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क्यों मनाया जाता है शारदीय नवरात्रि!

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 शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन शुक्ल और ब्रह्म योग आस्था। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस साल यानि 2022 में नवरात्रि 26 सितम्बर से शुरू होकर 5 अक्टूबर को समाप्त होगी। वहीं महा नवमी 4 अक्टूबर को मनाई जायेगी, जबकि दुर्गा अष्टमी 3 अक्टूबर को है। इस साल अश्विन मास की नवरात्रि में मां दुर्गा गज यानी कि हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। मां दुर्गा की हाथी की सवारी को खेती और फसलों के लिए शुभ माना जाता है, इससे धन-धान्‍य के भंडार भरे रहते हैं। साथ ही यह बारिश होने की भी सूचक है। शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन यानि घटस्‍थापना के लिए दिन भर का समय बहुत शुभ रहेगा। इस दौरान शुक्ल और ब्रह्म योग का अद्भुत संयोग बन रहा है, जिसे पूजा-पाठ और शुभ योगों के लिए बहुत शुभ माना गया है।    मां दुर्गा का आवाहन मंत्र है- ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।। नवरात्रि और दशहरे से जुड़ी कथा के अनुसार-माता सीता का हरण करके ले गए रावण से युद्ध करने से पहले भगवान श्रीराम ने 9 दिन तक अनुष्ठान करके मां दुर्गा का आर्शीवाद लिया था और फिर 10वें दिन रावण का वध किया था।...

करवा चौथ के दिन निर्जल व्रत न रहें कुंवारी लड़कियां

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  आस्था। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस साल यानि 2022 में करवा चौथ 13 अक्टूबर को पड़ेगा। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं। विवाहित महिलाओं के साथ कई कुंआरी लड़कियां भी व्रत करती हैं। हालांकि, इनके लिए नियम अलग होते हैं। कहा जाता है कि कुंवारी लड़कियां को व्रत के दौरान केवल करवा माता, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए और कथा सुननी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, कुंवारी लड़कियां विवाहित महिलाओं की तरह चंद्रमा को देखकर नहीं बल्कि तारों को देखकर ही व्रत का समापन करें। करवा चौथ व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं पूजा के दौरान छलनी का इस्तेमाल करती हैं, ऐसे में कु्ंआरी लड़कियां छलनी का इस्तेमाल न करें। सबसे अहम बात कि करवा चौथ के दिन कुंवारी लड़कियों को निर्जला व्रत नहीं करना चाहिए। अविवाहित युवतियों फलाहार व्रत रखना चाहिए। चूंकि सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत में पति के हाथों से पानी पीकर पारण करती हैं, ऐसे में कुंआरी लड़कियों को निर्जला व्रत नहीं करना चाहिए। करवा चौथ के दिन तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। इस न‍ियम का पालन केवल व्रती मह‍िलाओं को ही नहीं ब...

वृक्ष की उम्र

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बोधकथा। एक बार वृद्ध वैज्ञानिक ने युवा वैज्ञानिक से कहा कि चाहे विज्ञान कितनी भी प्रगति क्यों न कर ले, लेकिन वह अभी तक ऐसा कोई उपकरण नहीं ढूंढ पाया, जिससे चिंता पर लगाम कसी जा सके।' युवा वैज्ञानिक मुस्कराते हुए कि आप भी कैसी बातें करते हैं, अरे चिंता तो मामूली सी बात है। भला उसके लिए उपकरण ढूंढने में समय क्यों नष्ट किया जाए? वृद्ध वैज्ञानिक ने कहा कि चिंता बहुत भयानक होती है। यह व्यक्ति का नाश कर देती है, लेकिन युवा वैज्ञानिक इस बात से सहमत नहीं हुआ। वृद्ध वैज्ञानिक उसे अपने साथ घने जंगलों की ओर ले गया। एक बड़े वृक्ष के आगे वे दोनों खड़े हो गए, युवा वैज्ञानिक ने पूछा कि आप मुझे यहां क्यों लाए हैं? वृद्ध वैज्ञानिक ने उत्तर देते हुये कहा कि जानते हो, इस वृक्ष की उम्र चार सौ वर्ष बताई गई है। युवा वैज्ञानिक बोला, अवश्य होगी। वृद्ध वैज्ञानिक ने समझाते हुए कहा कि इस वृक्ष पर चौदह बार बिजलियां गिरीं। चार सौ वर्षों से अनेक तूफानों का इसने सामना किया। अब युवा वैज्ञानिक ने झुंझला कर कहा कि आप साबित क्या करना चाहते हैं? वृद्ध वैज्ञनिक ने कहा कि धैर्य रखो, यहां आओ और देखो कि इसकी जड़ में दीमक...

