गौर करने लायक है मोहन भागवत का बयान-'हम सब एक हैं'
सभी भारतीय एकजुट रहेंगे तभी भारत बन सकता है विश्वगुरु
विचार : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के बयान के बाद संघ के विरोधी समझ नहीं पा रहे कि भागवत के बयान का कैसे विरोध किया जाये, जो इतने विरोध के बावजूद एकजुटता की बात करते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने रविवार शाम को पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के तत्कालीन सलाहकार रहे डॉ. ख्वाजा इफ्तिकार अहमद की पुस्तक का विमोचन किया। कार्यक्रम में मोहन भागवत ने कहा कि जब मेरे पास ये पुस्तक आयी, तभी मैंने कहा कि इस पुस्तक का विमोचन करूंगा क्योंकि इस पुस्तक में सत्य है। दिल से आह्वान किया गया है कि हम सब एक हैं और एक होना है। हिन्दू-मुसलमान एकता जो शब्द है ये भ्रामक है, हिन्दू-मुसलमान एक हैं। हम आकार निराकार दोनों की श्रद्धा का आदर करते हैं। हमारी मातृभूमि ऐसी है कि हम इतना झगड़कर भी इसी पर रहते हैं। ये मातृभूमि हमें पालती आ रही है। पहले बाहर से जो लोग आए उन्हें भी इस भूमि ने अपनाया। अथर्ववेद में इसका जिक्र है कि अनेक भाषाओं को मानने वाले यहां रहते हैं। संघ प्रमुख ने कहा कि मैं बताता हूँ संघ की शुरुआत कैसे हुई। डॉ. हेडगेवार ने कहा कि हिन्दू अपनी दुर्गति के लिए अंग्रेजों और मुस्लिमों को जिम्मेदार ठहराते हैं, लेकिन अपने देश में ऐसी हालात के लिए खुद जिम्मेदार हैं। संघ ने कभी मेजारटी माइनॉरिटी की बात नहीं कही, जो यहां रहता है वो यहीं का है। हिन्दू-मुसलमान को जोड़ने का प्रयास सालों से चला आ रहा है लेकिन राजनीति ने ये होने नहीं दिया। समझदार लोगों को ये समझने की जरूरत है। हिन्दू समाज का एक वर्ग है जो पुस्तक विमोचन का समर्थन करेगा। कुछ लोग कहेंगे कि आप भोलेपन में फंस गए। ये डिबेट चलती रहेगी। लेकिन संघ पूरे हिन्दू समाज की बात करता है। जो लोग डर से एक नहीं होना चाहते या सत्ता की वजह से एक होना चाहते हैं वो गलत है। हमें नि:स्वार्थ भाव से एक होना होगा। संघ प्रमुख की बातों को गौर करने लायक है। सर्वविदित है कि संघ किसी का विरोध नहीं करता और करता भी है तो उन लोगों का, जो देश को लूटने—खसोटने में लगे हैं। या यूं कह लें कि देश में तुष्टिकरण, लूट, आतंक मचाने, अशांति फैलाने वालों का ही संघ विरोध करता है। तमाम ऐसे लोग हैं, जो संघ की शाखा में भी आते हैं और वोट ऐसे राजनीतिक दलों को देते हैं, जो संघ की बिना सोचे—समझे दिन—रात आलोचना व बुराई करते रहते हैं। इसके बावजूद संघ शुरू से कहता आ रहा है कि हम सब एक हैं, हमें एकजुट रहना चाहिए। विश्व के अधिकतर देश चाहते हैं कि दुनिया से हिंदुत्व समाप्त हो जाये, लेकिन उनका यह सपना पूरा नहीं होगा क्योंकि संघ सत्य है और सत्य को आज तक कोई हरा नहीं पाया है। ऐसे कई राजनीतिक दल हैं जो भारत को धर्मनिरपेक्ष बताते हैं, लेकिन संघ इसके इतर सोचता है, संघ का कहना है कि भारत हिंदू राष्ट्र था, है और रहेगा। यह सभी को समझना व जानना जरूरी है कि संघ सिर्फ और सिर्फ शाखा लगाता है और कुछ नहीं।
संघ सभी से आग्रह भी करता है कि शाखा आयें। अब शाखा क्या है, यह तो शाखा में जाने पर ही पता चल पायेगा, कोई भी संघी शाखा के बारे में बता नहीं पायेगा। जैसे कोई भी व्यक्ति यह नहीं बता पायेगा कि हवा हमारे शरीर को जब छूती है तो कैसा लगता है, या सर्द ऋतु में जब धूप शरीर को छूती है तो कैसा लगता है, उसी तरह शाखा से क्या मिलता है और शाखा क्यों जाना चाहिए, यह शाखा जाने पर ही पता चल पायेगा। कई संघी दावा करते हैं कि कोई कितना भी संघ का विरोधी क्यों न हो, एक बार शाखा चला गया तो वह फिर शाखा जायेगा, क्योंकि डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने यह बताने के लिए, महसूस कराने के लिए संघ की स्थापना की थी कि हम सब एक हैं, एक बार मिल लो, दोबारा फिर मिलोगे, क्योंकि शााखा में स्वयंसेवकों में भाईत्व का अपनापन होता है, आत्मीयता होती है, जो कहीं नहीं मिलता, सिर्फ और सिर्फ शाखा के सिवाय। इसलिए मोहन भागवत का कहना एकदम सही है कि सभी का डीएनए एक है, हमें पूजा पद्धति के आधार पर कोई अलग नहीं कर सकता। बताते चलें कि सभी भारतीय एकजुट रहेंगे तभी भारत विश्वगुरु बन सकता है।
अभिषेक त्रिपाठी
8765587382
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