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आलोचना के बाद सुधारें गल्तियां

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बोधकथा : एक बार की बात है, काउंट प्रिसले रूस के शासक थे। प्रजा प्रशासन से संतुष्ट नहीं थी। अत: कुछ लोग सदैव प्रधानमंत्री के खिलाफ़ इधर-उधर लिखकर, बोलकर दुष्प्रचार करते रहते थे। प्रिसले को भी यह बात पता थी। एक दिन उन्होंने अपने सचिव को बुलाकर कहा-देखो, हमारा प्रशासन सुचारु रूप से चल सके, इसके लिए हमें सबकी राय की आवश्यकता है। तुम उन लोगों की एक सूची तैयार करो, जिन्होंने अखबारों और पत्रिकाओं में मेरे खिलाफ़ कुछ भी लिखा हो या मेरे प्रति कुछ अलग धारणा रखते हों। कुछ दिनों बाद सचिव लगभग एक हज़ार लोगों की सूची ले आया। प्रधानमंत्री उसे देखकर बोले- इनमें से सबसे तेज़ और तीखी टिप्पणियां मुझे छांटकर दीजिए। सचिव ने ऐसे लोगों के नाम भी निकालकर दे दिए और पूछा-क्या इनके नाम पुलिस में दे दिए जाएं ताकि उन पर पर उचित कार्रवाई की जा सके। इस पर प्रिसले ने जवाब दिया-नहीं, मैं तो इन सबमें से अपना कट्टर विरोधी चुनकर उसे अपने अख़बार का संपादक बनाना चाहता हूं ताकि वह अपनी लेखनी द्वारा मेरी कमियां मुझे बता सकें और मैं जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप अपने को ढाल सकूं। 

चौकीदार चोर है, मामले में राहुल गांधी को मांगनी ही पड़ी माफी

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विचार : अपने रैलियों में चौकीदार चोर है, का नारा लगवाने वाले राहुल गांधी को आखिर माफी मांगनी ही पड़ी। अब क्या मुंह लेकर जनता के बीच जाएंगे, अब तो ऐसा लगने लगा है कि राहुल गांधी खुद ही लुटेरे हैं, जो जनता के पैसे की लूट की है और जमानत पर घूम रहे हैं और बड़ी बेशर्मी से देशभक्त मोदी को चोर जैसा अपमानित करने वाला शब्द कहा। कांगे्रस के डीएनए में है देशभक्तों को अपमानित करना जैसे पंडित जवाहर लाल नेहरू ने बाबू सुभाषचंद्र बोस को किया था। लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर हताशा और जीवंतता को परिभाषित करने की जरूरत नहीं, बल्कि हालात और संतुलन खोते व्यक्ति का आचरण व टिप्पणियां ही उसकी हताशा का प्रमाण दे देती है। मौजूदा समय में जब चुनावी बयार के बीच सियासी जंग अपने शवाब पर है, तब नेताओं की बतकही, फिसलती जुबान और मर्यादाओं को लांघते आरोपों की बौछार बता देती है कि जीवंतता और हताशा के बीच कितनी गहरी खाई बन चुकी है। इसी संदर्भ को क्षेत्रीय पार्टियों से इतर राष्ट्रीय ताने-बाने में जब विचार करने की कोशिश की जाती है तो कांगे्रस के अध्यक्ष राहुल गांधी की तस्वीर उभर कर सामने आ जाती है। विनाश की कगार पर खुद अपनी...

गुरु और शिष्य का सम्बन्ध

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बोधकथा : जंगल में गुरुजी का बड़ा आश्रम था, जहां अनेक शिष्य विद्या अध्ययन करते थे। गुरुजी की वाणी से सभी वेद, शास्त्रों का श्रवण कर ग्रहण भी करते थे। आश्रम में कई दुधारू गायें थीं। जब अध्ययन की अवधि समाप्त हो गई तो गुरुजी ने एक दिन सबको अपने सामने एकसाथ बैठाकर दीक्षा व आशीर्वाद देते हुए कहा- तुम सब मेरे प्रिय और आत्मीय हो। मैं चाहता हूं कि मेरी ओर से भेंटस्वरूप एक-एक गाय अपने-अपने घर ले जाओ। शिष्य के रूप में तुमने जो सेवाभाव दिखाया है, उससे मैं बहुत प्रसन्न हूं। यह ‍सुनकर शिष्य गदगद हो गए। वे शीघ्र ही अपनी पसंद की गाय चुन-चुनकर रस्सी हाथ में थामे हुए जब वहां से प्रस्थान करने को उत्सुक हुए तो गुरुजी की दृष्टि एक भोले-भाले शिष्य पर पड़ी, जो यह सब चुपचाप देख रहा था। उसको पास बुलाकर गुरुजी ने पूछा- बेटा! तुम क्यों शांत खड़े हो? क्या तुम्हें गाय नहीं चाहिए? नहीं गुरुजी, वह हाथ जोड़कर विनयपूर्वक बोला- मुझे यहां की कोई गाय नहीं चाहिए। मुझे केवल आशीर्वाद चाहिए, जो आपने देकर मेरा उपकार किया है। शिष्य की कृतज्ञताभरी वाणी सुनते ही गुरुजी भाव-विभोर हो गए। उन्होंने इस शिष्य के सिर पर हाथ फेरते हु...

