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अच्छे कर्मों से आती है सुंदरता

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प्रेरक कथा : एक दिन यह कौआ सोचने लगा कि पंछियों में मैं सबसे ज्यादा कुरूप हूँ। न तो मेरी आवाज ही अच्छी है, न ही मेरे पंख सुंदर हैं और मैं काला-कलूटा भी हूँ। ऐसा सोचने से उसके अंदर हीनभावना भरने लगी और वह दुखी रहने लगा। एक दिन एक बगुले ने उसे उदास देखा तो उसकी उदासी का कारण पूछा। कौवे ने कहा कि मैं रोज गौर करता हूं, तुम कितने सुंदर हो, गोरे-चिट्टे हो, मैं तो काला हूँ, मेरा तो जीना ही बेकार है। बगुले ने कहा कि दोस्त मैं कहाँ सुंदर हूँ। मैं जब तोते को देखता हूँ, तो यही सोचता हूँ कि मेरे पास उसके जैसे हरे पंख और लाल चोंच क्यों नहीं है। तोते के पास ये दोनों ही चीजें हैं। अब कौए में सुन्दरता को जानने की उत्सुकता बढ़ी। वह तोते के पास गया। बोला कि तुम इतने सुन्दर हो, तुम तो बहुत खुश रहते होगे? तोता ने कहा कि खुश तो वाकई बहुत रहता था मैं, लेकिन जब से मैंने मोर को देखा, तब से बहुत दुखी हूँ, क्योंकि वह बहुत सुन्दर है। अब कौआ मोर को ढूंढने लगा, लेकिन जंगल में कहीं मोर नहीं मिला। जंगल के पक्षियों ने बताया कि सारे मोरों को चिडिय़ाघर वाले पकड़ कर ले गये हैं। कौआ चिडिय़ाघर गया और वहाँ एक पिंजरे में बं...

व्यर्थ है धन का अनावश्यक संग्रह

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प्रेरक कथा : बहुत बड़े विद्वान और धर्म, खगोल विद्या, कला, कोशरचना, भवननिर्माण, काव्य, औषधशास्त्र आदि विभिन्न विषयों पर अनेक पुस्तकों के लेखक थे राज भोज। राजा भोज के समय में कवियों को राज्य से बड़ा आश्रय मिला हुआ था। उन्होंने 1000 से 1055 ई. तक राज्य किया। उनकी विद्वता के कारण जनमानस में एक कहावत प्रचलित हुई- कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली। राजा भोज को बहुत बड़ा वीर, प्रतापी, और गुणग्राही भी बताया जाता है। उन्होंने अनेक राज्यों पर विजय प्राप्त की थी और कई विषयों के ग्रन्थ जुटाये थे। अच्छे कवि और दार्शनिक के साथ वे ज्योतिषी भी थे। उनकी राजसभा सदा बड़े-बड़े पण्डितों से सुशोभित रहती थी। राजा भोज एक बार जंगल के रास्ते से कहीं जा रहे थे। साथ में उनके राजकवि पंडित धनपाल भी थे। रास्ते में एक विशाल बरगद के पेड़ में मधुमक्खियों का एक बहुत बड़ा छत्ता लगा था, जो शहद के भार से गिरने ही वाला था। राजा भोज ने ध्यान से देखा तो पाया कि मधुमक्खियां हाय-तौबा के अंदाज में उस छत्ते से अपने पैर घिस रही हैं। उन्होंने राजकवि से इसका कारण पूछा। राजकवि बोले, महाराज! यह शहद के अनावश्यक संचय का नतीजा है। इसी तरह से...

