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स्वस्थ रहने के चार सरल उपाय

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लखनऊ। हमारे देश में एक कहावत है, स्वस्थ शरीर में स्वस्थ आत्मा का वास होता है। देश में तमाम तरह की बीमारी एक गम्भीर समस्या है। अतः चार आसान उपाय से विभिन्न बीमारियों से बचा जा सकता है और शरीर को पूर्ण स्वस्थ बनाया जा सकता है- - पहला भोजन करने के बाद तुरंत पानी न पीयें, कम से कम एक घंटे का अंतर रखिये। चूंकि भोजन आमाशय (जठर) में जाता है, जठर में भोजन पहुंचने के बाद जठर अग्नि प्रदीप्ति होती है, जो भोजन को जलाता या पचाता है। और जब आप पानी पी लेते हैं तो यह जठराग्नि बुझ जाता है इसलिए भोजन ठीक से पच नही ंपाता। यदि भोजन के बाद पीना है तो फलों का रस पीयें, छाछ, मट्ठा आदि पी सकते हैं। कुछ नहीं है तो पानी में नींबू डालकर शिकंजी पी लीजिए, लाभकारी है। - दूसरा गट-गट पानी न पीयें, घूंट-घूंट कर पीयें, पानी को मुंह में हिलाडुलाकर पीयें। चूंकि जठर में एसिड (अम्ल) का स्राव होता है और अम्ल को जलाने के लिए मुंह का लार अति आवश्यक है और लार पानी में मिलकर जब आमाशय में जाता है तो अम्ल ठीक तरीके से पच पाता है। नहीं अम्ल ब्लड में जाकर दिक्कतें पैदा करता है। - तीसरा सुबह सोकर उठें तो खूब पानी पीयें, घूंट-घूंट क...

कई देशों से नकल करके बनाया गया है भारतीय संविधान, बदलने की जरूरत

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लखनऊ : किसी भी देश के लिए संविधान महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि भारत का संविधान ब्रिटेन और अमेरिका का नकल करके बनाया गया है। वहीं ब्रिटेन में संविधान पारम्परिक संविधान है, यानि समाज में जो परम्परा है, उसी के हिसाब से देश चलता है। तो यह कैसे सम्भव हो सकता है कि ब्रिटेन और भारत का समाज एक ही तरह है। जब ब्रिटेन का संविधान ब्रिटेन के समाज के अनुसार है तो भारत का भी संविधान भारतीय समाज के अनुसार होना चाहिए। बहरहाल, भारत का कानून संविधान का पालन करती है। संविधान की असली कॉपी प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने अपने हाथ से लिखी थी। ये बेहतरीन कैलीग्राफी के जरिए इटैलिक अक्षरों में लिखी गई है। इसके हर पन्ने को शांति निकेतन के कलाकारों ने सजाया था। संविधान की असली कॉपी संविधान की असली प्रतियां हिंदी और इंग्लिश दो भाषाओं में लिखी गई थीं, इन्हें आज भी भारत की संसद में हीलियम भरे डिब्बों में सुरक्षित रखा गया है। 26 नवंबर, 1949 को संविधान बनकर तैयार हुआ था, लेकिन इसे कानूनी रूप से 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया। इसी दिन को आज हम भारत के गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसं...

2018 का कार्तिक पूर्णिमा 23 नवम्बर को, गंगा स्नान से धुल जाते हैं महापाप

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लखनऊ। सनातन धर्म में कार्तिक महीने की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा, त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान की पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन को त्रिपुरी पूर्णिमा इसलिए कहते हैं क्योंकि आज के दिन ही भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक असुर का अंत किया था और इसी के बाद से भगवान शिव को त्रिपुरारी के रूप में पूजा जाने लगा था। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से भी पूरे वर्ष स्नान करने का फल मिलता है। हर साल 12 पूर्णिमा होती हैं जो हर महीनें आती हैं। वहीं कार्तिक पूर्णिमा को सिख सम्प्रदाय में प्रकाशोत्सव के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि इस दिन उनके संस्थापक गुरू नानक देव का जन्म हुआ था। इस दिन को गुरु पर्व भी कहा जाता है। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा को बैकुण्ठ धाम में देवी तुलसी का प्रकट हुई थीं और कार्तिक पूर्णिमा को ही देवी तुलसी ने पृथ्वी पर जन्म ग्रहण किया था। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु ने प्रलय काल में वेदों की रक्षा के लिए तथा सृष्टि को बचाने के लिए मत्स्य अवतार धारण किया था। इसी प्रकार शिव-पार्वती के ज्‍येष्‍ठ पुत्र कार्तिकेय के संबंध में भी एक कथा ह...