शिकारी बाज की अनूठी कहानी

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बोधकथा : शिकारी बाज की भी अनूठी कहानी है। बाज करीब 70 वर्षों तक जीता है, लेकिन अपने जीवन के 40वें वर्ष में आते-आते उसे एक महत्वपूर्ण निर्णय लेना पड़ता है। चालीस साल की उम्र में बाज के शरीर के तीन प्रमुख अंग निष्प्रभावी होने लगते हैं - पंजे लम्बे और लचीले हो जाते है व शिकार पर पकड़ बनाने में अक्षम होने लगते हैं। चोंच आगे की ओर मुड़ जाती है और भोजन निकालने में व्यवधान उत्पन्न करने लगती है। पंख भारी हो जाते हैं और सीने से चिपकने के कारण पूरे खुल नहीं पाते हैं, उड़ानें सीमित कर देते हैं। भोजन ढूंढ़ना, भोजन पकड़ना और भोजन खाना.... तीनों प्रक्रियाएं अपनी धार खोने लगती हैं।  उसके पास तीन ही विकल्प बचते हैं— या तो देह त्याग दे, या अपनी प्रवृत्ति छोड़ गिद्ध की तरह त्यक्त भोजन पर निर्वाह करें... या फिर स्वयं को पुनर्स्थापित करें, आकाश के निर्द्वन्द्व एकाधिपति के रूप में। लेकिन बाज शिकार करके ही भोजन करता है, यानि कठिन परिस्थितियों में भी परिश्रम के बाद ही भोजन करना।

अब शिवपाल ने दिया कांगे्रस को...

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व्यंग्य : समाजवादी पार्टी के चक्रव्यूह में घायल चचा शिवपाल लोकसभा चुनाव में कूदे तो थे, लेकिन विचारों से समझौता न करने वाले सियासी शिवपाल कांगे्रस को दे बैठे अपना समथर्न। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव ने कांग्रेस प्रत्याशी आचार्य प्रमोद कृष्णम को समर्थन देने का ऐलान किया। शिवपाल के इस समर्थन के पीछे कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी का इस सीट पर दो दशकों से कब्जा है। इस बार राजनाथ सिंह के सामने कांग्रेस के आचार्य प्रमोद कृष्णम ताल ठोक रहे हैं। आचार्य प्रमोद कृष्णम संभल के कल्कि धाम के पीठाधीश्वर हैं। वहीं गठबंधन की तरफ से शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा मैदान में हैं। एक बात तो तय है कि इस सीट पर बीजेपी को मात देनी है तो विपक्षी पार्टी को पुराने लखनऊ का दिल जीतना होगा। लिहाजा कांग्रेस प्रत्याशी आचार्य प्रमोद का पूरा फोकस पुराने लखनऊ में है। ये यहां शिया और सुन्नी धर्मगुरुओं से भी मिल रहे हैं। वहीं प्रमोद कृष्णम के बारे में कहा जाता है कि हिंदू वेश में उपद्रवियों का एजेंट हैं।

गर्मियों में होती हैं ये स्किन समस्याएं, ऐसे पायें राहत

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जीवनशैली : गर्मियों के मौसम में कई कारणों से स्किन में सूखापन, एलर्जी, खुजली जैसी दिक्कतें होती हैं। इन सब दिक्कतों के चलते लोग काफी परेशान हो जाते हैं। अक्सर हम देखते हैं कि स्किन में इन समस्याओं के होने पर खुजाने से राहत मिल जाती है लेकिन ऐसा करना स्किन पर संक्रमण और चोटों का कारण बन सकता है। गर्मी में होने वाली इन समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए उपाय करना जरूरी हो जाता है। इसके लिए हम इन घरेलू उपायों को करके स्किन की समस्याओं से राहत पा सकते हैं। इन उपायों को आजमाएं — नींबू : नींबू हमारे खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ ही स्किन के लिए भी बहुत लाभकारी है। नींबू में वाष्पशील तेल होने के चलते स्किन पर इसके रस को लगाने से फायदा होता है। ऐसा करने से खूखेपन और खुचली आदि में राहत मिलती है।  पुदीना : स्किन में सूखेपन के कारण होने वाली खुजली के लिए पुदीने का इस्तेमाल करना असरकारक होता है। स्किन पर खुजली वाले स्थान पर पुदीने की पत्तियों को मसलकर सीधे लगाने से तुरंत राहत मिलती है।  तुलसी : तुलसी के पत्तों में थीमोल, युगेनॉल और कपूर के गुण होते हैं। स्किन में सूखेपन के चलते होने वाल...

क्या यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन से परेशान हैं आप

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स्वास्थ्य : यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन बैक्टीरिया, फंगस और वायरस से होने वाला इंफेक्शन है। यूटीआई गर्भाशय, किडनी, ब्लैडर और मूत्रमार्ग में कहीं भी हो सकता है। अधिकतर यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन मूत्रमार्ग और ब्लैडर में होता है। इस इंफेक्शन से काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। समय रहते इंफेक्शन का इलाज करने से इससे निजात पाई जा सकती है। इसके लिए आप घरेलू उपायों को भी अपना सकते हैं। यूटीआई में दिखते हैं ये लक्षण  - बार-बार टॉइलट जाना इसका लक्षण होता है। इसके अलावा बार-बार टॉइलट आने जैसा महसूस हो रहा है तो यूटीआई की शिकायत हो सकती है।  - टॉइलट करते समय दर्द महसूस करना यूटीआई का ही लक्षण है।  - कभी-कभी देखा जाता है कि टॉइलट करने के दौरान खून आता है। अगर ऐसा है तो यूटाआई की समस्या हो सकती है।  - पेट के निचले हिस्से में दर्द होना यूटीआई से पीडि़त होने का संकेत है।  - यूटीआई की समस्या होने पर ठंड के साथ बुखार आता है। इसके अलावा पीठ दर्द भी होता है।  यूरिन इन्फेक्शन के लिए घरेलू उपाय अधिक पानी पिएं- पानी पीना हमारे सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यूटीआई ...