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डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार : हिंदू समाज के लिये सम्पूर्ण जीवन समर्पित

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विचार। डॉ॰ केशव बलिराम हेडगेवार का जन्म १ अप्रैल, १८८९ को महाराष्ट्र के नागपुर जिले में पण्डित बलिराम पन्त हेडगेवार के घर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन हुआ था, माता का नाम रेवतीबाई था। डॉ. हेडगेवार भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन हिन्दू समाज व राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया था। डॉ. हेडगेवार पहले क्रांतिकारी थे, किंतु बाद में हिन्दू संगठनवादी बन गए। वे जीवन के अंतिम समय तक हिंदुओं को एकता के सूत्र में बांधने के लिए अथक प्रयत्न करते रहे। उन्होंने हिंदुओं के संगठन के लिए ही 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' की स्थापना 1925 में विजयदशमी के दिन की थी। डॉ॰ केशव बलिराम हेडगेवार अपने जीवन के प्रारंभ और मध्य काल में क्रांतिकारी थे। उनका अरविंद घोष, भाई परमानंद, सुखदेव एवं राजगुरु आदि महान क्रांतिकारियों से सम्पर्क था। विद्यार्थी जीवन में उन्होंने 'वन्दे मातरम्' आंदोलन चलाया था। डॉ. हेडगेवार का मानना था कि शक्ति केवल सेना या शस्त्रों में नहीं होती, बल्कि सेना का निर्माण जिस समाज से होता है, वह समाज जितना राष्ट्रप्रेमी, नीतिमान और चरित्रवान संपन्न होगा, उतनी ...

अमन्त्रम अक्षरं नास्ति...

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सुभाषित सर्व धर्म समा वृत्तिः, सर्व जाति समा मतिः। सर्व सेवा परानीति रीतिः संघस्य पद्धति। भावार्थ : सभी धर्मों के साथ समान वृत्ति सभी जातियों के साथ समानता की मति बुद्धि , सभी लोगों के साथ परायणता का व्यवहार संघ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पद्धति है। अमन्त्रम अक्षरं नास्ति, मूलमनौषधं। अयोग्य पुरुषः नास्ति, योजकस्त्र दुर्लभः। भावार्थ : ऐसा कोई अक्षर नहीं जिसका मंत्र न बन सके। ऐसी कोई जड़ी–बूटी नहीं जिसकी औषधि न बन सके, ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसे अयोग्य करार दिया जाए। केवल उचित योजक होना ही दुर्लभ है।

1563 साल बाद 2 अप्रैल को नवरात्र पर बनने वाला है दुर्लभ संयोग

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ज्योतिष। शास्त्र के अनुसार इस बार हिंदू नववर्ष की शुरुआत के मौके पर ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति न केवल रोचक बल्कि अति दुर्लभ रहेगी। ऐसी स्थितियां 1500 साल बाद बन रही हैं। नववर्ष की शुरुआत के मौके पर रेवती नक्षत्र और 3 राजयोग बन रहे हैं। इसके अलावा नए साल की शुरुआत के मौके पर मंगल अपनी उच्च राशि यानी मकर में, राहु-केतु भी अपनी उच्च राशि (वृषभ और वृश्चिक) में रहेंगे। वहीं शनि अपनी ही राशि मकर में रहेंगे। इस कारण हिंदू नववर्ष की कुंडली में शनि-मंगल की युति होने का शुभ योग बन रहा है। हिंदू नववर्ष के मौके पर ग्रहों का ऐसा शुभ संयोग करीब  1563 साल बाद बन रहा है। इससे पहले यह दुर्लभ योग 22 मार्च 459 को बना था। इस दुर्लभ शुभ योग का फायदा मिथुन, तुला और धनु राशि वाले लोगों को मिल सकता है। इन लोगों को यह योग पैसा और तरक्की दिलाएगा। उन्हें कोई अच्छी खबर भी मिल सकती है। निवेश से मनवांछित फल मिलेगा। बता दें कि हिंदू नववर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होता है। इस दिन युगाब्ध ही नहीं बल्कि संवत भी बदलता है, युगाब्ध जहां 5124 होगा वहीं संवत बदलकर 2079 हो जायेगा। ऐसा दुर्लभ योग डेढ़ ह...

30 अप्रैल को 2022 का पहला सूर्यग्रहण, तीन राशियों के लिये बेहद शुभ

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ज्योतिष। 2022 का पहला सूर्यग्रहण 30 अप्रैल को लगेगा। यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिये इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। आंशिक सूर्यग्रहण होने के बाद भी इसका असर सभी राशि वालों पर पड़ेगा। यह ग्रहण दक्षिण अमेरिका, दक्षिण प्रशांत महासागर आदि जगहों पर दिखाई देगा। इस बार यह सूर्यग्रहण शनिवार के दिन पड़ रहा है, शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को शनिचरी अमावस्या कहते हैं। यह सूर्य ग्रहण 30 अप्रैल की रात 12 बजे से शुरू होगा। यह अवधि 3 राशि वालों के लिए बेहद शुभ है। पैसा मिलेगा। रुके हुए काम बनने लगेंगे। बता दें कि साल का पहला सूर्यग्रहण वृष राशि में लग रहा है। यह समय जातक के करियर में तरक्की दिलाएगा। कोई नया काम शुरू कर सकते हैं। कोई ऐसी शुभ घटना होगी, जो आपका जीवन ही बदल देगी। कारोबारियों को बड़ा मुनाफा होगा। सिंह राशि के जातकों के लिए यह समय धन लाभ कराएगा। उनकी आर्थिक स्थिति में मजबूती आएगी। लम्बी यात्रा पर जा सकते हैं। धनु राशि के जातकों के लिए यह समय नए अवसर दिलाएगा। जातकों को नई नौकरी मिल सकती है। सूर्यग्रहण के 15 दिन बाद 15 मई को साल का पहला चंद्रग्रहण भी लगेगा। वहीं साल...

