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दीयों से ऐसे सजाएं घर

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जीवनशैली : दीपावली पर घर सजाने के लिए दीयों को किसी सिंगल कलर में रंग सकती हैं। आप चाहें तो दो कलर्स में भी इन दीयों को रंग सकती हैं। सीप के दीये : छोटे शंख या बड़े-बड़े सीप के पीस मिल जाएं तो आप इन्हें भी दीयों की तरह यूज कर सकती हैं। दिन में भले ही ये देखने में आपको कुछ कम रंगीन लगें लेकिन इन सफेद सीप और शंखों के बीच रात में जब बाती की रोशनी पड़ेगी तो ये सबसे खूबसूरत दीये लगेंगे। घर का पुराना आइटम : हमारे घर में कुकीज के टिन के टिब्बे अक्सर जमा हो जाते हैं। अगर आप भी ऐसे डिब्बों का यूज करना चाहती हैं तो दिवाली इसके लिए बेस्ट है। आप इन डिब्बों को और इनके ढक्कन को किसी एक रंग में या अलग-अलग रंगों में अपनी पंसद के डिजाइन के हिसाब से पेंट करें और फिर इन्हें घर की किसी दीवार पर हैंग कर दें। अब इन पेंटेड डिब्बों में जलते हुए दीये सजाएं। पुरानी बैंगल्स : पुरानी बैंगल्स और कड़े हम अक्सर फेंक देते हैं। लेकिन इस बार इन्हें फेंके नहीं, आप अपनी 3 से 4 चूडिय़ों को फेविक्विक की मदद से एक साथ चिपकाएं। फिर जमीन पर गुलाब या गेंदे के फूलों की पंखुडिय़ां बिछाकर उनके ऊपर इन चूडिय़ों को रख दें। अब इनके ...

अबकी बार दीपावली पर बनाएं फूलों की रंगोली, ईको फ्रेंडली

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 जीवनशैली : दीपावली के दिन रंग-बिरंगे रंगों और फूलों से बनी रंगोली मां लक्ष्मी के स्वागत में बनाई जाती है। रंगोली के कलर्स बनाने में भी कैमिकल्स का यूज होता है। अगर आपके पास नैचरल रंगों से रंगोली बनाने का विकल्प मौजूद नहीं है तो पर्यावण की सुरक्षा और टाइम की बचत के लिए आप फ्लॉवर रंगोली बना सकती हैं। मोरपंख स्टाइल में फ्लॉवर रंगोली बनाकर आप उसे बीच में दीये रखकर सजा सकती हैं। इस तरह की रंगोली बनाने के लिए आपको दो से तीन तरह के फूल और हरे रंग के लिए छोटी पत्तियों की जरूरत होती है। आप चाहें तो अशोक वृक्ष की पत्तियों को छोटा-छोटा काटकर भी यूज कर सकती हैं। आप रंगोली कलर्स के साथ फ्लॉवर्स का कॉम्बिनेशन करके भी रंगोली बना सकती हैं। यहां दिए गए डिजाइन में कलर्स, फ्लॉवर्स और दीयों का बहुत प्यारा कॉम्बिनेशन दिखाया गया है। आप इससे आइडिया ले सकती हैं और अपने रंगोली कलर्स के हिसाब से किसी दूसरे रंग के फूलों का चुनाव भी कर सकती हैं। गोलाकार रंगोली का डिजाइन हमेशा अच्छा लगता है। सिंपल और सुंदर दिखता है वहीं इसे बनाना भी अन्य डिजाइंस की तुलना में आसान रहता है। आप इस तरह से फूल और पत्तियों की...

