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जीवन का सुख

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बोधकथा : मूक सिनेमा के दौर में मेरी पिकफोर्ड नामक अभिनेत्री को पैसे और ख्याति की कोई कमी नहीं थी, मगर उसके मन में शांति नहीं थी। इसलिए वह अक्सर धार्मिक आयोजनों में हिस्सा लेती रहती थी। एक बार एक कार्यक्रम में उसकी मुलाकात एक अधेड़ विधवा से हुई। उस महिला की जिंदादिली ने मेरी पिकफोर्ड को प्रभावित किया। मेरी ने उससे पूछा-आपकी शांति और संतुष्टि का रहस्य क्या है। उस महिला ने सहजता से मुस्कुराते हुए बताया कि विशाल समुद्र का सारा पानी भी एक जहाज को नहीं डुबो सकता। उस जहाज का तभी डूबना संभव होगा जब समुद्र का पानी जहाज के भीतर प्रवेश करने लगे। इसी तरह से दु:ख और दर्द भी किसी व्यक्ति को तभी व्यथित करते हैं जब वह व्यक्ति के अंतर्मन को स्पर्श करते हुए उसके भीतर प्रवेश करने लगते हैं। जब मेरे पति का देहान्त हुआ तो मैंने रोने-धोने के बजाय तय किया कि मैं अपने मस्तिष्क में नकारात्मक विचारों को आने ही नहीं दूंगी और दिन भर सकारात्मक सोच वाले लोगों के संपर्क में रहूंगी। आप भी एक बार भविष्य की चिंता किए बगैर वर्तमान में जीकर देखिए, आपको भी सब ओर सुख-शांति और अपनेपन का एहसास मिलेगा।

मृत्यु की बात

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बोधकथा : स्वामी रामतीर्थ पहली बार विदेश यात्रा पर निकले। जिस जहाज में वे सवार थे, उस पर एक 90 साल का बूढ़ा जापानी भी यात्रा कर रहा था। जहाज के एक कोने में बैठकर वह चीनी भाषा सीख रहा था। चीनी भाषा सीखना कोई आसान काम नहीं। इस भाषा की लिपि चित्रों से सीखी जाती है। स्वामी जी उसके पास गये और उससे बोले-क्षमा करना महाशय, जिस भाषा को आप सीख रहे हैं, उसे कब तक सीख पाओगे? यदि सीख भी ली तो क्या इसके इस्तेमाल तक आप जीवित रह पायेंगे? बूढ़े जापानी ने जवाब दिया-मैं जिंदगी में इतना व्यस्त रहा कि मुझे उम्र का हिसाब रखने की फुर्सत ही नहीं मिली। उम्र का भी क्या हिसाब लगाना? आज तक तो मौत मेरा कुछ बिगाड़ नहीं सकी, आगे क्या बिगाड़ लेगी? रामतीर्थ ने कहा-मृत्यु तुम्हारे निकट खड़ी है। वृद्ध ने उत्तर दिया-जब सीखना बंद कर दूंगा तब सोचूंगा मृत्यु के बारे में। बूढ़े जापानी ने रामतीर्थ से पूछा कि आपकी उम्र क्या है? रामतीर्थ बोले-तीस साल। जापानी बोला-जब कोई 30 साल का आदमी मृत्यु की बातें करता है तो समझो वह मर गया और मरा हुआ आदमी कभी कुछ नहीं सीख पाता।