59 साल बाद ग्रहों का अनोखा और विलक्षण संयोग

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ज्योतिष। शस्त्र के अनुसार 24 सितम्बर 2022 को 59 वर्ष बाद अनोखा और विलक्षण संयोग बन रहा है। इस दिन गुरु बृहस्पति और शनि वक्री अवस्था में रहेंगे व शुक्र ग्रह राशि परिवर्तन करेंगे। धन व ऐश्वर्य का कारक ग्रह शुक्र कन्या राशि में 24 सितम्बर को रात सवा नौ बजे गोचर होंगे। बता दें, कन्या राशि में ग्रहों के राजा सूर्य पहले से ही विराजमान हैं। पंडित कामता प्रसाद मिश्र के अनुसार शुक्र के राशि परिवर्तन से सभी राशि के जातकों पर प्रभाव पड़ेगा, लेकिन पांच राशियों के लिये शुक्र का परिवर्तन विशेष लाभकारी सिद्ध होगा- वृष : इस दौरान वृष राशि के जातकों के जीवन पर अच्छा प्रभाव पड़ने वाला है। नौकरी में पदोन्नति के योग हैं। इस राशि के जातकों को व्यापार में मुनाफा के कई योग दिख रहे हैं। वहीं नौकरी पेशा जातकों को कार्य स्थल में काम की वाहवाही मिलेगी। मिथुन : मिथुन राशि में हंस नाम का राजयोग बन रहा है। ऐसे में इस राशि के जातकों को नौकरी और व्यापार में अपार सफलता मिलेगा। इसके साथ ही धन लाभ के पूर्ण आसार हैं, समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा, व्यवसाय में वृद्धि के योग। कन्या : इस राशि के लिये दुर्लभ संयोग अच्छा साब...

वक्री हैं बृहस्पति, 3 राशियों की चमकेगी किस्मत

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ज्योतिष। शास्त्रों के अनुसार महर्षि अंगिरा के सबसे ज्ञानी पुत्र ऋषि बृहस्पति थे। महाभारत के आदिपर्व के अनुसार बृहस्पति महर्षि अंगिरा के पुत्र तथा देवताओं के पुरोहित हैं। बता दें कि मौजूदा समय में देवगुरु बृहस्पति 12 साल बाद अपनी स्वराशि मीन में वक्री हुए हैं, यानी गुरु ग्रह उल्टी चाल चल रहे हैं। गुरु बीते 29 जुलाई से वक्री हैं और 23 नवम्बर 2022 तक मीन राशि में वक्री रहेंगे। गुरु बृहस्पति के वक्री होने का प्रभाव तीन राशियों के लिए बेहद शुभ रहेगा— वृष : बृहस्पति देव अपनी राशि से 11वें स्थान में वक्री हुए हैं। वृष राशि वालों के लिये भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि होगी। सेहत अच्छी रहेगी। कार्यक्षेत्र में मान-सम्मान मिलेगा। नौकरी की तलाश करने वाले जातकों को शुभ समाचार मिल सकता है। आय के नए साधन खुलेंगे। व्यापारियों को मुनाफा होगा। मिथुन : मिथुन राशि वालों के लिए पैसे व करियर से सम्बन्धित सभी समस्याएं हल होंगी। पेशेवर रूप से जातक का विकास तेजा होगा। धनागम के नये मार्ग प्रशस्त होंगे, दाम्पत्य जीवन सुखमय रहेगा। कर्क : गुरु वक्री होने से कर्क राशि के जातकों को भाग्य का साथ मिलेगा, व्यापारियो...