अप्रैल 2022 में शनि समेत सभी 9 ग्रह बदलेंगे राशि, दुर्लभ संयोग

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   ज्योतिष। इस साल अप्रैल में ऐसी दुर्लभ स्थिति बन रही है कि इस महीने में सभी 9 ग्रह अपनी राशियां बदलेंगे। ऐसा संयोग बहुत कम बनता है जब एक ही महीने में सारे ग्रह राशियां बदलें। मंगल ग्रह 7 अप्रैल को मकर राशि से निकलकर कुम्भ राशि में प्रवेश करेंगे, 8 अप्रैल को बुध गोचर होगा, वे मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश रहेंगे और 24 अप्रैल को फिर से राशि बदलकर वृष राशि में पहुंचेंगे। 11 अप्रैल को राहु उलटी चाल चलते हुए वृष राशि से निकलकर मेष में प्रवेश करेंगे। 11 अप्रैल को केतु वृश्चिक से निकलकर तुला राशि में प्रवेश करेंगे।13 अप्रैल को गुरु ग्रह कुम्भ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेंगे। 14 अप्रैल को ग्रहों के राजा सूर्य मीन से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेंगे। 27 अप्रैल को शुक्र ग्रह कुम्भ से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेंगे। 28 अप्रैल को न्‍याय के देवता शनि ढाई साल बाद अपनी ही राशि मकर से निकलकर कुम्भ राशि में प्रवेश करेंगे। वहीं पूरे माह हर ढाई दिन बाद चंद्रमा भी अपनी राशि बदलते रहेंगे। बता दें कि इस दौरान शनि का गोचर सबसे ज्‍यादा प्रभाव डालने वाला है क्‍योंकि इसका असर ...

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के ​दिन सृष्टि में होता है विशेष परिवर्तन

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ज्योतिष। सनातन धर्म में चैत्र मास का विशेष महत्व है। चैत्र ऐसा माह है, जिसमें धूल, कीचड़ नहीं होता और प्रकाश की कमी नहीं होती। धरती से लेकर आकाश तक सर्वत्र शुद्धता और आलोक फैला होता है। यह चैतन्य और दिव्य भाव प्रत्येक प्राणी के जीवन में प्रवेश करता है। चैत्र माह से ही हिंदू पंचांग का नया वर्ष शुरू होता है, साथ ही नए संवत्सर की शुरुआत भी। इस वर्ष यानि 2022 में चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 2 अप्रैल से होगी। मान्यता है कि यदि नवरात्रि की शुरुआत रविवार अथवा सोमवार से हो रहा होता है तो मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर धरती पर आती हैं और यदि मंगलवार व शनिवार के दिन नवरात्रि का प्रारंभ होता है तो मां दुर्गा भवानी घोड़े की सवारी करके पृथ्वी पर आती हैं। वहीं जब नवरात्रि गुरुवार और शुक्रवार के दिन से प्रारंभ होती हैं तो मां भगवती दुर्गा डोली में बैठकर पृथ्वी पर आती हैं। बता दें कि 2022 में चैत्र नवरात्रि की शुरुआत शनिवार के दिन हो रहा है, इसीलिए मां दुर्गा भवानी इस बार घोड़े की सवारी करके पृथ्वी लोक में आएंगी। वहीं इस बार चैत्र नवरात्रि की अवधि में ग्रहों के राशि परिवर्तन के साथ कुछ ऐसे योग बन रहें हैं...

वैदिक पूजन में अनामिका उंगली का विशेष महत्व

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ज्योतिष। शास्त्रों में अनामिका उंगली को अत्यधिक पावन माना गया है। शास्त्र के अनुसार अनामिका अंगुली पर स्वयं भगवान शंकर का वास माना जाता है। यही कारण है कि भगवान शिव और उनके परिवार के सदस्यों से सम्बन्धित मंत्रों का जाप भी रुद्राक्ष की माला पर किया जाता है। महामृत्युंजय और लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप सिर्फ रुद्राक्ष की माला पर किया जाना चाहिए। पूजा अनुष्ठान आदि धार्मिक कार्यों में अनामिका उंगली में कुशा से बनी पवित्री धारण करने का विधान है। अनामिका उंगली मान, अभिमान रहित और यश और कीर्ति की सूचक है। अनामिका उंगली का उपयोग सर्वथा वैदिक पूजन के समय किया जाता है क्योंकि यह उंगली सूर्य का प्रतीक भी है। अनामिका उंगली से ही देवगणों को गंध और अक्षत अर्पित किया जाता है। बता दें कि तीसरी अंगुली अर्थात मध्यमा और कनिष्ठिका के बीच की अंगुली को अनामिका कहते हैं। अनामिका उंगली सीधे हृदय से जुड़े होने के कारण पश्चिमी सभ्यता में भी अनामिका उंगली को रिंग फिंगर कहा गया है, जिस उंगली में अंगूठी पहनना सर्वथा मान्य माना गया है। ज्योतिषीय दृष्टि से इस उंगली पर बने चक्र से व्यक्ति चक्रवर्ती बनता है।