एक नजर में ययाति-मान्यता है इन्हीं के वजह से भारत में जातियों का निर्माण हुआ

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लखनऊ। भारत का इतिहास तो बड़ी ही प्राचीन है, लेकिन शास्त्रों में राजा ययाति को वर्ण व्यवस्था को लेकर अहम बताया गया। मान्यता है कि राजा ययाति की वजह से भारत में जातियां और उपजातियां फैलीं। राजा ययाति, चन्द्रवंशी वंश के राजा नहुष के छः पुत्रों याति, ययाति, सयाति, अयाति, वियाति तथा कृति में से एक थे। याति राज्य, अर्थ आदि से विरक्त रहते थे इसलिये राजा नहुष ने अपने द्वितीय पुत्र ययाति का राज्यभिषके करवा दिया। ययाति का विवाह शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी के साथ हुआ। देवयानी के साथ उनकी सखी शर्मिष्ठा भी ययाति के भवन में रहने लगीं। ययाति ने शुक्राचार्य से प्रतिज्ञा की थी की वे देवयानी भिन्न किसी और नारी से शारीरिक सम्बन्ध नहीं बनाएंगे। एक बार शर्मिष्ठा ने कामुक होकर ययाति को मैथुन प्रस्ताव दिया। शर्मिष्ठा की सौंदर्य से मोहित ययाति ने उसका सम्भोग किया। इस तरह देवयानी से छिपाकर शर्मिष्ठा एवं ययाति ने तीन वर्ष बिता दिए। उनके गर्भ से तीन पुत्र लाभ करने के बाद जब देवयानी को यह पता चला तो उसने शुक्र को सब बता दिया। शुक्र ने ययाति को वचनभंग के कारण शुक्रहीन बृद्ध होने का श्राप दिया। इससे पहले शर्मिष्ठ...

शुभ कार्यों में मंत्र के साथ जलायें दीप

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लखनऊ। किसी भी शुभ कार्य या पूजन सबसे पहले दीपक जलाई जाती है और दीपक जलाते समय यह मंत्र जरूर पढ़ें। दीपज्योर्तिः परब्रह्मः दीपज्योर्तिः जनार्दनः। दीपोहरतिमे पापं संध्यादीपं नामोस्तुते।। शुभं करोतु कल्याणमारोग्यं सुखं सम्पदां। शत्रुवृद्धि विनाशं च दीपज्योर्तिः नमोस्तुति।। दीपक किसी भी पूजा का महत्त्वपूर्ण अंग है । दीपक कैसा हो, उसमें कितनी बत्तियां हों, तेल व घी किस-किस प्रकार का हो, इसका भी विशेष महत्त्व है। उस देवता की कृपा प्राप्त करने और अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए ये सभी बातें महत्वपूर्ण हैं। लेकिन हिन्दू शास्त्रों के अनुसार आज भी पूर्ण विधि.विधान के साथ पूजा करने को महत्व दिया जाता है। पूजा में ध्यान देने योग्य बातों में से ही एक है दीपक जलाते समय नियमों का पालन करना। पूजा में सबसे अहम है दीपक जलाना। इसके बिना पूजा का आगे बढ़ना कठिन है। पूजा के दौरान और उसके बाद भी कई घंटों तक दीपक जलते रहना शुभ माना जाता है। दीपक जलाते समय ध्यान रखें कि -     दीपक की लौ पूर्व दिशा की ओर रखने से आयु में वृद्धि होती है।     ध्यान रहे कि दीपक की लौ पश्चिम दिशा की ...

19 नवम्बर 2018 को है देवउठनी एकादशी, मंगलों कार्यों की होगी शुरुआत

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लखनऊ : देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष को पड़ती है। इस बार देवउठनी एकादाशी 19 नवम्बर 2018 को पड़ रही है। इस दिन का हिंदू धर्म में बहुत महत्व माना जाता है, क्योंकि भगवान श्री विष्णु इस दिन चार माह की नींद के बाद जागते हैं। यह एकादशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष को पड़ती है। इसके पहले आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी पड़ती है, जिस दिन श्री विष्णु क्षीरसागर में 4 माह के लिए शयन के लिए चले जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार इन चार महीनों में बीच कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। वहीं देवउठनी ग्यारस के दिन भगवान विष्णु के जागने के साथ ही मांगलिक कार्यों की शरुआत हो जाती है।   एकादाशी व्रत की विधि : ज्योतिषाचार्य पंडित कामता प्रसाद मिश्र ने बताया कि चार मास के लम्बे विश्राम के बाद भगवान विष्णु के जागने पर भक्त उनको प्रसन्न करने के लिए पूजन, भजन एवं कीर्तन करते हैं। इस दिन प्रातः उठकर स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा का संकल्प लें। घर के आंगन में भगवान के चरणों की आकृति बनाएं। ये विश्वास किया जाता है कि भगवान इसी रास्ते आएंगे। फल, फूल, मि...