अनोखे और अद्भुत गुणों से परिपूर्ण होता है सरसों का तेल

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  सेहत। सरसों का तेल या कड़वा तेल, इसका प्रयोग हर घरों में रोज होता है। आजकल आम बोलचाल भाषा में तेल लगाने को मजाक में लिया जाता है, लेकिन बता दें कि हमारे पूर्वजों ने सरसों के तेल को नियमित भोजन में ऐसे ही नहीं शामिल किया। सरसों के तेल में अद्भुत और अनोखे गुण होते हैं। सरसों का तेल भोजन का स्वाद बढ़ाता है, साथ ही शरीर में लगाने से हड्डियां और त्वचा मजबूत होती हैं, यही कारण हैं शिशु को माताएं सरसों के तेल से ही मालिश करती हैं, जिससे शरीर का समुचित विकास हो सके। वहीं अगर लाठी या दंड में सरसों का तेल लगाया जाये तो उसकी मजबूती, चमक और सुंदरता बढ़ जाती है। कड़वा तेल के कई चमत्कारिक फायदे हैं। नाभि और उसके आसपास तेल लगाने से तनाव में आराम मिलता है। साथ ही मानसिक सेहत में सुधार होता है, इसके लिए रोजाना नाभि में तेल लगाएं। नाभि में तेल लगाने से त्वचा में निखार आता है, इससे शरीर को पोषण प्राप्त होता है। कैल्शियम और विटामिन-डी की कमी से जोड़ों में दर्द की शिकायत होती है। इसके अलावा, जोड़ों में दर्द के कई अन्य कारण भी हैं। नाभि में तेल लगाने से जोड़ों के दर्द में शीघ्र आराम मिलता है। आंखों के लि...

आज भी बेजोड़ हैं चाणक्य की नीतियां

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नीति। चाणक्य कौटिल्य या विष्णुगुप्त नाम से भी प्रसिद्ध हैं। पिता श्री चणक के पुत्र होने के कारण वह चाणक्य कहे गए। विष्णुगुप्त कूटनीति, अर्थनीति, राजनीति के महाविद्वान और अपने महाज्ञान का 'कुटिल' 'सदुपयोग, जनकल्याण और अखंड भारत के निर्माण जैसे सृजनात्मक कार्यों में करने के कारण उन्हें कौटिल्य कहा जाता है। चाणक्य द्वारा रचित अर्थशास्त्र नामक ग्रन्थ राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति आदि का महान ग्रन्थ है। अर्थशास्त्र मौर्यकालीन भारतीय समाज का दर्पण माना जाता है। चाणक्य की नीतियां आज भी बेजोड़ मानी जाती हैं। काव्यशास्त्रविनोदेन कालो गच्छति धीमतां। व्यसनेन च मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा।। अर्थ : ज्ञानी व्यक्ति अपना पूरा समय काव्य और शास्त्रों के अध्ययन में बिताते हैं। वहीं मूर्ख और अज्ञानी लोग अपना समय सोने, लड़ने और बुरी आदतों का पीछा करने में बिताते हैं। इसलिए व्यक्ति को अपना समय व्यर्थ के कार्यों से हटाकर रचनात्मक कार्यों में लगाना चाहिए, इससे व्यक्ति के कौशल में और अधिक निखार आएगा। सानन्दं सदनं सुतास्तु सधियः कांता प्रियालापिनी इच्छापूर्तिधनं स्वयोषितिरतिः स्वाज्ञापराः सेवकाः ...