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फ़रवरी, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

परिश्रम ही सबसे बड़ा धन

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   प्रेरक कथा : एक किसान के चार बेटे थे, चारों बहुत आलसी व निकम्मे प्रवृत्ति के थे। बेटों के भविष्य को लेकर बूढ़ा किसान चिंतित रहता था। कुछ ही दिन बीते कि किसान अत्यधिक बीमार पड़ गया। किसान ने चारों पुत्रों को पास बुलाया और कहा, मेरी मृत्यु नजदीक है, इसलिये मेरी बात ध्यान से सुनो। मैंने अपना सारा धन घर के पिछवाड़े वाले खेत में दबा रखा है। मेरे मरने के बाद तुम लोग उसे निकालकर बराबर-बराबर बांट लेना। इतना कहने के बाद उस किसान के प्राणपखेरू उड़ गए। किसान के चारों आलसी पुत्रों ने फटाफट खेतों में पहुंचकर उस कीमती खजाने को ढूंढना शुरू कर दिया ताकि खजाना सबसे पहले उनको ही मिले। खेतों को खोदने और खजाना ढूंढने का यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा, लेकिन उन्हें वहां कोई भी खजाना नहीं मिला, जिससे उन्हें बड़ी निराशा हुई। उसी गाँव का बूढ़ा सरपंच किसान का बहुत अच्छा दोस्त था। उसने किसान के पुत्रों को सलाह दी कि जब तुम चारों ने अपना सारा खेत खोद ही डाला है, तो इसमें अनाज के बीज भी बो दो। इससे कुछ फसल तैयार हो जायेगी। सरपंच की सलाह मानकर पुत्रों ने बीज बो दिए। लगभग तीन महीने में ही उस खेत में स...

सकारात्मक सोच

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प्रेरक कथा : एक झोपड़ी में दो संत रहते थे। दोनों रोज सुबह अलग-अलग गांवों पर जाते, भिक्षा मांगते और शाम होने तक झोपड़ी में लौट आते थे। भगवान का नाम तो वे जपते ही। इसी तरह उनका जीवन चल रहा था। एक दिन वे दोनों अलग-अलग गांवों में भिक्षा मांगने निकले तो शाम को अपने गांव लौटने पर उन्हें मालूम हुआ कि गांव में आंधी-तूफान आया था। जब पहला संत अपनी झोपड़ी के पास पहुंचा तो उसने देखा कि तूफान की वजह से झोपड़ी आधी टूट गई है। वह क्रोधित हो गया और भगवान को कोसने लगा। संत ने सोचा कि मैं रोज भगवान के नाम का जाप करता हूं, मंदिर में पूजा करता हूं। दूसरे गांवों में तो भगवान की कृपा से चोर-लुटेरों तक के घर सही-सलामत हैं, लेकिन उसने हमारी झोपड़ी तोड़ दी। हम दिन भर पूजा-पाठ करते हैं, लेकिन भगवान को हमारी चिंता नहीं है। थोड़ी देर बाद दूसरा संत झोपड़ी तक पहुंचा तो उसने देखा कि आंधी-तूफान की वजह से उसकी झोपड़ी भी आधी टूट गई है। यह देखकर वह खुश हो गया। भगवान को धन्यवाद देने लगा। साधु बोल रहा था कि हे भगवान, आज मुझे विश्वास हो गया कि तू हमसे सच्चा प्रेम करता है। हमारी भक्ति और पूजा-पाठ व्यर्थ नहीं गई। इतने भयंकर ...

