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अथक प्रयासों से ही चढ़ी जा सकती है सफलता की सीढ़ी

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प्रेरक कथा : एक व्यक्ति सकर्स में रस्सी से बंधे हुए एक हाथी को देखकर सोचने लगा कि जो हाथी जाली, मोटे चैन या कड़ी को भी तोड़ देने की शक्ति रखता है वह एक साधारण रस्सी से बंधे होने पर भी कुछ नहीं कर रहा है। उस शख्स ने तभी देखा कि हाथी के पास में एक ट्रेनर खड़ा था। यह देखकर उस व्यक्ति ने ट्रेनर से कहा कि यह हाथी अपनी जगह से इधर उधर क्यों नहीं भागता या रस्सी क्यों नहीं तोड़ता है? उसने जवाब दिया! जब यह हाथी छोटा था तब भी हम इसी रस्सी से इसे बांधते थे। जब यह हाथी छोटा था तब यह बार—बार इस रस्सी को तोड़ने की कोशिश करता था पर कभी तोड़ नहीं पाया और बार बार कोशिश करने के कारण हाथी को यह विश्वास हो गया कि रस्सी को तोड़ना असंभव है, जबकि आज वह रस्सी को तोड़ने की ताकत रखता है फिर भी वह यह सोच कर कोशिश भी नहीं कर रहा है कि पूरा जीवन में इस रस्सी को तोड़ नहीं पाया तो आब क्या तोड़ पाउँगा, यह सुनकर वह व्यक्ति दंग रह गया। यानि कि उस हाथी की तरह हममें से भी कई लोग ऐसे हैं,  जो अपने जिंदगी में कोशिश करना छोड़ चुके हैं क्योंकि बस वह पहले से ही बार-बार कोशिश करने पर असफलता प्राप्त कर चुके होते हैं। उन्हें बार बार को...

पूजा के 5 प्रकार, 16 उपचार व 7 आरती

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  ज्योतिष : जीवन में ज्योतिष का काफी महत्व है। देश में ज्योतिष के अनुसार पूजा—पाठ, व देवों का पूजन बड़े ही आस्था के साथ ही की जाती है। ज्योतिष में पूजा के प्रकार, उपचार व देवी—देवताओं की आरती के बारे में विस्तार से बताया गया है। प्राचीन समय में संध्योपासना या संध्यावंदन की जाती थी। आगे चलकर यह पूजा, आरती और तरह तरह की पूजा विधियों में बदल गई। अब मोटे तौर पर कह सकते हैं कि संध्योपासना के 5 प्रकार हैं- 1. प्रार्थना, 2. ध्यान-साधना, 3. भजन-कीर्तन 4. यज्ञ और 5. पूजा-आरती। पूजा के 5 प्रकार 1. अभिगमन : देवालय अथवा मंदिर की सफाई करना, निर्माल्य (पूर्व में भगवान को अर्पित (चढ़ाई) की गई वस्तुएं हटाना)। ये सब कर्म 'अभिगमन' के अंतर्गत आते हैं। 2. उपादान : गंध, पुष्प, तुलसी दल, दीपक, वस्त्र-आभूषण इत्यादि पूजा सामग्री का संग्रह करना 'उपादान' कहलाता है। 3. योग : ईष्टदेव की आत्मरूप से भावना करना 'योग' है। 4. स्वाध्याय : मंत्रार्थ का अनुसंधान करते हुए जप करना, सूक्त-स्तोत्र आदि का पाठ करना, गुण-नाम आदि का कीर्तन करना, ये सब स्वाध्याय हैं। 5. इज्या : उपचारों के द्वारा अपने आराध्...

