहे शब्द कभी वापस नहीं बुलाये जा सकते। समय परामात्मा से भी महान है। भक्ति—साधना द्वारा परमात्मा का साक्षात्कार कई बार किया जा सकता है, लेकिन गुजरा हुआ समय पुन: नहीं मिलता। समय ही जीवन की परिभाषा है, क्योंकि समय से ही जीवन बनता है। समय का सदुपयोग करना जीवन का उपयोग करना है, समय का दुरुपयोग करना जीवन को नष्ट करना है। समय किसी की भी प्रतीक्षा नहीं करता, वह प्रतिक्षण, घंटे, दिन, महीनों, वर्षों के रूप में निरंतर अज्ञात दिशा में जाकर विलीन होता रहता है। फ्रेंकलिन ने कहा— समय बरबाद मत करो, क्योंकि समय से ही जीवन बना है। नि:संदेह वक्त और सागर की लहरें किसी की प्रतीक्षा नहीं करतीं। हमारा कर्तव्य है कि हम समय का पूरा—पूरा सदुपयोग करें। जो व्यक्ति अपना तनिक सा भी समय व्यर्थ नष्ट करते हैं, उन्हें समय अनेक सफलताओं ...

अक्टूबर माह में वृष राशि वालों को मिलेगा विशेष लाभ

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ज्योतिष : बारहों राशियों में वृष दूसरे स्थान पर है। वृष राशि का स्वामी शुक्र है। अक्टूबर महीने में सिंह राशि का होकर वृष चतुर्थ भाव में रहेगा। यह सुख का स्थान है इसलिए वृष राशि के जातकों को विशेष लाभ मिलने वाला है। जातक की आय में वृद्धि होगी। सुख-सुविधाओं के साधन प्राप्त होंगे। परिवार में खासतौर पर भाई-बहनों के सहयोग कोई बड़ी योजना साकार कर पाएंगे। इस माह जातक को कई बार व्यर्थ के कार्यों पर भी खर्च करना पड़ सकता है। किसी की आर्थिक मदद करना पड़ेगी। वैवाहिक जीवन में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। अविवाहितों के विवाह की बात इस माह बन सकती है। प्रेम संबंधों में प्रगाढ़ता आएगी। कारोबारियों को थोड़ा संभलकर और सुनियोजित प्लान बनाकर चलना होगा। कुछ अच्छे अवसर भी आपके सामने आ सकते हैं।  अक्टूबर के चौथे दिन प्रतिगामी मंगल मीन राशि में प्रवेश, मेष राशि से 11वें घर, 12वें घर । सूर्य कन्या पर पारगमन, 17 तक 5 घर और फिर वह तुला, 6 घर में ले जाता है । शुक्र सिंह राशि पर पारगमन, इस महीने की 23 तारीख तक चौथा घर और फिर वह कन्या, 5 घर में ले जाता है । बुध तुला, 6 घर पर अपना पारगमन जारी है । बृहस्पति अपने हस्ता...

ब्राह्मणत्व एक बड़ा उत्तरदायित्व

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विचार : ब्राह्मणत्व एक बड़ा उत्तरदायित्व है, जिसे निभाने वाला पुरोहित ही भूसुर कहलाता है। नीचैं: पद्यन्तामधरे भवन्तु ये न: सूरिं मघवानं पृतन्यान। क्षिणामि ब्रह्मणामित्रानुन्नयामि स्वानहम्।। भावार्थ : मैं ब्राह्मण स्वयं ज्ञान से सम्पन्न होकर मनोनिग्रहपूर्वक अपने यजमानों को ऊंचा उठाने का प्रयत्न करता रहूंगा। वे दुष्कर्मों की ओर न बढ़ें, किसी के हितों का अपहरण न करें, इसका ध्यान रखूंगा। संसार को उन्नतिशील बनाये रखने, तेजस्वी—वर्चस्वी बनाये रखने और तदनुसार सुख—समृद्धि का वातावरण निर्मित करने का उत्तरदायित्व ब्राह्मण पर है। जो इसे जानता—समझता है, वही सच्चा विद्वान और समाजनिष्ठ कहलाता है। ऐसे लोग स्वध्याय व सत्संग में कभी प्रमाद नहीं करते और अपने अर्जित ज्ञान का निरंतर दान करते हुए समाज की उन्नति हेतु तप—साधना में लीन रहते हैं। ठीक बात को समझना, समझने के बाद उसे प्राप्त करने का मार्ग ढूंढना, मार्ग खोजकर उस पर तप व साधना की भावना से चलना, यही मनुष्य को मनुष्य बनाने का उचित मार्ग है। इस मार्ग का अनुसरण करने के लिए ब्राह्मणों का कर्तव्य है कि वे मनोनिग्रह एवं इंद्रियसंयम को अपनाएं। मानसिक संत...

धैर्यवान बनें

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विचार : कोई भी काम करने में धैर्य की नितांत आवश्यकता है। जो धैर्यवान है, वह कर्म करने से पहले उसके शुभाशुभ परिणाम पर विचार कर सकता है। अपने कर्म के सत—असत एवं उपयोगिता—अनुपयोगिता पर सोच सकता है। इसके विपरीत जो अधैर्यवान है, आवेश अथवा उद्वेगपूर्ण है, वह न तो कर्म की इन आवश्यक भूमिकाओं पर विचार कर सकता है और न दक्षता प्राप्त कर सकता है। वह तो अस्त—व्यस्त क्रियाकलाप की तरह एक निरर्थक श्रम ही होता है।  अधैर्य मुनष्य का बहुत बड़ा दुर्गुण है। अधीर व्यक्ति में अपेक्षित गंभीरता का अभाव ही रहता है, जिससे वह चपलता के कारण समाज में उपहास, उपेक्षा और निंदा का पात्र बनता है। अधीर व्यक्ति के मन—बुद्धि स्थिर नहीं रहते। वह न किसी विषय में ठीक से सोच सकता है और न कृतृत्व का निर्णय कर सकता है। अधैर्यवान व्यक्ति अक्षरता, अस्त—व्यस्तता, अनिर्णयात्मकता एवं अक्षमता के कारण जीवन के हर क्षेत्र में असफल होकर दु:ख भोगता है। इसके विपरीत जो धैर्यवान है, वह जिस कार्य को पकड़ता है, उसे पूर्ण मनोयोग, विवेक, बुद्धि और समग्र शक्ति लगाकर पूरा किए बिना नहीं रहता। धैर्यवान व्यक्ति कर्म करके उसके फल की प्रतीक्षा में व...