दुर्गापूजन के साथ 13 अप्रैल से प्रारम्भ होगा नववर्ष

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ज्योतिष : 29 मार्च 2021 को वर्ष का प्रथम महीना चैत्र शुरू हो गयी है। वहीं चैत्र प्रतिपदा यानि नववर्ष 13 अप्रैल 2021 को बड़ी नवरात्रि प्रारंभ होगी और विक्रम संवत 2078 भी शुरू हो जाएगा, इसे संवत्सर भी कहा जाता है। चैत्र मास का वैदिक नाम है-मधु मास। मधु मास अर्थात आनंद बांटती वसंत का महीना। सारी वनस्पति और सृष्टि प्रस्फुटित होती है, पके मीठे अन्न के दानों में, आम की मन को लुभाती खुशबू में, गणगौर पूजती कन्याओं और सुहागिन नारियों के हाथ की हरी-हरी दूब में तथा वसंतदूत कोयल की गूंजती स्वर लहरी नये वर्ष में मधुर लगती है। चारों तरफ पके फसलों के दर्शन, खेतों में हलचल, फसलों की कटाई, हसिए का मंगलमय खर-खर करता स्वर और खेतों में डाँट-डपट-मजाक करती आवाजें, मानो खेतों में हंसी-खुशी की रौनक आ गयी है। नई फसल घर में आने का समय भी यही है। इस समय प्रकृति में उष्णता बढ़ने लगती है, जिससे पेड़-पौधे, जीव-जन्तु में नया जीवन आ जाता है। लोग इतने मदमस्त हो जाते हैं कि आनंद में मंगलमय गीत गुनगुनाने लगते हैं। ब्रह्म पुराण के अनुसार ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना चैत्र मास के प्रथम दिन, प्रथम सूर्योदय होने पर की। इस तथ्य...

आरक्षण की वजह से ग्राम पंचायत चुनाव लड़ने से वंचित

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  विचार : उत्तर प्रदेश में ग्राम पंचायत 2021 चुनाव के तारीखों की घोषणा कर दी गयी है। उत्तर प्रदेश की कुल 58,194 ग्राम पंचायतें हैं। पहले चरण की नामांकन प्रक्रिया 3 अप्रैल से शुरू होगी। दूसरे चरण में 7 से 8 अप्रैल, तीसरे चरण में 13 से 15 अप्रैल तक होगा। नामांकन चौथे चरण में 17 अप्रैल से 18 अप्रैल तक होगा। पंचायत चुनाव को लेकर जो गहमागहमी रहती है वह और किसी चुनाव में नहीं। ग्राम प्रधान, बीडीसी, जिला पंचायत सदस्य आदि पदों के लिए अलग अलग प्रत्याशी खड़े होते हैं। देश में आरक्षण का ऐसा जहर पोषित किया जा रहा है, जिससे समाज का सिर्फ नुकसान ही हो रहा है। सवाल तो कई बार उठे, प्रदर्शन तो कई बार हुए लेकिन जिसने आरक्षण को लेकर सवाल उठाये, प्रदर्शन किया उसका भी सिर्फ और सिर्फ नुकसान किया गया, उसे कष्ट उठाना पड़ा। इसका मतलब यह नहीं कि आरक्षण के खिलाफ सवाल उठाने वाले मुश्किल में पड़ेंगे तो सवाल उठना बंद हो जायेगा, ऐसा बिल्कुल नहीं है। आरक्षण समाज को बांट रहा है इसलिए जब तक यह वैचारिक बंटवारा रहेगा, तब तक ऐसे सवाल उठते रहेंगे, विरोध होते रहेंगे। आरक्षण हटना ही चाहिए, क्योंकि उनका क्या कसूर जो समाज ...

संत ने चोर से सीखा

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प्रेरक कथा : रात्रि रुकने के लिए एक संत कस्बे के मंदिर में गए, लेकिन वहां उनसे कहा गया कि वे इस कस्बे का कोई ऐसा व्यक्ति ले आएं, जो उनको जानता हो। तब उन्हें रुकने दिया जाएगा। लेकिन उस अनजान कस्बे में उन्हें कौन जानता था? दूसरे मंदिरों और धर्मशालाओं में भी वही समस्या आयी तो संत परेशान हो गए। रात काफी हो गयी थी और वे सड़क किनारे खड़े थे। तभी एक व्यक्ति उनके पास आया। उसने कहा कि मैं आपकी समस्या से परिचित हूँ। लेकिन मैं आपकी गवाही नहीं दे सकता। क्योंकि मैं इस कस्बे का नामी चोर हूँ। अगर आप चाहें तो मेरे घर पर रुक सकते हैं। आपको कोई परेशानी नहीं होगी। संत बड़े असमंजस में पड़ गए। एक चोर के यहां रुके तो कोई जानेगा तो क्या सोचेगा? लेकिन कोई और चारा भी नहीं था। मजबूरी में वो यह सोचकर उसके यहां रुकने को तैयार हो गए कि कल कोई दूसरा इंतजाम कर लूंगा। चोर उनको घर में छोड़कर अपने काम यानी चोरी के लिए निकल गया। सुबह वापस लौट कर आया तो बड़ा प्रसन्न था। उसने उनको बताया कि आज कोई दांव नहीं लग सका, लेकिन अगले दिन जरूर लगेगा। चोर होने के बावजूद उसका व्यवहार बहुत अच्छा था, जिसके कारण संत उसके यहां एक महीना र...

