अच्छी आदतें अपनायें, सकारात्मक सोचें
बोधकथा : बचपन में दो दोस्त थे, जो धीरे—धीरे बड़े हुए और पढ़ाई पूरी करने के बाद दोनों दोस्त अपने-अपने जीवन में व्यस्त हो गए। एक दोस्त ने खूब मेहनत की और बहुत पैसा कमा लिया। जबकि दूसरा दोस्त बहुत आलसी था। वह कुछ भी काम नहीं करता था। उसका जीवन ऐसे ही गरीबी में कट रहा था। एक दिन अमीर व्यक्ति अपने बचपन के दोस्त से मिलने गया। अमीर व्यक्ति ने देखा की उसके दोस्त की हालत बहुत खराब है, उसका घर भी बहुत गंदा था। गरीब दोस्त ने बैठने के लिए जो कुर्सी दी, उस पर धूल थी। अमीर व्यक्ति ने कहा कि तुम अपना घर इतना गंदा क्यों रखते हो? गरीब ने जवाब दिया कि घर साफ करने से कोई लाभ नहीं है, कुछ दिनों में ये फिर से गंदा हो जाता है। अमीर ने उसे बहुत समझाया कि घर को साफ रखना चाहिए, लेकिन वह नहीं माना। जाते समय अमीर व्यक्ति ने गरीब दोस्त को एक बहुत ही सुंदर गुलदस्ता उपहार में दिया। गरीब ने वह गुलदस्ता अलमारी के ऊपर रख दिया। इसके बाद जब भी कोई व्यक्ति उस गरीब के घर आता तो उसे सुंदर गुलदस्ता दिखता, वे कहते कि गुलदस्ता तो बहुत सुंदर है, लेकिन घर इतना गंदा है। बार-बार एक ही बात सुनकर गरीब ने सोचा कि ये अलमारी साफ कर देता हूं, उसने अलमारी साफ कर दी। अब उसके घर आने वाले लोगों ने कहा कि गुलदस्ता बहुत सुंदर, अलमारी भी साफ है, लेकिन पूरा घर गंदा है। ये बातें सुनकर गरीब व्यक्ति ने अलमारी के साथ वाली दीवार साफ कर दी। अब जो भी लोग उसके घर आते सभी उसी कोने में बैठना पसंद करते थे, क्योंकि वहां साफ-सफाई थी। गरीब व्यक्ति ने एक दिन गुस्से में पूरा घर साफ कर दिया और दीवारों की पुताई भी करवा दी। धीरे-धीरे उसकी सोच बदलने लगी और उसने काम करना शुरू कर दिया और उसकी दरिद्रता दूर हो गयी। यानि कि हमारी एक छोटी सी अच्छी आदत हमारी सोच बदल सकती है, जिससे हमारा जीवन बदल सकता है और हम समृद्ध बन सकते हैं।
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