संदेश

कभी नहीं बुझती धन की प्यास

चित्र
विचार। पैसे का आकर्षण दिनों दिन बढ़ता ही जाता है। जिसने जीवन में पैसे को प्रधानता दी है, वह कभी भी सन्तोष-शान्ति का अनुभव नहीं कर सकेगा। महर्षि व्यास ने कहा है-धन की प्यास कभी नहीं बुझती उसकी ओर से मुँह मोड़ लेने में ही परम सुख है। पैसा दिन-रात जब मनुष्य को बचाता है तो उसका खाना, पीना, सोना हराम हो जाता है। यद्यपि धन जीवन की विविध आवश्यकताओं की पूर्ति का एक साधन है। इसका अर्जन भी करना चाहिए और उपयोग भी। तथापि पैसे को सर्वोपरि महत्व देना समाज के लिये बहुत घातक है। कल्पना कीजिए उस समाज की जहाँ पैसे को ही सर्वोपरि स्थान दिया जाता है। क्या उसके सदस्य कोल्हू के बैल की तरह पैसे के इर्द-गिर्द चक्कर काटते नहीं मिलेंगे? क्या पैसे के लिए एक दूसरे पर छीना झपटी करते हुए नहीं देखा जायेगा। उन्हें एक दूसरे के लिए प्रेम, सहानुभूति, आत्मीयता की जगह उसमें स्वार्थ, डाह, सूखापन का व्यवहार न होगा। सचमुच “पैसे की कसौटी पर आत्मिक नाते की कौन कहे, शारीरिक खून का नाता तक टूट जाता है।” पैसा समाज के मधुर सम्बन्धों में एक कठोर, निर्मम, दीवार बन जाता है। हमें जो धन मिलता है उसे बढ़ाने में कई गुना करने में लगना पड...

ईश्वर है या नहीं?

चित्र
विचार। अनीश्वरवादी विचारधारा के तर्कों का परीक्षण किया जाय और यह देखा जाय कि उनके कथन में कुछ सार भी है या नहीं? अनीश्वरवादियों का कथन है कि प्रकृति के जड़ परमाणु अपने आप अपनी धुरी पर घूमते हैं, बदलते और हलचल करते हैं, उसी से सृष्टि का क्रम चलता है तथा प्राणियों की उत्पत्ति होती है। ईश्वर की इसमें कुछ भी आवश्यकता नहीं है। इस कथन पर विचार करते हुए हमें देखना होगा कि क्या चेतन की प्रेरणा बिना जड़ पदार्थों में एक क्रमबद्ध एवं सुव्यवस्थित गति-विधि निरन्तर चलते रहना सम्भव हो सकता है? देखते हैं कि कोई रेल, मोटर, जहाज, मशीन, अस्त्र आदि कितना ही महत्वपूर्ण एवं शक्ति शाली क्यों न हो, उसे चलाने के लिए चालक की बुद्धि ही काम करती है। राकेट से लेकर उपग्रह तक स्वचालित यन्त्र तभी अपनी सक्रियता जारी रख पाते हैं, जब रेडियो सक्रियता के माध्यम से मनुष्य उन्हें किसी दिशा विशेष में चलाते हैं। चालक के अभाव में अपनी इच्छा और शक्ति से यदि वस्तुएँ अपने आप ही चलने और काम करने लगें तो फिर उन्हें जड़ ही क्यों कहा जाय? मशीन से सम्बन्धित जितनी भी वस्तुएँ हैं वे सभी चालक की अपेक्षा रखती हैं। संचालन करने एवं प्रयोग ...