मेंढकों की प्रतियोगिता

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प्रेरक कथा : तालाब के ठीक बीचोंबीच एक बड़ा-सा लोहे का खम्भा था। तालाब के मेंढकों ने एक दिन तय किया कि खम्भे पर चढ़ने के लिए रेस लगाई जाये और जो भी खम्भे पर चढ़ जायेगा, उसको प्रतियोगिता का विजेता माना जायेगा। रेस का दिन प्रतियोगिता स्थल पर कई मेढ़क एकत्रित हुए, पास के तालाब से भी कई मेंढक आये हुए थे। जब रेस शुरू हुई तो सब उस खम्भे को देख कर कहने लगे-अरे इस पर चढऩा नामुमकिन है, इसे तो कोई भी नहीं कर पायेगा, इस खम्भे पर तो चढ़ा ही नहीं जा सकता, कभी कोई यह रेस पूरी नहीं कर पाएगा। जो भी मेढ़क खम्भे पर चढऩे का प्रयास करता, खम्भे के चिकने व काफी ऊँचा होने के कारण थोड़ा-सा ऊपर जाकर नीचे गिर जाता। बार बार कोशिश करने के बाद काफी मेंढक हार मान चुके थे, जबकि कई मेंढक गिरने के बाद भी अपनी कोशिश जारी रखे हुए थे। रेस देखने आए मेंढक अभी भी जोर-जोर से चिल्ला रहे थे-अरे यह नहीं हो सकता। बार-बार ऐसा सुनकर रेस लगा रहे काफी मेंढक हार मान बैठे और उन मेंढकों का साथ देने लगे जो जोर-जोर से असम्भव असम्भव चिल्ला रहे थे। लेकिन अंतत: उन्हीं मे से एक छोटा मेंढक लगातार कोशिश करने के बाद खम्भे पर जा पंहुचा, हालाँकि ...

सनातन धर्म में कुंभ, अर्धकुंभ व महाकुंभ का विशेष महत्व

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आस्था : सनातन धर्म में कुंभ, अर्धकुंभ व महाकुंभ का विशेष महत्व है। कुंभ मेले का तात्पर्य है—एक सभा, मिलन, जो जल या अमरत्व का अमृत है। इस वर्ष यानि 2021 में कुंभ का आयोजन हरिद्वार में एक अप्रैल से शुरू होगा। महामारी के चलते कुंभ की अवधि 28 दिनों तक ही रखी गयी है। श्रद्धालुओं को कुंभ में शामिल होने की अनुमति तभी होगी जब वह कोरोना वायरस की निगेटिव रिपोर्ट पेश करेंगे जो उनके पहुंचने के 72 घंटे से पहले जारी नहीं की गई हो। इससे पहले कुंभ चार महीने से अधिक समय तक चलता था। तीन शाही स्नान एक अप्रैल से 28 अप्रैल के बीच होंगे। पहला शाही स्नान 12 अप्रैल (सोमवती अमावस्या), दूसरा 14 अप्रैल (बैसाखी) व तीसरा 27 अप्रैल (पूर्णिमा) को होगा। हर तीन वर्षों में हरिद्वार, उज्जैन, प्रयागराज व नासिक में एक बार आयोज‍ित होने वाले मेले को कुंभ, हरिद्वार और प्रयागराज में प्रत्येक छह वर्ष में आयोज‍ित होने वाले कुंभ को अर्धकुंभ और 12 साल में आयोज‍ित होने वाले कुंभ को पूर्ण कुंभ मेला कहते हैं। इसके अलावा केवल प्रयागराज में 144 वर्ष के अंतर पर आयोज‍ित होने वाले कुंभ को महाकुंभ कहा जाता है। प्रत्येक 144 वर्षों में प्रय...

रहस्यमयी व जिंदादिल होते हैं अश्विनी नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग

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ज्योतिष : वेदों में वर्णित ज्योतिष शास्त्र का कलयुग में विशेष महत्व है। ज्योतिष शास्त्र में बारह राशियों व 27 नक्षत्रों का वर्णन किया गया है। 27 नक्षत्रों में से अश्विनी नक्षत्र आकाश मंडल में पहले स्थान पर आता है। अश्विनी नक्षत्र के स्वामी केतु हैं। देवताओं के चिकित्सक माने जाते हैं अश्विनी कुमार। इस नक्षत्र की राशि मेष और राशि स्वामी मंगल है, इस नक्षत्र में जन्म लेने वालों लोगों पर केतु व मंगल दोनों का प्रभाव पड़ता है। अश्विनी नक्षत्र में जन्मे लोग ऊर्जावान के साथ जीवन में सक्रिय भी रहते हैं। ऐसे लोग बड़े और महत्वपूर्ण कार्यों को करने में ही ज्यादा आनंद प्राप्त करते हैं।  अश्विनी नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग जिद्दी स्वभाव, शांत प्रवृति व रहस्यमय प्रकृति, जिंदादिल व खुशमिजाज स्वभाव होने के चलते समाज में इन लोगों को विशेष स्थान मिलता है, नेतृत्व करने की क्षमता अधिक होती है। चाल बहुत तेज होती है, स्वतंत्र विचार के होते हैं और इसी तरह इनको अकेले में सोचना-समझना ज्यादा अच्छा लगता है। ऐसे लोगों को मित्र बनाना बहुत मुश्किल होता है। दाम्पत्य जीवन बहुत सुखमय रहता है, शास्त्रों में काफी र...

शुभ फल देने वाला पर्व है बसंत पंचमी

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ज्योतिष : विद्या की देवी सरस्वती का जन्म बसंत पंचमी को हुआ था। इस दिन मां सरस्वती का पूजन किया जाता है, विशेषत: विद्यालयों में। इस वर्ष 16 फरवरी 2021 को बंसत पंचमी का पर्व मनाया जायेगा। इस बार बसंत पंचमी के दिन माघ मास का चौथा प्रमुख स्नान पर्व भी है। 15 फरवरी, सोमवार रात 2:45 बजे से पंचमी शुरू हो जाएगी, जो मंगलवार रात 4:34 बजे तक रहेगी। रेवती नक्षत्र सूर्योदय से रात में 8:07 बजे तक रहेगा। बसंत पंचमी पर बुध, गुरु, शुक्र व शनि चार ग्रह शनि की राशि मकर में चतुष्ग्रही योग का निर्माण कर रहे हैं। सरस्वती पूजन का शुभ मुहूर्त दोपहर 11:30 से 12:30 तक रहेगा। विद्यार्थियों को मां सरस्वती की आराधना अधिक फलदाई रहेगी। इसके अलावा मान्यता है कि बसंत ऋतु और कामदेव के बीच विशेष सम्बन्ध होता है। बसंत पंचमी के दिन कामदेव और उनकी पत्नी रति की भी पूजा करने का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि यदि पति और पत्नी मिलकर इस दिन कामदेव और रति की उपासना करते हैं तो उनके संबंधों में मधुरता और भी अधिक बढ़ जाती है। कामदेव को लेकर ऐसी पौराणिक मान्यता चली आ रही है कि अगर कामदेव न हों तो प्राणियों के बीच से प्रेम का...

15 फरवरी को है गणेश जयंती, पूजन से पूरी होती हैं मनोकामनाएं

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  ज्योतिष : सर्वविदित है कि सनातन परम्परा में सर्वप्रथम श्रीगणेश की पूजा होती है लेकिन श्रीगणेश चाहते हैं कि सबसे पहले माता पार्वती की पूजा होनी चाहिए। इसलिये सनातनी लोग किसी भी तरह का पूजन प्रारम्भ करते समय आदिशक्ति की पूजा करते हैं। पंडित लोग सबसे पहले यही उच्चारण करते हैं- ऊं सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिेके शरण्ये त्रयम्बके नारायणी नमोस्तुते। गणेश मंत्र गजाननं भूतगणाधिसेवितं, कपित्थजम्बूफलचारुभक्षणम् । उमासुतं शोकविनाशकारकम्न, न मामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम् ॥ उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्॥ गौरी पुत्र गणेश का जन्म माघ माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था। इस वर्ष यानि 2021 में गणेश जयंती का 15 फरवरी को मनाया जाएगा। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। कहते हैं कि इस दिन विधि.विधान से भगवान गणेश की पूजा करने से भक्तों को मनोकामनाएं पूरी होती हैं। 15 फरवरी 2021 को देर रात 1 बजकर 58 मिनट पर गणेश चतुर्थी की शुरुआत होगी और 16 फरवरी 2021 को देर रात 3 बजकर 36 मिनट पर समाप्त हो जायेगा। गणेश चतुर्थी के दिन प्रातः गणेश जी के व्रत का संकल्प लेना चाह...