वासना और संग्रह की प्रवृत्ति है भौतिकवादी

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बोधकथा : आचार्य रजनीश किसी के घर ठहरे हुए थे। उस मकान की ऊपरी मंजिल पर स्विट्जऱलैंड के दो परिवार भी रहते थे। ओशो जिस भारतीय के घर में थे, उन्होंने विदेशियों के बारे में बताया कि ये बड़े भौतिकवादी लोग हैं। इन्हें सिवाय खाने-पीने और नाच-गाने के और कोई काम नहीं। रात बारह बजे तक नाचते रहते हैं। सुख-सुविधा की किसी चीज के अलावा आत्मा-परमात्मा से इन्हें कोई मतलब नहीं। बस धन कमाना और खाना-पीना, यही इनके जीवन का ध्येय है। दोबारा जब ओशो उस घर में गये तो वे विदेशी जा चुके थे। घर की गृहिणी उनसे कहने लगी—वे लोग बड़े अजीब थे। जाते समय अपने सारे बर्तन नौकरानी को दे गये। रेडियो पड़ोसियों को भेंटकर गये। वे अपने कपड़े भी मोहल्ले में बांट गये। रजनीश ने गृहिणी से पूछा—कुछ तुम्हें भी देकर गये हैं, क्या  गृहिणी बोली—नहीं, हमें तो यह सोचकर नहीं दिया होगा कि ये लोग धनी हैं, देने से कहीं नाराज ना हो जायें। गृहिणी जब यह कह रही थी तो वह मन से बड़ी दुखी प्रतीत हो रही थी। तभी गृहिणी की लड़की भीतर से एक रेशम की रस्सी लेकर आई और बोली-इसे वे लोग पीछे आंगन में बंधी छोड़ गये। मेरी मां इसे खोलकर ले आई, बहुत बढिय़ा...

एक चोर कैसे बना धन का देवता कुबेर!

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कथा : इस वर्ष यानि 2019 में 25 अक्टूबर को धनतेरस मनाया जाएगा। धनतेरस और दीपावाली पर कुबेर भगवान की पूजा का भी विधान है। धनतेरस को भगवान धनवंतरि के साथ धन के देवता कुबेर की भी पूजा की जाती है। भगवान कुबेर पूर्वजन्म में एक गुणनिधी नाम के गरीब ब्राह्मण थे। बचपन में उन्होंने अपने पिता से धर्म शास्त्र की शिक्षा ली, लेकिन गलत संगत में आने के कारण उन्हें जुआ खेलने और चोरी की लत लग गई। गुणनिधी की इन हरकतों से परेशान होकर उनके पिता ने उन्हें घर से बाहर निकाल दिया। घर से निकाले जाने के बाद उनकी हालत दयनीय हो गई और वह लोगों के घर जाकर भोजन मांगने लगे। एक दिन गुणनिधि भोजन की तलाश में गांव-गांव भटक रहे थे। लेकिन उन्हें उस दिन किसी ने भोजन नहीं दिया। इसके बाद गुणनिधि भूख और प्यास से परेशान हो गए। भूख और प्यास के कारण गुणनिधि भटकते-भटकते जंगल की और निकल पड़े। जंगल में उन्हें कुछ ब्राह्मण भोग की सामग्री ले जाते हुए दिखाई दिए। भूख की सामग्री को देख गुणनिधि की भूख और भी ज्यादा बढ गई और खाने के लालच में वह ब्राह्मणों के पीछे-पीछे चल दिए। ब्राह्मणों का पीछा करते-करते गुणनिधि एक शिवालय आ पहुंचे, जहां उन...

दीपावली पर बनायें सुंदर रंगोली

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जीवनशैली : इस वर्ष यानि दीपावली 27 अक्टूबर 2019 को पड़ रही है। देश में दीपावली उत्साह से मनायी जाती है। दीपावली पर लोग दीप पूजन करते हैं और तरह—तरह की रंगोली बनाते हैं। दीपावली पर अपने घर को ताजे-फूलों और फूल मालाओं से सजाएं और पारम्परिक लटकन भी आप अपने घर के लिए ला सकते हैं। क्योंकि यह कांच, कड़े, मोतियों और सीप्स से बनी हो सकती हैं। इसी के साथ आप अपनी पसंद के डिजाइन ले सकते हैं और आप चाहे तो राजस्थानी और गुजराती लटकने भी लगा सकते हैं क्योंकि ये कहीं अधिक कलरफुल होती हैं। इसी के साथ घर के लिए बंदरवाल जरूर खरीदें या आम के पत्तों से बनाएं। आजकल घरों की सजावट के लिए पेटिंग सबसे तरीका है। आप घर पर भी पेटिंग बना सकते हैं। अगर आप घर के कामकाजों में व्यस्त रहते हैं तो आप बाजार से भी पेटिंग ला सकते हैं। इसके अलावा आप गुलदस्ते लगा सकते हैं। अगर आपके घर में गमलों में पौधें लग रहे हैं तो आप उन पर लाइट या कलर पेंट करके घर को सजा सकते हैं। वहीं दीपावली पर घर में सबसे जरूरी है—रोशनी की सजावट। वहीं दूसरी ओर ऐसी मान्यता है कि दीपावली पर्व पर रंगोली बनाना बहुत शुभ होता है। रंगोली कई तरह की बनाई जात...