देवशयनी एकदाशी का व्रत रखने वालों को मिलता है मोक्ष

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ज्योतिष : देवशयनी एकादशी 20 जुलाई 2021 को है, इसी दिन से संसार के पालनहार विष्णु पाताल लोक में चार महीने तक सोने के लिए चले जाते हैं। इस दौरान शुभ कार्य या मांगलिक कार्य वर्जित है। हालांकि सत्यनारायण कथा श्रवण किया जा सकता है। पुराणों में वर्णित है कि शंखचूर नामक असुर से भगवान विष्णु का लम्बे समय तक युद्ध चला। आषाढ़ शुक्ल एकादशी के दिन विष्णु ने शंखचूर का वध कर दिया और क्षीर सागर में सोने चले गये। देवशयनी एकादशी को पद्मा एकादशी भी कहते हैं। इस व्रत के करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं, अतः मोक्ष की इच्छा रखने वाले मनुष्यों को इस देवशयनी एकादशी का व्रत करना चाहिए। चातुर्मास्य व्रत भी इसी एकादशी के व्रत से शुरुआत की जाती है। ब्रह्म वैवर्त पुराण में देवशयनी एकादशी के के बारे में बताया गया है कि इस व्रत से प्राणी की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। व्रती के पाप नष्ट हो जाते हैं। व्रती चातुर्मास का पालन विधिपूर्वक करे तो महाफल मिलता है। शास्त्रों के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष में एकादशी तिथि को शंखासुर दैत्य मारा गया। अत: उसी दिन से आरम्भ करके भगवान चार मास तक क्षीर समुद्र में शयन करते है...

गौर करने लायक है मोहन भागवत का बयान-'हम सब एक हैं'

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सभी भारतीय एकजुट रहेंगे तभी भारत बन सकता है विश्वगुरु  विचार : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के बयान के बाद संघ के विरोधी समझ नहीं पा रहे कि भागवत के बयान का कैसे विरोध किया जाये, जो इतने विरोध के बावजूद एकजुटता की बात करते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने रविवार शाम को पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के तत्कालीन सलाहकार रहे डॉ. ख्वाजा इफ्तिकार अहमद की पुस्तक का विमोचन किया। कार्यक्रम में मोहन भागवत ने कहा कि जब मेरे पास ये पुस्तक आयी, तभी मैंने कहा कि इस पुस्तक का विमोचन करूंगा क्योंकि इस पुस्तक में सत्य है। दिल से आह्वान किया गया है कि हम सब एक हैं और एक होना है। हिन्दू-मुसलमान एकता जो शब्द है ये भ्रामक है, हिन्दू-मुसलमान एक हैं। हम आकार निराकार दोनों की श्रद्धा का आदर करते हैं। हमारी मातृभूमि ऐसी है कि हम इतना झगड़कर भी इसी पर रहते हैं। ये मातृभूमि हमें पालती आ रही है। पहले बाहर से जो लोग आए उन्हें भी इस भूमि ने अपनाया। अथर्ववेद में इसका जिक्र है कि अनेक भाषाओं को मानने वाले यहां रहते हैं। संघ प्रमुख ने कहा कि मैं बताता हूँ संघ की शुरुआत क...

9 जुलाई को है हलहारिणी अमावस्या, फसल बुआई के लिए उत्तम समय

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ज्योतिष : सनातन धर्म के अनुसार आषाढ़ मास में पड़ने वाली हलहारिणी अमावस्या से वर्षा ऋतु की शुरुआत हो जाती है और धरती भी नम पड़ जाती है। फसल बुआई के लिए यह समय उत्तम होता है। इसे आषाढ़ी अमावस्या भी कहा जाता है। किसानों के लिए यह शुभ दिन है। इस बार हलहारिणी अमावस्या शुक्रवार, 9 जुलाई 2021 को मनाई जाएगी। हलहारिणी अमावस्या के दिन हल पूजन इसी बात का प्रतीक है। इस दिन किसान विधि-विधान से हल का पूजन करके हरी-भरी फसल बनी रहने के प्रार्थना करते हैं ताकि घर में अन्न-धन की कमी कभी भी महसूस न हो। इस दिन हल पूजन तथा पितृ पूजन का विशेष महत्व है। हलहारिणी अमावस्या के दिन हल पूजन करना विशेष शुभदायी होता है, इसीलिए इस अमावस्या का नाम हलहारिणी अमावस्या है। आषाढ़ अमावस्या के दिन भूखे प्राणियों को भोजन कराने का विशेष महत्व है। अमावस्या के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद आटे की गोलियां बनाएं। गोलियां बनाते समय भगवान का नाम लेते रहें। इसके बाद समीप स्थित किसी तालाब या नदी में जाकर ये आटे की गोलियां मछलियों को खिला दें। इस उपाय से आपके जीवन की अनेक परेशानियों का अंत हो सकता है। आषाढ़ अमावस्या के दिन कालसर्प दो...