जरूरतमंदों की मदद करना सबसे बड़ी सेवा

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प्रेरक कथा: एक बार की बात है कि गुरु गोविंद सिंह के दर्शन के लिए एक वैद्य आनन्दपुर गया। वहां गुरुजी ने उससे कहा कि जाओ, जरूरतमंदों को सेवा करो। वैद्य वापस आकर रोगियों की सेवा में जुट गया, जल्द ही वह दूर—दूर तक प्रसिद्ध हो गया। एक बार गुरु गोविंद सिंह स्वयं उस वैद्य के घर आए। गुरु गोविंद को देखकर वैद्य ने प्रसन्नता जतायी। लेकिन गुरुजी ने कहा कि वह कुछ देर ही ठहरेंगे। तभी एक व्यक्ति भागता हुआ आया और बोला, वैद्य जी, मेरी पत्नी की तबियत बहुत खराब है, शीघ्र चलिए अन्यथा बहुत देर हो जायेगी। वैद्य जी असमंजस में पड़ गए। एक ओर गुरु थे, जो पहली बार उनके घर आये थे। दूसरी ओर एक जरूरतमंद रोगी था। अंतत: वैद्य ने कर्म को प्रधानता दी और इलाज के लिए चला गया। लगभग दो घण्टे के इलाज और देखभाल के बाद रोगी की हालत में सुधार हुआ। तब वहां से चला। उदास मन से सोचा कि गुरुजी के पास समय नहीं था, अब तक तो वे चले गए होंगे। फिर भी भागता हुआ वापस घर पहुंचा। घर पहुंचकर उन्हें घोर आश्चर्य हुआ। गुरुजी बैठे उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे। वैद्य उनके चरणों पर गिर पड़ा। गुरु ने उन्हें गले से लगा लिया और कहा, 'तुम मेरे सच्चे श...

जीवन में कभी भी बदल सकती है परिस्थिति

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प्रेरक कथा: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक मशहूर चौराहे पर बूढ़ा भिखारी बैठता था। वह उसकी निश्चित जगह थी। आने जाने वाले पैसे या खाने-पीने को कुछ दे देते। इसी से उसका जीवन चल रहा था। उसके शरीर में कई घाव हो गए थे, जिनसे उसे बड़ा कष्ट था। एक युवक प्रतिदिन उधर से आते-जाते समय भिखारी को देखता। एक दिन वह उससे बोला कि बाबा! इतनी कष्टप्रद अवस्था में भी आप जीने की आस रख रहे हैं, जबकि आपको ईश्वर से मुक्ति की प्रार्थना करनी चाहिए। भिखारी ने उत्तर दिया कि मैं ईश्वर से रोज यही प्रार्थना करता हूँ, लेकिन वह मेरी प्रार्थना सुनता नहीं है। शायद वह मेरे माध्यम से लोगों को यह संदेश देना चाहता है कि किसी का भी हाल मेरे जैसा हो सकता है। मैं भी पहले तुम लोगों की तरह ही था। मेरे उदाहरण द्वारा वह सबको एक सीख दे रहा है। युवक ने उसको प्रणाम किया और कहा कि आज आपने मुझे जीवन की सच्ची सीख दी दी, जिसे मैं कभी नहीं भूलूंगा। यानि कि परिस्थिति किसी की भी कभी भी बदल सकती है, इसलिये सभी को जीवन में तैयार व सतर्क रहना चाहिए।