सावन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है रक्षाबंधन

ज्योतिष : शास्त्र के अनुसार प्रत्येक मास में एक बार पूर्णिमा पड़ती है। सावन माह की पूर्णिमा पर रक्षाबंधन का पावन पर्व भी मनाया जाता है। इस बार शुक्ल पूर्णिमा की शुरुआत सायं सात बजे से व 22 को सायं पांच बजे श्रावण शुक्ल पूर्णिमा समाप्त होगी। पूर्णिमा के दिन विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा व अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस बार सावन पूर्णिमा का पर्व चार विशिष्ट योग बन रहे हैं, 50 साल बाद सर्वार्थसिद्धि, कल्याणक, महामंगल और प्रीति योग एक साथ बनेंगे। इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। नदी नहीं है तो नदियों के नाम लेकर स्नान शुभदायी रहेगा। स्नान के समय निम्न मंत्र भी पढ़ा जा सकता है— नन्दिनी नलिनी सीता मालती च महापगा। विष्णुपादाब्जसम्भूता गंगा त्रिपथगामिनी।। भागीरथी भोगवती जाह्नवी त्रिदशेश्वरी। द्वादशैतानि नामानि यत्र यत्र जलाशय। स्नानोद्यत: स्मरेन्नित्यं तत्र तत्र वसाम्यहम्। स्नान के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें। सभी देवी-देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें। पूर्णिमा के पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना का विशे...