फ्रिज में रखा ठंडा पानी पीने के 5 नुकसान

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स्वास्थ्य : फ्रिज में रखा ठंडा पानी पीने से कौन से नुकसान हो सकते हैं - — फ्रिज का पानी सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है और इसका एक बड़ा कारण यह है कि फ्रिज में पानी कृत्रिम तरीके से सामान्य से अत्यधिक कम तापमान पर होता है, जो नुकसानदायक है। — फ्रिज का एकदम ठंडा पानी पीने से बड़ी आंत सिकुड़ जाती है जिससे वह अपना काम ठीक तरीके से नहीं कर पाती। परिणामस्वरूप सुबह ठीक से पेट साफ नहीं हो पाता, और मल पेट में ही रह सड़ता है। — इस पानी को पीने से लंबे समय का कब्ज हो सकता है, जिससे आपका पूरा तंत्र गड़बड़ा जाता है और कई अन्य बीमारियां जन्म ले लेती हैं। आयुर्वेद में कब्ज को सारी बीमारियों की जड़ कहा गया है। — फ्रिज का पानी पीने से गला खराब होने की संभावना अधिक होती है। रोजाना अगर आप इस आदत को जारी रखेंगे तो टॉन्सिल्स गले, फेफड़े और पाचन तंत्र के रोग होना बेहद आम बात है। — अत्यधिक ठंडा पानी पीने से शरीर की कोशिकाएं सिकुड़ जाती हैं और ठीक तरीके से काम नहीं कर पातीं। इसका असर मेटाबॉलिज्म और सेहत पर सीधा पड़ता है।

च्युइंग गम चबाने से कोलोरेक्टल कैंसर होने की प्रबल सम्भावना

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स्वास्थ्य : बहुत ज्यादा च्युइंग चबाने या फिर खाने में सफेद रंग का मेयोनीज आपको काफी पसंद है तो इन चीजों का बहुत ज्यादा सेवन करने से पहले सावधान हो जाइए। इन चीजों में मौजूद फूड एडिटिव की वजह से आपको कोलोरेक्टल कैंसर जैसी गंभीर बीमारी होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। दरअसल, खाद्य पदार्थों में रूप, रंग, गंध या अन्य किसी गुण को सुरक्षित रखने या बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होने वाले एजेंट्स को फूड एडिटिव कहा जाता है। च्युइंग गम या मेयोनीज जैसी चीजों में वाइटनिंग एजेंट के रूप में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले फूड एडिटिव की वजह से पेट में जलन से जुड़ी बीमारी और कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा रहता है। हाल ही में हुई एक स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है। ई171 जिसे टाइटेनियम डाइऑक्साइड नैनोपार्टिकल्स कहते हैं एक फूड एडिटिव है जिसका इस्तेमाल वाइटनिंग एजेंट के तौर पर बड़ी मात्रा में खाने-पीने की कई चीजों और यहां तक की दवाईयों में भी होता है। इस फूड एडिटिव का हमारे स्वास्थ्य पर क्या असर होता है यह जानने के लिए चूहों पर एक स्टडी की गई। श्व171 का इस्तेमाल 900 से भी ज्यादा फूड प्रॉडक्ट्स में होता है और आम लोग ...

बुरे कर्मों का बखान

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बोधकथा : महात्मा बुद्ध की सभा में एक दिन एक डाकू आया और उनके वचनों से प्रभावित होकर उनके चरणों में सिर झुकाता हुआ बोला- महाराज, मैं एक डाकू हूं और अपने लूट, खसोट और भागदौड़ के जीवन से परेशान हो गया हूं। मैं यह सब छोड़कर सुधरना चाहता हूं। कृपया मेरा मार्गदर्शन कीजिए। बुद्ध बोले-तुम डकैती और झूठ बोलना छोड़ दो, एक दिन सब ठीक हो जाएगा। डाकू उन्हें प्रणाम करके चला गया। कुछ दिन बाद आकर फिर बोला-महाराज, मैंने बहुत कोशिश की, मगर सफल न हो सका। स्वभाव है न, छूटता ही नहीं। इस पर बुद्ध गंभीरता से बोले-फिर ठीक है। तुम जो चाहे करो। मगर दिन भर में जो भी बुरे कर्म करो, शाम को वापिस आकर चौपाल में सबके सामने उनका बखान कर दो। डाकू खुश हो गया कि यह तो बड़ा सरल उपाय बताया। फिर तो वह कई महीने तक आया ही नहीं। एक दिन वह आया तो उसका रूप ही बदला हुआ था। आते ही बोला-महाराज, मैंने तो उस उपाय को बहुत सरल समझा था। मगर सारा दिन बुरे कर्म करने के पश्चात शाम को सबके सामने उनका बखान करने में बड़ी लज्जा आती थी। धीरे-धीरे गलत कामों से तौबा करने लगा और आज देखिए, मैं सब बुरे काम छोड़कर मेहनत व मजदूरी कर रहा हूं।