सूर्य के राशि परिवर्तन से कुम्भ राशि वालों को मिलेगा मनवांक्षित परिणाम

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ज्योतिष : 12 फरवरी 2021 को कुम्भ संक्रांति है यानि सूर्य कुम्भ राशि में परिवर्तन करेंगे। सूर्य के राशि परिवर्तन का प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा। कुछ राशि वालों के लिए शुभ तो कुछ राशियों के लिए अशुभ साबित होंगे सूर्य। सूर्य किसी भी राशि में प्रवेश करने के बाद करीब एक माह तक उसी राशि में रहते हैं। ऊर्जा के कारक सूर्य देव को ज्योतिष शास्त्र में एक प्रभावशाली ग्रह माना जाता है। सूर्य के नजदीक जो भी ग्रह आता है, उन्हें अस्त माना जाता है। जिसका अर्थ है कि उस ग्रह का अपना कोई प्रभाव नहीं रह जाता है। बुध के करीब जाने पर सूर्य बुधादित्य योग बनाते हैं, जिसे अत्यधिक शुभ माना जाता है।  ग्रहों के स्वामी सूर्य देव 14 जनवरी 2021 को मकर राशि में आए थे और फिलहाल वे अन्य 5 ग्रहों चंद्र, गुरु, शुक्र, शनि और बुध के साथ मकर राशि में ही विराजमान हैं। 12 फरवरी 2021 को दिन में शुक्रवार की रात करीब 9 बजे सूर्य कुम्भ राशि में पहुंचेंगे। 14 मार्च 2021 तक सूर्य कुंभ राशि में ही रहेंगे और उसके बाद एक बार फिर सूर्य का राशि परिवर्तन होगा। मेष, सिंह, वृश्चिक, धनु व कुम्भ राशि वालों के लिये सूर्य उत्तम परिणाम देने...

जीवन में 'ध्यान' जरूरी

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विचार: किसी भी व्यक्ति का जब जन्म होता है तो उसे शुरू से ही जीवन में सावधान रहने की हिदायत दी जाती है, ध्यान से देखों, ध्यान से पढ़ों, ध्यान देकर चलो आदि बातें बड़ी तत्पराता से सिखायी जाती है, जो कि जरूरी भी है। जीवन में ध्यान न हो तो पागलपन स्वाभाविक है। जीवन की दो ही दिशायें सम्भव हैं-ध्यान अथवा पागलपन। जो ध्यान में नहीं रहते वह स्वयं ही पागलपन की अवस्था में पहुंच जाते हैं। वे पागल जो पागलखानों में हैं और वे जो बाहर हैं, इनमें अंतर केवल मात्रा का है। हां यह सम्भव है कि कि बाहर के लोग थोड़ा कम पागल हों और जो पागलखानों में वह थोड़ा अधिक। पागलपन का तात्पर्य है कि केंद्रित न होना। व्यक्ति अपने अंतर्मन में एक न होकर भीड़ में भटका हुआ है। मन में गृहयुद्ध जैसी स्थिति बनी रहती है। यदि यही गृहयुद्ध मन में न हो तो ध्यान में आसानी से उतरा जा सकता है और जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है। इस बात को परखने के लिये सिर्फ कुछ पलों के लिये मन आने वाली बातों को ईमानदारी से लिखा जाये और उसे पढ़ा जाये तो प्रतीत होगा कि आजकल व्यक्ति निरी विक्षिप्तता के अलावा कुछ भी नहीं है। मन या चित्त की अनंत गुहाओं में संस्कार...