16 नवम्बर 2018 को करें गाय की पूजा, नहीं होगी धन की कमी

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लखनऊ। सनातम धर्म में गोपाष्टमी का विशेष महत्व है। इस बार 16 नवम्बर 2018 को गोापाष्टमी का पर्व पड़ रहा है। कार्त‍िक मास के शुक्‍ल पक्ष की अष्‍टमी को गोपाष्‍टमी का पर्व मनाया जाता है। दरअसल, गोपाष्‍टमी के दिन ही भगवान श्री कृष्‍ण ग्‍वाला बने थे और गाय चराना शुरू किया था, इसीलिए गोपाष्टमी मनायी जाती है। गोपाष्‍टमी के दिन गाय की पूजा की जाती है। मान्‍यता है कि गाय माता जहां भी विचरण करती हैं वहां सांप बिच्‍छू जैसे विषैले जीव नहीं आते, जो गौ माता की सेवा करता है और उनकी पूजा करता है, उन पर आने वाली सभी विपदाएं गौ माता दूर कर देती हैं। गौ माता में 33 देवी देवताओं का वास होता है। ऐसे में यदि कोई गाय माता की सेवा करता है तो उसे उन सभी देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्‍त होता है। कैसे करें गोपाष्‍टमी की पूजा : सबसे पहले इस दिन सुबह स्‍नान कर गौ माता को भी स्‍नान कराएं। गौ माता को खूब अच्‍छी तरह सजाया जाता है, उन्‍हें मेहंदी, हल्‍दी, रंग के छापे लगाये जाते हैं। इस दिन बछड़े के साथ गौ पूजन करने विधान है, इसलिए बछड़े के साथ गौ माता की पूजा करें, इनके पांव में घुंघरू बांधे जाते हैं। सुबह-सुबह धूप....

देश विरोधी है कांगे्रस पार्टी और राहुल गांधी

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लखनऊ। कांग्रेस पार्टी शुरुआत से ही देश विरोधी कार्यों में लिप्त रही लेकिन हम भोले भारतीय इस बात को समझ न सके और समझते भी तो क्या कर लेते। जिस तरह का अभिनय मोहनदास करमचंद गांधी और जवाहरलाल नेहरू ने किया उससे तो यही लगता है कि इनके जैसे देशभक्त ढूंढे न मिलेंगे, लेकिन सत्यता कुछ और है। कांगे्रस की स्थापना करने वाला ओएस ह्यूम ने कुछ भारतीयों को लेकर स्वतंत्रता आंदोलन के लिए राजनीतिक पार्टी बनायी। इस पार्टी का तत्कालीन मुख्य उद्देश्य था भारत को अंगे्रजों से आजाद करना, यह हास्यास्पद ही है कि पए अंगे्रज ने ही अंगे्रजों से आजादी के लिए पार्टी बनायी। यदि ओएस ह्यूम इतना ही चाहता था भारतीयों को तो उसने ब्रिटेन की राजसत्ता के खिलाफ आवाजें क्यों नहीं बुलंद कीं। और इसी कांगे्रस के सेवा करने वाले हमारे महान भारतीय महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू जैसे कई दिग्गज कांगे्रस के खेवनहार बने और देश के लिए समस्या। कांगे्रस की सेवा करते हुए महात्मा गांधी छोटी-छोटी बच्चियों/युवतियों के साथ सोते थे, उन युवतियों के कंधे महात्मा गांधी का सहारा बनते थे, सवाल अहम है कि क्या पुरुषों के कंधे महात्मा गांधी का सहारा नहीं...

राम मंदिर पर भाजपा सरकार का सकारात्मक रवैया नहीं, नरेंद्र मोदी कर रहे हैं भारी चूक

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लखनऊ। 26 मई 2014 को पहली बार नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लिया। चार साल पहले पूरे देश में उत्साह का माहौल था। धीरे-धीरे पांच साल बीतने वाला है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर सकारात्मक रवैया न होना, भारतीयों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। भारतीय जनमानस में यह शब्द बड़े ही तेजी से तैर रहे हैं कि भाजपा सरकार राम मंदिर नहीं बनाएगी तो आखिर और कौन सी पार्टी राम मंदिर बनाएगी। आखिर जनसंघ का निर्माण इसीलिए तो किया गया था कि जनसंघ राजनीतिक पार्टी होने के साथ हिंदुओं के हित का सदा ध्यान रखेगी। कुछ वरिष्ठ जन बताते हैं कि जनसंघ का निर्माण इसलिए भी किया गया था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मार्ग में आये अवरोध दूर करेगा। लेकिन जनसंघ आज भारतीय जनता पार्टी बन गयी है। तमाम झंझावतों के बाद जब अटल बिहारी ने केंद्र में सरकार बनायी थी तो उन्होंने भी कहा था कि अयोध्या का राम मंदिर हमारे एजेंडे में नहीं है। सर्वविदित है फिर दोबारा अटल की टीम सत्तासीन नहीं हो पायी और कांगे्रस ने खूब नोचा भारत माता को। थके, हारे, संघर्षरत हिंदू फिर नरेंद्र मोदी की ...