'संघ' के स्वयंसेवकों का 'दंड प्रहार'

चित्र
जानकारी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक प्रत्येक माह की 16 तारीख को स्वयंसेवक दंड प्रहार दिवस के रूप में मनाते हैं और हर 16 दिसम्बर को दंड महाप्रहार दिवस मनाते हैं। दंड प्रहार लगाने के पीछे अनेक उद्देश्य कार्य करते हैं। दंड अर्थात लाठी, प्रहार भांजना। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ माह के प्रत्येक 16 तारीख को दंड प्रहार दिवस के रूप में लाठी का विधिवत प्रयोग करते हैं। वह दंड प्रहार लगाकर अपने शारीरिक क्षमता का आकलन करते हैं। अपनी रक्षा लाठी के माध्यम से करने का अभ्यास करते हैं। लाठी एक ऐसा माध्यम है, जिसके कुशल प्रयोग से ढेरों दुश्मनों को परास्त कर सकते हैं। उनका सामना सीमित संसाधनों के साथ भी किया जा सकता है। यह दिन प्रत्येक स्वयंसेवक के लिए अपने शारीरिक आकलन करने का दिन होता है। कुशलतापूर्वक दंड प्रहार लगाकर वह अपनी संख्या लिखते हैं, जिससे एक-दूसरे की संख्या की जानकारी होती है। दंड के लिए कोई कानूनन प्रतिबंध नहीं है। यही कारण है कि स्वयंसेवक कानून का सम्मान करते हुए दंड को अपनी शक्ति के रूप में घर में रखते हैं। एक बार की बात है—एक समय सौ भारतीयों पर चार सौ से अधिक चीन के लुटेरों ने हमल...

सूर्य के घोड़ों को कैसे मिलता है विश्राम!

चित्र
ज्योतिष। शास्त्र के अनुसार भगवान विष्णु की साधना के लिए खरमास का विशेष महत्व है। 12 महीनों में सूर्य देव 12 राशियों में प्रवेश करते हैं। जब सूर्य देव गुरु बृहस्पति की राशि धनु या मीन में प्रवेश करते हैं तो उस स्थिति को खरमास लग जाता है। साल में दो बार ऐसा समय आता है जब सूर्य धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं। ऐसी परिस्थिति में शुभ कार्य बंद हो जाते हैं और पूजन-अर्चन, ध्यान-साधना, दान-पुण्य शुरू हो जाते हैं। 2022 में 15 जनवरी को वैवाहिक कार्यक्रमों की शुरुआत होगी। 23 फरवरी तक विवाह का योग रहेगा। 23 फरवरी के बाद गुरु के अस्त होने से विवाह आदि पर रोक रहेगी। इसी प्रकार मार्च में गुरु के अस्त और 15 मार्च से 15 अप्रैल तक खरमास होने के चलते विवाह नहीं होंगे। खरमास की कथा संस्कृत में गधे को खर कहा जाता है। पौराणिक ग्रंथों में वर्णित खरमास की कथा के अनुसार भगवान सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते रहते हैं। उन्हें कहीं पर भी रूकने की इजाजत नहीं है। उनके रुकते ही जनजीवन भी ठहर जाएगा, लेकिन जो घोड़े उनके रथ में जुड़े होते हैं वे लगातार चलने और विश्राम न मिलने ...

352 साल बाद काशी विश्वनाथ धाम में शामिल होगा ज्ञानवापी कूप

चित्र
विचार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 दिसम्बर 2021 को काशी विश्वनाथ कोरीडोर में देश-विदेश के लगभग 5000 धर्माचार्य, महात्माओं, प्रबुद्धजनों की उपस्थिति में लोकार्पण होगा। काशी विश्वनाथ कोरीडोर के लोकार्पण में अयोध्या के दो दर्जन से ज्यादा प्रसिद्ध संत शामिल होंगे और 8000 से ज्यादा प्रसाद वितरण हेतु स्वयंसेवक लगाए गए हैं। मंडलायुक्त वाराणसी और पुलिस कमिश्नर वाराणसी के द्वारा नियमित समीक्षा की जा रही है। ज्योर्तिलिंग काशी विश्वनाथ मंदिर का स्वतंत्र भारत में 241 साल बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा विस्तार एवं इसका आम जनमानस के लिए 13 दिसम्बर 2021 को लोकार्पण किया जायेगा। प्रधानमंत्री का मानना है कि काशी हमारी पुरातन, सनातन, संस्कृति का केन्द्र एवं वर्तमान भारत के उद्भव का आधुनिकता का मुख्य केन्द्र है तथा यह उच्चतम शिखर पर हम सभी को पहुंचाएंगे। वहीं मुख्यमंत्री योगी का मानना है कि काशी भारत की विरासत भगवान शंकर की नगरी के रूप में हमेशा विश्व में अध्यात्म का मार्गदर्शन किया है एवं आगे भारत को विश्व गुरु के रूप में स्थापित करेंगे। बता दें कि औरंगजेब के फरमान के बाद 1669 में मुगल ...