धैर्यवान छिपकली

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बोधकथा : एक जापानी मरम्मत के लिए अपने मकान की दीवारें तोड़ रहा था। जापान में लकड़ी की दीवारों के बीच ख़ाली जगह होती है, यानी दीवारें अंदर से पोली होती हैं। जब वह लकड़ी की दीवारों को तोड़ रहा था तभी उसने देखा कि दीवार के अंदर की तरफ लकड़ी पर एक छिपकली, बाहर से उसके पैर पर ठुकी कील के कारण, एक ही जगह पर जमी पड़ी है। जब उसने यह दृश्य देखा तो उसे बहुत दया आई पर साथ ही वह जिज्ञासु भी हो गया। जब उसने आगे जांच की तो पाया कि वह कील तो उसके मकान बनते समय पांच साल पहले ठोकी गई थी। एक छिपकली इस स्थिति में पांच साल तक जीवित थी। दीवार के अंधेरे पार्टीशन के बीच, बिना हिले-डुले? उसकी समझ से परे था कि एक छिपकली, जिसका एक पैर, एक ही स्थान पर पिछले पांच साल से कील के कारण चिपका हुआ था और जो अपनी जगह से एक इंच भी न हिली थी, वह कैसे जीवित रह सकती है? छिपकली अब तक क्या करती रही है और कैसे अपने भोजन की जरूरत को पूरा करती रही है, यह देखने के लिए उसने अपना काम रोक दिया। थोड़ी ही देर बाद वहां दूसरी छिपकली प्रकट हुई, वह अपने मुंह में भोजन दबाये हुए थी और आकर उस फंसी हुई छिपकली को भोजन खिलाने लगी! यह देख वह स...

भारत और पाकिस्तान के लिए चुनौती है करतारपुर कॉरिडोर

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भारत के गुरु नानकदेव पाकिस्तान के बाबा नानक पीर भी हैं  विचार : सिक्ख गुरु नानकदेव जी की 550वीं जयंती (12 नवंबर 2019) के मौके पर करतारपुर कॉरिडोर के माध्यम से सिक्ख श्रद्धालुओं के लिए गुरुद्वारा दरबार साहिब पहुंचना आसान बनाने का फैसला अपने आप में एक बड़ी पहल है। सीमा पर सब कुछ सामान्य होता तो पाकिस्तान सरकार के इस फैसले पर आज भारत में उसकी वाहवाही हो रही होती। यह हालात की बदतरी ही है कि इतना बड़ा फैसला भी दोनों देशों के बीच खड़ी आशंकाओं की दीवार को भेद नहीं पा रहा। दुखद बात है कि शुरू से ही यह प्रस्ताव दोनों देशों के तनावपूर्ण सम्बन्धों की भेंट चढ़ता रहा है। 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और नवाज शरीफ के कार्यकाल में आपसी गर्मजोशी के बीच यह प्रस्ताव पहली बार आया तो जल्द ही कारगिल युद्ध के कारण ठंडे बस्ते में चला गया। दूसरी बार बात आगे बढ़ी तो 2008 का मुंबई आतंकी हमला आड़े आ गया। अभी अगस्त 2018 में जब पाकिस्तान ने यह कॉरिडोर बनाने के अपने इरादे को 550वें प्रकाश पर्व से जोड़ दिया तो मामला कुछ आगे बढ़ा और समय सीमा के दबाव के आगे सारी बाधाएं इस बार बौनी होती...