अमरनाथ की पवित्र गुफा और शुकदेव मुनि

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बोधकथा : भगवान शंकर ने अमरनाथ की पवित्र गुफा में भगवती पार्वती को मोक्ष का मार्ग दिखाया था। इस तत्वज्ञान को 'अमरकथा' के नाम से जाना जाता है इसीलिए इस स्थान का नाम 'अमरनाथ' पड़ा। यह कथा भगवती पार्वती तथा भगवान शंकर के बीच हुआ संवाद है। यह उसी तरह है जिस तरह कृष्ण और अर्जुन के बीच संवाद हुआ था। जब भगवान शंकर इस अमृतज्ञान को भगवती पार्वती को सुना रहे थे तो वहां एक शुक (हरा कठफोड़वा या हरी कंठी वाला तोता) का बच्चा भी यह ज्ञान सुन रहा था। पार्वती कथा सुनने के बीच-बीच में हुंकारा भरती थी। पार्वतीजी को कथा सुनते-सुनते नींद आ गई और उनकी जगह पर वहां बैठे एक शुक ने हुंकारी भरना प्रारंभ कर दिया। जब भगवान शिव को यह बात ज्ञात हुई, तब वे शुक को मारने के लिए दौड़े और उसके पीछे अपना त्रिशूल छोड़ा। शुक जान बचाने के लिए तीनों लोकों में भागता रहा। भागते-भागते वह व्यासजी के आश्रम में आया और सूक्ष्म रूप बनाकर उनकी पत्नी वटिका के मुख में घुस गया। वह उनके गर्भ में रह गया। ऐसा कहा जाता है कि ये 12 वर्ष तक गर्भ के बाहर ही नहीं निकले। जब भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं आकर इन्हें आश्वासन दिया कि बाह...

कांगे्रस मुक्त हो 'भारत', तभी होगी जय—जयकार

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विचार : लोकसभा चुनाव 2019 हारने के बाद कांगे्रस पार्टी यानि 'पप्पू' पों—पों चिल्ला रहे हैं कि मैं अध्यक्ष पद पर नहीं रहूंगा। कांगे्रस में बड़ी असमंजस की स्थिति है, ऐसे ही जिस तरह कांगे्रस को समझ नहीं आ रहा कि राहुल गांधी स्वयं को कांगे्रस अध्यक्ष पर यथास्थिति बनाये रखेंगे या नये चेहरे को मौका देंगे, उसी तरह आज तक देश गांधी साथ ही में नेहरू परिवार के बारे में समझ नहीं पाया। कांगे्रस पार्टी के लोग बड़े ही बहरूपिये किस्म के हैं, इतनी सफाई से झूठ बोलते हैं कि एकदम पता चल जाता है कि भारतवर्ष की बेइज्जती कर रहे हैं। इसके बाद भी यह कांगे्रस वाले वोट पा जाते हैं, वह इसलिये है कि शायद हम भारतीय सांप को भी दूध पिलाते हैं और उनके जहर से ऐसी जीवनदायिनी औषधि बनाते हैं, जो बेहद कारगर होता है। वहीं अमेठी समेत कांगे्रस को लोकसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा, तो इसकी जिम्मेदारी भोलेभाले कार्यकताओं के सिर प्रियंका ने मढ़ दिया। अरे, प्रियंका गांधी वाडरा कहीं की, कुछ तो जिम्मेदारी तुम मां, भाई और बहन भी ले लिया करो। वहीं लोकसभा चुनाव में शिकस्त के बाद कांग्रेस शासित राज्यों में अंतर्कलह के ...