सहकारिता अपनाना जरूरी

विचार : सब मिल—जुलकर आदर्श के पथ पर एक साथ, एक लक्ष्य की ओर बढ़ें, यही वेद भगवान की आज्ञा है। समानो मंत्र: समिति: समानी, समानं मन: सह चित्तमेषाम। समानं मन्त्रमभि मन्त्रये व:, समानेन वो हविषा जुहोमि।। भावार्थ : सभी मनुष्यों के विचार समान हों, सब संगठित होकर रहें। सबके मन, चित्त तथा यज्ञकार्य समान हों अर्थात सब मिलजुलकर रहें। जिस प्रकार समाज में दो व्यक्ति एक—सी शक्ल—सूरत के नहीं होते, उसी प्रकार लोगों के विचार विश्वास और स्वभाव भी भिन्न भिन्न होते हैं। समाज में गोरे—काले, छोटे—बड़े, बच्चे—बूढ़े, स्त्री—पुरुष, गरीब—अमीर सभी एक साथ रहते हैं। एक के बिना दूसरे का काम भी नहीं चलता। फिर अपने भिन्न विचारों में भी उदारता का समावेश करके यदि सभी मिलजुलकर रहें तो चारों ओर सुख, शांति, एकता और उन्नति का वातावरण जाग उठे। विचारों की शक्ति बहुत ही महान है। ये लोगों के चिंतन और चरित्र को दिशा देते हैं। समाज में फैला वैचाारिक प्रदूषण ही यज्ञीय भावना के स्थान पर स्वार्थजन्य आचरण की ओर लोगों को प्रेरित करता है। संसार में आज हर व्यक्ति दु:खी दिखाई देता है। इसका कारण उसकी अपनी परेशानी तो है, पर अधिकत...