नये उत्तर प्रदेश की पहचान है शुचिता : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

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5 हजार 805 युवाओं को बांटा नियुक्ति पत्र, कारागार विभाग में तीन हजार 12 पुरुष और 626 महिलाएं बनीं जेल वार्डर, अग्निशमन विभाग में फायरमैन के 2065 पदों पर युवाओं को मिली तैनाती समेत उत्तर प्रदेश पुलिस में और मजबूत हुआ घुड़सवार दस्ता। विचार : उत्तर प्रदेश में राजनीतिक गहमागहमी के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शानदार प्रदर्शन करते हुए कई विभागों में नियुक्तियां की और रोजगारकर्मियों को नियुक्ति पत्र भी बांटे। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बीते सवा चार वर्षों में उत्तर प्रदेश में सरकारी पदों पर हुई हर भर्ती ने शुचिता, पारदर्शिता और ईमानदारी की मिसाल कायम की है। 2017 के पहले जिस यूपी में भर्ती प्रक्रिया भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और वसूली की "पारिवारिक महाभारत" की भेंट चढ़ जाती थी, वहां चार लाख से अधिक पदों पर हुई नियुक्तियों में से एक पर भी सवाल नहीं किया जा सकता। यह नई कार्य संस्कृति, नये भारत के नये उत्तर प्रदेश की है। मुख्यमंत्री योगी ने शुचिता शब्द का इस्तेमाल किया। इस एक शब्द में बहुत सारी बातें छिपी हैं, शुचिता यानि शुद्ध होने की अवस्था, गुण या भाव, रहन-सहन में...

योगिनी एकादशी की कथा

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ज्योतिष : श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि स्वर्गधाम की अलकापुरी नामक नगरी में कुबेर नाम का एक राजा रहता था। वह शिव भक्त था और प्रतिदिन शिव की पूजा किया करता था। हेम नाम का एक माली पूजन के लिए उसके यहां फूल लाया करता था। हेम की विशालाक्षी नाम की सुंदर स्त्री थी। एक दिन वह मानसरोवर से पुष्प तो ले आया लेकिन कामासक्त होने के कारण वह अपनी स्त्री से हास्य-विनोद तथा रमण करने लगा।  उधर, राजा उसकी दोपहर तक राह देखता रहा। अंत में राजा कुबेर ने सेवकों को आज्ञा दी कि तुम लोग जाकर माली के न आने का कारण पता करो, क्योंकि वह अभी तक पुष्प लेकर नहीं आया। सेवकों ने कहा कि महाराज वह पापी अतिकामी है, अपनी स्त्री के साथ हास्य-विनोद और रमण कर रहा होगा। यह सुनकर कुबेर ने क्रोधित होकर उसे बुलाया। हेम माली राजा के भय से काँपता हुआ उपस्थित हुआ। राजा कुबेर ने क्रोध में आकर कहा कि ‘अरे पापी! नीच! कामी! तूने मेरे परम पूजनीय ईश्वरों के ईश्वर शिवजी महाराज का अनादर किया है, इस‍लिए मैं तुझे श्राप देता हूं कि तू स्त्री का वियोग सहेगा और मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी होगा।’  कुबेर के श्राप से हेम माली का स्वर्ग से...