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जून, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

योगिनी एकादशी की कथा

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ज्योतिष : श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि स्वर्गधाम की अलकापुरी नामक नगरी में कुबेर नाम का एक राजा रहता था। वह शिव भक्त था और प्रतिदिन शिव की पूजा किया करता था। हेम नाम का एक माली पूजन के लिए उसके यहां फूल लाया करता था। हेम की विशालाक्षी नाम की सुंदर स्त्री थी। एक दिन वह मानसरोवर से पुष्प तो ले आया लेकिन कामासक्त होने के कारण वह अपनी स्त्री से हास्य-विनोद तथा रमण करने लगा।  उधर, राजा उसकी दोपहर तक राह देखता रहा। अंत में राजा कुबेर ने सेवकों को आज्ञा दी कि तुम लोग जाकर माली के न आने का कारण पता करो, क्योंकि वह अभी तक पुष्प लेकर नहीं आया। सेवकों ने कहा कि महाराज वह पापी अतिकामी है, अपनी स्त्री के साथ हास्य-विनोद और रमण कर रहा होगा। यह सुनकर कुबेर ने क्रोधित होकर उसे बुलाया। हेम माली राजा के भय से काँपता हुआ उपस्थित हुआ। राजा कुबेर ने क्रोध में आकर कहा कि ‘अरे पापी! नीच! कामी! तूने मेरे परम पूजनीय ईश्वरों के ईश्वर शिवजी महाराज का अनादर किया है, इस‍लिए मैं तुझे श्राप देता हूं कि तू स्त्री का वियोग सहेगा और मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी होगा।’  कुबेर के श्राप से हेम माली का स्वर्ग से...

गंगा दशहरा पर स्वास्थ्य व मनवांछित परिणाम के लिए करें मंत्रोच्चार

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ज्योतिष : प्रत्येक ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है, इसी तिथि को मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं। सनातन धर्म के अनुसार गंगा दशहरा पवित्र नदियों में स्नान और दान का पर्व है। इस दिन गंगा स्नान के बाद दान देने की परम्परा है। मान्यता है कि इस दिन जल का बर्तन दान देने से अत्यधिक पुण्य का लाभ होता है। स्नान के बाद भगवान शिव का अभिषेक और पूजा अर्चना करने से भक्त के सभी अशुभ प्रभाव दूर हो जाते हैं और घर में सुख, समृद्धि आती है। गंगा दशहरा के द‍िन भगीरथ की तपस्‍या से मां गंगा पृथ्‍वी पर अवतरित हुई थीं। ज्‍योत‍िष के अनुसार गंगा दशहरा के द‍िन सुबह-सवेरे गंगा स्‍नान करने के बाद नदी के तट पर मंत्र— ‘संसार विष नाशिन्यै, जीवनायै नमोऽस्तु ते, ताप त्रय संहन्त्र्यै, प्राणेश्यै ते नमो नमः’ का 11 बार जप करना चाह‍िए। साथ ही मन ही मन मां गंगा से प्रार्थना करनी चाह‍िए क‍ि वह कृपा करें और  सेहतमंद बनाएं। यदि गंगा नदी में नहाने का सौभाग्य नहीं मिल रहा है तो घर में ही स्‍नान के जल में गंगा जल डालकर स्‍नान करें और मंत्रोच्चार करें, ऐसा करने से जातकों की तब‍ियत धीरे-धीरे सही...

बड़े ही साहसी और निडर होते हैं पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में जन्म लेेने वाले लोग

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ज्योतिष : मान्यतता है कि जो जिस नक्षत्र में पैदा होता है, वह उसी नक्षत्र में मरता भी है। इसकी सत्यता के लिए नया शोध किया जा रहा है, लेकिन पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों की जन्मराशि कुम्भ या मीन होती है। इस नक्षत्र के प्रथम तीन चरण कुम्भ राशि में और अंतिम एक चरण मीन राशि में होता है, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र आकाश मंडल का 25वां नक्षत्र है। इस नक्षत्र में जन्मे लोग बुद्धिमान और साहसी माने जाते हैं। पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में जन्मे जातक विपरीत परिस्थितियों में घबराते नहीं है। अपनी कड़ी मेहनत से सभी कार्यों में सफलता हासिल करते हैं। ऐसे लोग मिलनसार और परोपकारी भी होते हैं।

लखनऊ में उत्साह से मनाया गया वट सावित्री व्रत

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महिलाओं ने की पति के लम्बी उम्र व सौभाग्यवती होने की कामना आस्था : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आज यानि दस जून 2021 को वट सावित्री का पर्व उत्साह से मनाया गया। काफी संख्या में महिलाओं ने बरगद का पूजन किया और अपने पति की लम्बी उम्र की कामना की। हालांकि लखनऊ में आज सुबह जोरदार बारिश हुई, लेकिन ​महिलाओं की आस्था में कमी नहीं आई और छाता लेकर वट सावित्री का पूजन किया। वट सावित्री पर्व पर महिलाएं सोलह श्रृंगार करके वट पूजन कर रही थीं, जो देखते ही बन रहा था। कई महिलाओं ने इस अवसर पर तरह-तरह के वृक्ष भी लगाये।    पंडित अभिषेक त्रिपाठी लखनऊ में सेक्टर सी-जानकीपुरम स्थित महामंगलेश्वर, शनि मंदिर के पुजारी पंडित अभिषेक त्रिपाठी ने बताया कि मातृशक्ति हर साल यहां पूजन के लिए आती हैं। वट पूजन की पूर्व संध्या पर हम लोग यहां साफ—सफाई करते हैं और वृक्ष स्थल का गाय के गोबर से लिपाई भी करते हैं। इसके अलावा उन्होंने बताया कि इस दिन सावित्री व सत्यावान की कथा सुनाई जाती है। इस कथा के सुनने से दाम्पत्य जीवन और सुखमय हो जाता है, पति—पत्नी में विश्वास की भावना और बढ़ जाती है।    इस कथा क...