20 दिसम्बर 2021 से शुरू होगा पौष मास, शुभ कार्य वर्जित

चित्र
ज्योतिष। शास्त्र के अनुसार 20 दिसम्बर 2021 से पौष मास शुरू हो रहा है। पौष का महीना पंचांग के अनुसार दसवां महीना है। पौष मास की पूर्णिमा पर चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में रहता है। चंद्रमा के पुष्य नक्षत्र में रहने के कारण इस महीने को पौष का महीना कहते हैं। इस मास में हेमंत ऋतु होने से ठंड अधिक होती है। इस महीने में उत्तम स्वास्थ्य और मान-सम्मान की प्राप्ति के लिए भगवान सूर्यनारायण की पूजा का विधान है। इस महीने में भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और उपवास भी रखा जाता है। पौष महीने में सूर्य 11 हजार रश्मियों के साथ व्यक्ति को उर्जा और स्वास्थ्य प्रदान करता है। पौष मास में अगर सूर्य की नियमित उपासना की जाये तो वर्ष भर व्यक्ति स्वस्थ और सम्पन्न रहता है। पौष मास विवाह चर्चा या विवाह से जुड़े कार्यक्रम करने के लिए शुभ नहीं माना जाता है। इसके अलावा गृह प्रवेश, भूमि पूजन, हवन, ग्रह प्रवेश, व्यापार मुहूर्त, देव पूजन, मुंडन और जनेऊ संस्कार जैसे कार्यों पर भी रोक लग जाती है। पौष के महीने दो एकादाशियां आएंगी पहली कृष्ण पक्ष को सफला एकादशी, जो 9 जनवरी को पड़ रही है और दूसरी शुक्ल पक्ष को पौष पुत्रदा ...

धमतरी की हवा में फूलों की सुगंध

चित्र
जानकारी। बागतराई रोड पर आदर्श मुक्तिधाम सोरिद नगर है। नौ साल पहले इसका निर्माण वार्ड में हुआ है। पहले यह मुक्तिधाम सामान्य था, लेकिन पिछले कुछ सालों से इस मुक्तिधाम को आकर्षक बनाने वार्डवासियों ने श्रमदान करना शुरू कर दिया। मुक्तिधाम में कई कार्य करने युवकों की सेवा संगठन बना, जो अपने मेहनत से आज नाम के अनुसार वास्तव में यह मुक्तिधाम शहर व जिले के लिए किसी आदर्श से कम नहीं है। प्रवेश द्वार पर यमदेव का बड़ा आकर्षक पेटिंग, दीवारों पर चित्र व लेखन है। आगे बढ़े तो पाथवे, चहूं ओर गार्डन, बेहतर पेयजल सुविधा, विभिन्न प्रकार के फूल, पेड़-पौधे हैं। इससे यहां का वातावरण पूरी तरह से हरियाली हो गई है। यह मुक्तिधाम गार्डन के स्वरूप में बन गया है। आकर्षक मुक्तिधाम में कहीं भी बदबू नहीं है। यहां लगे विभिन्न प्रकार के फूल-पौधों से यहां शुद्ध हवा व फूलों की महक बना रहता है, ऐसे में लोग दो पल सुकून के बीताने यहां आते हैं। मार्निंग वाक, शाम को टहलने युवक समेत हर वर्ग यहां पहुंचते हैं। शांत वातावरण में कुछ लोग यहां योग भी करते हैं। आदर्श सेवा समिति अध्यक्ष अधिवक्ता नंद कुमार देवांगन, सचिव रेवती रमन तिवार...